नई दिल्ली।। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वार्षिक वित्तीय खर्चों की पूर्ति के लिए, देश को कल्याण की दिशा दिखाने के लिए सरकार द्वारा जनता से किए वादों को पूरा करने के लिए मंगलवार के दिन लोकसभा में बजट 2024 पेश किया। बजट का लक्ष्य अपुष्ट था।बजट के माध्यम से गरीब, महंगाई, युवा और अन्नदाता की समस्याओं को केंद्रित कर कांग्रेस के न्याय फार्मूला को अघोषित हासिल करने की चेष्टा दिखाई दी है। जहां सदन का केंद्र बैंगनी किनारे वाली क्रीम रंग की साड़ी पहनकर सदन में पहुंचीं वित्त मंत्री सीतारमण तक सीमित था बस्ता खुलते ही बजट की प्रस्तुती पर खिसक गया।आरंभ से ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार पर भरोसा जताने और लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का जनादेश देने के लिए देश की जनता को धन्यवाद दिया गया। श्रीमति सीतारमण के अनुसार बजट रोजगार, कौशल, एमएसएमई और मध्यम वर्ग पर ध्यान केंद्रित कर तैयार किया गया है।साथ ही साफतौर पर यह भी स्पष्ट किया की जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था अब भी नीतिगत अनिश्चितता की चपेट में है… समय की धरा प्रवाह में भारत की आर्थिक वृद्धि को स्थापित किया जाना जटिल प्रक्रिया से संभव होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि देश की मुद्रास्फीति स्थिर बनी हुई है और चार प्रतिशत की ओर से बढ़ रही है। शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने बजट पेश होने से पहले कहा कि वो उम्मीद कर रही हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से कुछ राहत दिलाएंगी और सरकार प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ नहीं बल्कि ‘जन की बात’ करेगी।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

भारतीय संविधान किसी के आर्टिकल 14 से लेकर आर्टिकल 21 तक समानता की बात कही है, इस समानता धार्मिक आर्थिक राजनीतिक और अवसर की समानता का जिक्र किया गया है। इस समानता किसी प्रकार की जगह नहीं है और किसी को भी धर्म, जाति और समंप्रदाय के आधार पर कोई भेद नहीं किये जाने का भी वादा किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार के हालिया फैसले में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि वह धर्म की पहचान के आधार भेदभाव पैदा करने की कोशिश है।दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं? क्या आप सरकार के फैसले के साथ हैं या फिर इसके खिलाफ, जो भी हो इस मसले पर आपकी क्या राय है? आप इस मसले पर जो भी सोचते हैं अपनी राय रिकॉर्ड करें

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दोस्तों इस तरह के बाबाओं द्वारा चलाई जा रही धर्म की दुकानों पर आपका क्या मानना है, क्या आपको भी लगता है कि इन पर रोक लगाई जानी चाहिए या फिर इनको ऐसे ही चलते ही रहने देना चाहिए? या फिर हर धर्म और संप्रदाय के प्रमुखों द्वारा धर्म के वास्तविक उद्देश्यों का प्रचार प्रसार कर अंधविश्वास में पड़े लोगों को धर्म का वास्तविक मर्म समझाना चाहिए। जो भी आप इस मसले पर क्या सोचते हैं अपनी राय रिकॉर्ड करें ग्रामवाणी पर

दोस्तों नई सरकार का गठन हो गया है। ऐसे में सरकार से आपकी क्या अपेक्षाए हैं, क्या आपको भी लगता है कि लोकतंत्र के संस्थानों के उनके नियमों के अनुसार ही काम करना चाहिए या सरकार का रुख ठीक है कि वह चुनकर सत्ता में आए हैं, तो अब उनकी मर्जी है कि वे कैसे चलाते हैं। इस मसले पर अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाईलवाणी पर

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