जलवायु परिवर्तन का असर इंसानों के अलावा और भी प्राणियों पर पड़ रहा है। सरकार जलवायु परिवर्तन से लड़ने का प्रयास तो कर ही रही है,लेकिन हमें भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी ...
बिहार राज्य के जमुई जिला से चन्दन कुमार वर्मा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया जलवायु परिवर्तन के कारण समय पर बारिश नहीं हो रहा।इससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। अचानक आये बारिश से फसल बर्बाद हो रहे हैं पीने के पानी की भी समस्या उत्पन्न हो रही है
सोनो प्रखंड में बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं और सरसों की फसल हुई क्षति सोनो प्रखंड क्षेत्र में बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं और सरसों की को भारी नुकसान हुआ है, अभी और बारिश के आसार दक्षिणी बिहार में तेज हवा के साथ बेमौसम बरसात और तेज हवा से फसलों को भारी नुकसान हुआ है, गेहूं की फसल गिर गई तो सरसों की फलियां टूट गई वही आलू खेत की खुदाई प्रभावित हुई बताया गया है कि 20 और 21मार्च को भारी बरसात की आशंका जताई गई है जिससे किसानों को चिंता बढ़ गई है रविवार की शाम तक फिर से तेज हवा के साथ बारिश शुरू हो गई सरसों की फसल भी पककर तैयार है और बारिश के कारण उसके दाने गिर गए हैं इससे भी काफी किसानों को नुकसान हुआ है बारिश के कारण आम के बोर में फफूंदी लगने का डर है और आम का काफी पुराने से उत्साहित बागवानी के चेहरे पर उदासी छा गई है वहीं किसानों को फसल की नुकसान काफी हुई है
बिहार राज्य के जमुई जिला से दीपक मोबाइल वाणी के माध्यम से संतोष कुमार से साक्षात्कार लिया है । जिसमें संतोष कुमार ने बताया कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव खेती पर किस प्रकार से पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि 15 एकड़ जमीन में खेती का काम करते है,जिसमें वे धान , गेहूं, मसूर ,चना और मुंग अदि की खेती करते है। किसानों को फसल की उपज का सही कीमत नहीं मिल रहा है। सरकार अगर वास्तव में किसान की उन्नति चाहती है तो फसल का सही कीमत कर दी जाये। किसान की अगली पीढ़ी आगे पढ़ सकती है। इसके साथ ही उन्होंने बताया की कृषि मेला लगा हुई उसमे में ईख की खेती पर जोर दिया जा रहा है क्यूंकि जमुई जिला ईख की खेती के लिए प्रमुख क्षेत्र मन जाता है
बिहार राज्य के जिला जमुई से रजनीश कुमार ने जलवायु परिवर्तन के विषय पर मुनि यादव से साक्षात्कार लिया। मुनि यादव ने बताया बारिश नहीं होने से और बोरिंग में भी पानी नहीं होने से फसल अच्छी नहीं हुई। खेती के लिए और कोई अन्य संसाधन जैसे तालाब ,पोखर कुछ नहीं है। बोरवेल का जलस्तर भी बहुत नीचे है जिस वजह से बोरवेल से भी बहुत कम पानी मिल पाता है।
बिहार राज्य के जिला जमुई से रजनीश कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के विषय पर श्रोता से साक्षात्कार लिया। श्रोता ने बताया जलवायु परिवर्तन से दलहन और तिलहन की फसल में बहुत नुकसान हुआ है। पहले मसूर की फसल 20 से 25 किलो तक हो जाती थी वही अब 5 से 10 किलो भी मुश्किल से होती है। सरसों की फसल भी बारिश ना होने की वजह से अच्छी नहीं हुई। गेहूँ की फसल में भी 30 % तक गिरावट हुई। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
बिहार राज्य के जिला जमुई के सोनो प्रखंड औरैया गाँव से हमारे श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से कह रहे है कि समय से वर्षा नहीं होने के कारण किसानों की खेती गेहू,चना खराब हो रही है इसके साथ ही गर्मी बहुत हो रही है जिस कारण पेड़ पौधें भी मर रहे हैं
बिहार राज्य के जिला जमुई के सोनो प्रखंड से हरिकिशोर मोबाइल वाणी के माध्यम से कह रहे है कि बदलते मौसम की वजह से बारिश समय पर नहीं हो रही है।आगे कह रहे है कि समय पर बारिश नहीं होने के कारण किसानों की खेती खराब होती जा रही है जिसे उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं।
बिहार राज्य के जिला जमुई से अंकित शर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से कह रहे है कि बदलते मौसम के वजह से लोगों के जीवन में काफी प्रभाव पड़ रहा है।आगे कह रहे है कि मौसम के अनुकूल किसानों की फसल नहीं हो पा रही है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब होती जा रही हैं। बता रहे है कि इस वर्ष वर्षा नहीं होने पर किसान सुखाड़ से काफी परेशान है किसानों के खरीफ फसल पूरी तरह से खराब हो चुकी हैं।मौसम में अचानक बदलाव लोगों के जीवन में अनेक मुसीबत ले कर आए रही हैं
बिहार राज्य के जमुई जिला के सिकंदरा प्रखंड से नरेंद्र कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से किशन कुमार से साक्षात्कार लिया है। जिसमें उन्होंने बताया कि बदलते मौसम के कारण लोगों के स्वास्थ्य एवं फसल पर पड़ रहा है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि मौसम परिवर्तन के कारण गेहूँ की फसल पछवा हवा के कारण बर्बाद हो रही है साथ में धुप और ठण्ड का भी प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि वे गेहूँ की फसल लगाए है ,जिसमें दो तीन बोरा यूरिया देते है और गनोड़ा का उपयोग नहीं करते है क्यूंकि उसके लिए वे समर्थ नहीं हैं। यूरिया से उपजाई फसल से बीमारी होने का खतरा बना रहता है इसलिए यूरिया की तुलना में गोबर खाद गनोड़ा का प्रयोग करना चाहिए