भारत जैसे देश में जहां सासंकृतिक सामाजिक और राजनीतिक असमानताओं की खाई बहुत ज्यादा गहरी है, ऐसे में यह कह पाना कि सबकुछ एक समान है थोड़ी ज्यादती है। आप हमें बताइए कि "*----- महिलाओं को नेतृत्व की भूमिकाओं में शामिल करने और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? *----- समुदाय-आधारित पहल और सामाजिक उद्यमिता गरीबी उन्मूलन में कैसे योगदान दे सकते हैं?
बिहार राज्य के जिला जमुई से रंजीत पांडेय की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से टून - टून यादव से हुई। टून - टून यादव यह बताना चाहते है कि स्थानीय स्तर पर काम नहीं मिलने के कारण महिलाएं नौकरी से दूर हो रही है। उनके गांव के समीप ही स्कूल होना चाहिए। जिससे लड़कियां पढ़ने जा सके। महिलाओं को अपनी आवाज उठानी चाहिए।
बिहार राज्य के जिला जमुई से रंजीत पांडेय की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से मुकेश कुमार यादव से हुई। मुकेश कुमार यादव यह बताना चाहते है कि उनके क्षेत्र में काम का संसाधन नहीं है जिसके कारण महिला रोजगार से वंचित रह जाती है। अगर रोजगार का अवसर मिलेगा तो महिला अच्छे तरीके से काम करेगी।
बिहार राज्य के जिला गिद्धौर से रंजीत पांडेय की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से विकास कुमार से हुई। विकास कुमार यह बताना चाहते है कि गांव की महिला को खुली छूट नहीं मिल पाती है। उनकी शिक्षा में कमी रहती है। जिसके कारण वह अपना जीवन में कुछ नहीं कर पाती है। महिला को शिक्षित होना चाहिए। अगर वह शिक्षित होगी तभी उनको रोजगार मिल पायेगा। समाज में भेद - भाव को दूर करना चाहिए। जितना पुरुष का अधिकार होता है उतना महिला को भी मिलना चाहिए।
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2024 के आम चुनाव के लिए भी पक्ष-विपक्ष और सहयोगी विरोधी लगभग सभी प्रकार के दलों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिये हैं। सत्ता पक्ष के घोषणा पत्र के अलावा लगभग सभी दलों ने युवाओं, कामगारों, और रोजगार की बात की है। कोई बेरोजगारी भत्ते की घोषणा कर रहा है तो कोई एक करोड़ नौकरियों का वादा कर रहा है, इसके उलट दस साल से सत्ता पर काबिज राजनीतिक दल रोजगार पर बात ही नहीं कर रहा है, जबकि पहले चुनाव में वह बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर ही सत्ता तक पहुंचा था, सवाल उठता है कि जब सत्ताधारी दल गरीबी रोजगार, मंहगाई जैसे विषयों को अपने घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बना रहा है तो फिर वह चुनाव किन मुद्दों पर लड़ रहा है।
तमाम गैर सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं सरकारें हर छोटी मोटी भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र देने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित कर रही हैं, जिससे की बताया जा सके कि युवाओं को रोजगार उनकी पार्टी की सरकार होने की वजह से मिल रहा है।
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सरकार का दावा है कि वह 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन दे रही है, और उसको अगले पांच साल तक दिये जाने की घोषणा की है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में यह भी दावा किया कि उनकी सरकार की नीतियों के कारण देश के आम लोगों की औसत आय में करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। इस दौरान वित्त मंत्री यह बताना भूल गईं की इस दौरान आम जरूरत की वस्तुओं की कीमतों में कितनी बढ़ोत्तरी हुई है।
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