प्रीति ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि ईएसआई में अल्ट्रासाउंड का डेट आगे बढ़ा देते हैं। कंपनी से छुट्टी लेनी पड़ती है, ऐसे में दिक्कत होती है।
ज्योति मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है कि ईएसआईसी के अस्पताल में दवाई नहीं मिलती है। उनका कहना है कि वो एक कंपनी में काम करती है और कंपनी उनके छुट्टी के पैसे भी काटती है
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इंद्रा कॉलनी से अनीता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि ये जब ईएसआई दवा लेने जाती हैं तो बार - बार आगे का दिन देते हैं।
शहरों की चमचमाती सोसायटी को बड़े विकास का मापदण्ड मानकर इसकी सराहना तो करते हैं, नागरिक अपने घर की कमी पूरी करने के लिए जिंदगी की गढ़ी कमाई घर खरीदने में खर्च कर देता है ताकिवो खुद और उसका परिवार सुरक्षित रहे, मानसिक तनाव के बिना, लेकिन क्या हो जब इस गगन चुम्बी इमारत में रहने वाले की जान लिफ्ट में फंस जाए, आम नागरिक की पत्नी और उनका। बच्चा स्कूल जाने के वक्त लिफ्ट दुर्घटना का शिकार हो जाये और इस दुर्घटना प्रति बिल्डर जिसने इतनी मोटी रकम सोसायटी का रखरखाव किया और घर बेचने के लिए पैसा वसूला है और कोई कार्रवाई ना ले, आइए इसी गंभीर समस्या से आज रूबरू होते हैं, गाजियाबाद के दिव्यांश सोसायटी में रहें वाले एक निवासी श्री बिपन झा ने बताया अपना हाल
मानेसर से शंकर ने मोबाइल वाणी के माध्यम से नीरज से साक्षात्कार लिया। नीरज ने बताया था कि ये ईएसआई के माध्यम से अस्पताल में ईलाज करवाने आए हैं। कंपनी द्वारा ईएसआई चेंज किया गया है। पुराना ईएसआई करवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। क्योंकि पुराने ईएसआई में लाभ ज्यादा होता है
दिल्ली एनसीआर से नाज़ परवीन ने श्रमिक वाणी के माध्यम से सोहेल से साक्षात्कार लिया । सोहेल ने बताया कि इनकी मम्मी के ईलाज के लिए ये पंथ अस्पताल ले कर आये हैं । यहाँ हार्ट के इलाज के लिए अस्सी हज़ार का खर्च बताया जा रहा है। उनको अस्पताल में भर्ती नही कर रहे हैं। उन्हें सहायता की जरूरत है
पंथ अस्पताल से नाज़ परवीन ने श्रमिक वाणी के माध्यम से शाहरुख़ से साक्षात्कार लिया। शाहरुख़ ने बताया कि इन्होने पंथ अस्पताल में अपने भाई को ओपीडी के जरिए एडमिट करवाया है,लेकिन अभी तक ऐड नहीं किया गया है । भाई की हालत बहुत ख़राब है। पंथ अस्पताल में यह कई मरीजों की शिकायत है।
पंथ अस्पताल से नाज़ परवीन ने श्रमिक वाणी के माध्यम से राजू से साक्षात्कार लिया। राजू ने बताया कि ये सहारनपुर से इलाज के लिए अपनी पत्नी को लेकर आये हैं। किसी ने कहा मरीज को लेकर एमरजेंसी में जाओ। एमरजेंसी में लेकर गए तो वहां कहा गया कि ओपीडी में लेकर जाओ। ओपीडी में बी लाइन लगा कर देखेंगे। दो दिनों से फुटपाथ पर पड़े हैं। अस्पताल ने एडमिट नहीं किया
बुजुर्ग हो चुके ड्राइवर का कोई नहीं है सहारा, बच्चे शादी होने के बाद हो गए हैं अलग।