कापसहेड़ा से मोबाइल वाणी संवादाता ने श्रमिक वाणी के माध्यम से एक व्यक्ति से बात किया। इनका नाम फ़िरोज़ है तथा ये नब्बे नंबर की लेदर कंपनी में काम करते हैं। इनका कहना है की, इनकी तन्खा गयारह हज़ार पांच सौ रूपए है। तथा ये कंपनी में चार साल से काम कर रहें हैं, इन्हें ओवरटाइम सिंगल रेट से मिलता है और कभी कभी तो छुट्टी के दिन भी काम करना पड़ता है
दिल्ली एनसीआर कापसेड़ा से नन्द किशोर प्रशाद साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बबलू कुमार से पानी के विषय में चर्चा कर रहे हैं। बबलू कुमार बताते हैं कि वे कंपनियों में कार्य करते हैं। वे बताते हैं कि वे जहाँ रहते हैं,वहां पानी का प्रयोग कर सकते हैं लेकिन पी नहीं सकते। पीने का पानी वे खरीद कर और बाकी कामों के लिए खारा पानी इस्तेमाल करते हैं। खारे पानी का भी उन्हें पैसा देना पड़ता है। खारे पानी को ही टंकी में भरा जाता है जो छह महीने में एक बार ही साफ़ किया जाता है। महीने में पानी पर 700 -800 रूपए खर्च हो जाते हैं। लोगों को मज़बूरी में खारे पानी को इस्तेमाल करना पड़ता है। स्वास्थ्य कर्मी भी पानी को इस्तेमाल करने के तरीको या उपाय के बारे में जानकारी नहीं देते इस पानी को गर्भवती महिलाएं ,बच्चे ,वृद्ध यदि इस्तेमाल करेंगे तो उनके स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव भी पड़ेगा।
दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा से नन्द किशोर की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से परवेज़ से हुई। परवेज़ कहते है कि बोरिंग का पानी का इस्तेमाल करते है। मालिक टंकी की सफ़ाई ज़ल्दी नहीं करवाते है। पानी जल्दी गंदा हो जाता है। पीने के लिए बोरिंग पानी का इस्तेमाल नहीं कर सकते है। बाहर से ख़रीद कर पानी पीना पड़ता है। 30 रूपए प्रति बोतल मिलता है पानी। बजट से ज़्यादा पानी का ख़र्चा हो जाता है। कुल मिलकर 800 से 900 रूपए खर्च हो जाता है। लेकिन पानी स्वच्छ नहीं मिल पाता है। ऐसी गंदी पानी का सेवन करने से कई प्रकार की बीमारियाँ हो सकती है। गर्भवती महिलाओं के लिए गन्दा पानी सबसे ज़्यादा घातक है। आशा वर्कर से भी पानी व स्वास्थ्य की जानकारी नहीं दी जाती है। सरकार के तरफ से भी पानी की गुणवत्ता की जाँच के लिए कोई कर्मचारी नहीं आते है
गुरुग्राम से नन्दकिशरोर साझा मंच के माध्यम से सोनू से हैं, सोनू कॉल सेण्टर में काम करते हैं इनका कहना है की ये लोग खारा पानी से खाना पकाने तथा पिने के लिए मजबूर हैं. तथा ये लोग मीठा पानी खरीद कर पिटे हैं जिसमें लगभग दो से ढाई हज़ार रूपी लग जाते हैं. लेकिन ख़रीदा हुआ पानी भी शुद्ध नहीं होता है. और खारा पानी पीने से लोग काफी बीमार पड़ते हैं. तथा इनका कहना है की गर्ववती महिलायें हो या बच्चे खारा पानी पिने से बीमार पद जाते हैं तथा इस समस्या का समाधान सरकार को करना चाहिए।
दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा से नन्द किशोर की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से सोनू कुमार से हुई। सोनू कुमार बताते है कि ज्योति ऍपेरेल ,कंपनी नंबर 158 में वो कार्य करते थे। एक साल पीएफ कटा है। इन्होने पीएफ को लेकर कभी जाँच नहीं करवाए। पत्नी गर्भवती है इस कारण सोनू पीएफ का पैसा निकालना चाहते है। केवाईसी के बात हुई थी लेकिन तबियत ख़राब होने के कारण ये छुट्टी में चले गए थे। अब जब वापस काम पर आये तो उनसे जन्म तिथि और इंटर की मार्कशीट माँग रहे है।
दिल्ली के गुरुग्राम रोड से नन्द किशोर की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से यदु पाल से हुई। यदु पाल कहते है कि उन्हें कापसहेड़ा में रहते हुए बीस साल हो गए है। अभी पानी की बहुत समस्या उत्पन्न हो गई है। पानी का स्तर बहुत घट चुका है। अभी पीने योग्य पानी नहीं रहा ,पानी खारा हो चुका है। हर महीने एक हज़ार ,बारह सौ पानी पर ही खर्च हो जाता है। आने वाले युग में पानी पर और भी खर्च होगा। जल बचाने के लिए जल संचयन करना पड़ेगा। पानी इकठ्ठा कर जल स्तर ठीक रख सकते है। लोग पानी का पैसा जो बना रहे है ,इससे मज़दूर व निम्न वर्ग के लोग परेशान है
दिल्ली कापसेड़ा से नन्द किशोर प्रशाद साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से स्थानीय निवासी ओम प्रकाश से समाज में फ़ैल रहे जाति को लेकर अफवाहों पर चर्चा कर रहे हैं। जहाँ ओम प्रकश ने बताया कि हमें एकता पर जोर देना चाहिए और देश से भ्रष्टाचार ख़त्म करने की ओर कदम उठाने चाहिए
दिल्ली कापसेड़ा से नन्द किशोर प्रशाद साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कापसेड़ा के स्थानीय निवासी तुलसी राम से समाज में फ़ैल रहे जाति को लेकर अफवाहों पर चर्चा कर रहे हैं। जहाँ तुलसी राम ने बताया कि हमें एकता पर ज़ोर देना चाहिए और देश से भ्रष्टाचार ख़त्म करने की ओर कदम उठाने चाहिए। समाज में कुछ तत्व ऐसे हैं जो आपस में प्रेम बाँटने के बजाय जाति को बाँट रहे हैं
दिल्ली गुरुग्राम से नन्द किशोर प्रसाद ने साझा मंच मोबाइल वाणी के बताया कि प्लास्टिक रोज़मर्रा के दिनों में लोगों के लिए बहुत जरुरी हो गया है। आये दिन लोग छोटे से छोटे या बड़े से बड़े चीजों को लेने में प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं। सरकार भी प्लास्टिक पर पूर्ण पाबन्दी नहीं लगा पाई है
दिल्ली के कापसहेड़ा से नन्द किशोर राजू से बात कर रहें हैं, राजू का कहना है की ये किराया के घर में रहते हैं जहां सॉ रूपए यूनिट पानी मिलता है जो की खारा पानी होता है जिस से मजबूरी में साफ़ सफाई का काम करते हैं और पीने के लिए बीस रुपए बोतल पानी खरीदते हैं अगर महीना की बात करें तो दो हज़ार रुपए लगता है सिर्फ पानी में. इनका कहना है की जन संख्या अधिक होने के कारण पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाती है.