दिल्ली आईएमटी मानेसर कापसेड़ा से नन्द किशोर प्रसाद साझा मंच मोइली वाणी के माध्यम से भवन निर्माण में काम करने वाले श्रमिक राघवेंद्र से बातचीत की। राघवेंद्र ने बताया कि लॉक डाउन के बाद से स्थिति श्रमिकों के लिए बहुत ही खराब हो गयी है। उन्होंने बताया कि काम के दौरान यदि मजदुर को चोट लग जाती है तो कंपनी किसी प्रकार की कोई मदद मजदूरों को नहीं देती है। श्रमिकों को पीएफ या ईएसआइ की सुविधा भी नहीं दी जाती है। जिसमे केवल 600 सौ रूपए दिहाड़ी और 400 सौ लेबर का भुगतान किया जाता है।
दिल्ली कापासेड़ा से नन्द किशोर प्रशाद ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कापासेड़ा के स्थानीय निवासी गौरव से पानी की समस्याओं पर चर्चा की। जहाँ उन्होंने बताया कि पीने के पानी के लिए लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है ,पानी के लिए महीने का हज़ार रुपया तक देने पड़ते हैं। पानी की समस्या के लिए ज़िम्मेदार नागरिक व प्रशासन दोनों ही है। पानी को बचा के रखने के लिए हमे जलाशय बनाना होगा। शहरों में पानी की समस्या बहुत ही ज्यादा है
दिल्ली कापासेड़ा से नन्द किशोर प्रशाद ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम सेकापासेड़ा के स्थानीय निवासी रमेश चंद्र से पानी की समस्याओं पर चर्चा की। जहाँ उन्होंने बताया कि पीने के पानी के लिए लोगों को परेशानीउठानी पड़ती है ,पानी के लिए महीने का हज़ार रुपया तक देने पड़ते हैं। पानी की समस्या के लिए ज़िम्मेदार नागरिक व प्रशासन दोनों ही है। पानी को बचा के रखने के लिए हमे जलाशय बनाना होगा। शहरों में पानी की समस्या बहुत ही ज्यादा है
दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा से नन्द किशोर की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से श्रमिक निज़ाम से हुई। निज़ाम कहते है कि वो किराए के मकान में रहते है। मकान में बोरिंग तो लगा हुआ है लेकिन उसको पीने से बीमारी होती है ,बहुत दिक्कते आती है। पानी का बिल भी लगता है लेकिन पानी अच्छा नहीं मिलता है। खारा जल है जिससे खाना पकाना नहीं हो पाता है। कपड़ा धुलाई भी अच्छे से नहीं हो पाती है ,कभी कभी बाहर से जल लाना पड़ता है। पीने के लिए पानी का बोतल ख़रीदना पड़ता है। महीने में पानी पर 1400 से 1500 रूपए खर्च हो जाता है। आने वाले समय में 2500 रूपए तक खर्च बैठ सकता है। वर्षा कम हो रही है तथा जल संचयन नहीं हो पा रहा है जिस कारण यह समस्या उत्पन्न हो रही है।
दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा से नंदकिशोर की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से रंजीत कुमार से हुई। रंजीत कहते है कि वो किराये के मकान में रहते है। वहाँ पानी की समस्या बहुत है। पानी दूषित भी रहता है जिसको पिने व खाना पकाने के लिए प्रयोग में नहीं लाया जा सकता है।पीने और खाना बनाने के लिए अलग से पानी लाना पड़ता है। सप्लाई पानी से नहाने का काम किया जाता है। महीने में पानी के लिए कुल खर्च 1000 रूपए से 1200 रूपए तक हो जाता है। जल स्तर कम है इसलिए पानी की समस्या है। जिस क्षेत्र में रंजीत रहते है वहाँ पहले चापाकल था लेकिन वो ख़राब हो गया। जिसे बनवाने का भी प्रयास किया गया लेकिन सारे प्रयास विफल हो गए। दिहाड़ी श्रमिकों के लिए पानी ,बिजली बिल का खर्च उठाना बहुत समस्या खड़ा कर देगा।आने वाले समय में पानी को लेकर और भी समस्या आएगी जिसके लिए अभी से पानी को बचाना चाहिए ,पानी का दुरूपयोग नहीं करना चाहिए। जल संचयन कर पानी को बचाया जा सकता है।
गांव कापासेड़ा से नंदकिशोर साझा मंच के माध्यम से एक श्रोता से बात कर रहें हैं इनका नाम शकील जी से बात कर रहें हैं जो की कंपनियों में मज़दूर हैं. उनका कहना है की कंपनियों में काम करने के बावजूद इतना पैसा नहीं बच पाटा है जिस से की ये घर बना सकते लेकिन बारिश में घर गिरने के बाद इन्हें बंधन से लोन लेकर घर बना रहें हैं इसमें इन्हें सापताहिक क़िस्त देना पड़ता है और जो भी बचत था वो सारा लोखड़ौन में ख़तम हो गया.
सभो को मेरा नमस्कार मैं कापसहेड़ा नई दिल्ली से बोल रहा हूँ विनय कुमार लेबर कार्ड जो है वो बताइये लेबर कार्ड और ई श्रम कार्ड में अंतर क्या है ?इसका अंतर बताइये
Transcript Unavailable.
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दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा से नंदकिशोर की बातचीत साझा मंच के माध्यम से एक मजदूर ब्रह्मदेव से हुई। ब्रह्मदेव कहते है कि पीस रेट में काम करना अच्छा है। सैलरी में काम करते है तो लगता है बंध कर काम कर रहे है। पीस रेट में ऐसे नहीं है ,अपना दिहाड़ी निकाल कर ऑफिस से निकल जाते है। इसमें पीएफ ईएसआई का कोई झंझट नहीं है वहीं टारगेट पूरा करने को लेकर भी कोई बोझ नहीं है। पीस रेट में कमाई अच्छा हो जाता है। पीस रेट में पैसे कैश में मिलती है जो कि हर 15 दिनों में मिल जाता है। ब्रह्मदेव को पीस रेट में काम करना अच्छा लगता है