भूमि सुधार कानूनों में संशोधन करके महिलाओं के भूमि अधिकार को सुनिश्चित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, कानूनों में यह प्रावधान किया जा सकता है कि महिलाओं को पैतृक संपत्ति में समान अधिकार होगा और विवाह के बाद भूमि का अधिकार हस्तांतरित नहीं होगा। सभी जमीनों का दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए ताकि महिलाएं अपने भूमि अधिकारों का दावा कर सकें। तब तक दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- आपके हिसाब से महिलाओं को भूमि का अधिकार देकर घर परिवार और समाज में किस तरह के बदलाव लाए जा सकते हैं? *----- साथ ही आप इस मुद्दे पर क्या सोचते है ? और आप किस तरह अपने परिवार में इसे लागू करने के बारे में सोच रहे है ?
बिहार राज्य के जिला जमुई से रंजीत पांडेय की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से टून - टून यादव से हुई। टून - टून यादव यह बताना चाहते है कि स्थानीय स्तर पर काम नहीं मिलने के कारण महिलाएं नौकरी से दूर हो रही है। उनके गांव के समीप ही स्कूल होना चाहिए। जिससे लड़कियां पढ़ने जा सके। महिलाओं को अपनी आवाज उठानी चाहिए।
बिहार राज्य के जिला जमुई से रंजीत पांडेय की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से मुकेश कुमार यादव से हुई। मुकेश कुमार यादव यह बताना चाहते है कि उनके क्षेत्र में काम का संसाधन नहीं है जिसके कारण महिला रोजगार से वंचित रह जाती है। अगर रोजगार का अवसर मिलेगा तो महिला अच्छे तरीके से काम करेगी।
बिहार राज्य के जिला गिद्धौर से रंजीत पांडेय की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से विकास कुमार से हुई। विकास कुमार यह बताना चाहते है कि गांव की महिला को खुली छूट नहीं मिल पाती है। उनकी शिक्षा में कमी रहती है। जिसके कारण वह अपना जीवन में कुछ नहीं कर पाती है। महिला को शिक्षित होना चाहिए। अगर वह शिक्षित होगी तभी उनको रोजगार मिल पायेगा। समाज में भेद - भाव को दूर करना चाहिए। जितना पुरुष का अधिकार होता है उतना महिला को भी मिलना चाहिए।
बिहार राज्य के जमुई जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता नरेंद्र कुमार ने शुभम कुमार से बातचीत की जिसमें शुभम ने जानकारी दी कि महिलाओं का शिक्षित होना बहुत जरुरी है। महिला शिक्षित होगी तो समाज में बेहतर बदलाव नजर आएगा। महिलाओं को भूमि पर अधिकार मिलना चाहिए।महिलाओं के नाम पर भी जमीन रजिस्ट्री होनी चाहिए। इससे महिलाएं आत्मनिर्भर होंगी। अपने परिवार को सहयोग कर पायेंगी। इसके साथ ही हर परिस्थिति में जीवन जीने का अनुभव भी कर पायेगी
कुछ महीने पहले की बात है, सरकार ने महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कानून बनाया है, जिससे उन्हें राजनीति और नौकरियों में आरक्षण मिलेगा, सवाल उठता है कि क्या कानून बना देने भर से महिलाओं को उनका हक अधिकार, बेहतर स्वास्थय, शिक्षा सेवाएं मिलने लगेंगी क्या? *----- शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक अवसरों तक महिलाओं की पहुंच में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं *----- महिलाओं को जागरूक नागरिक बनाने में शिक्षा की क्या भूमिका है? *----- महिलाओं को कानूनी साक्षरता और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक कैसे किया जा सकता है"
बिहार राज्य के जमुई ज़िला से नरेंद्र कुमार की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से पूर्व प्रधान आकाश सक्सेना से हुई। आकाश कहते है कि महिलाओं को सभी अधिकार होना चाहिए। महिला शिक्षित नहीं रहती है इसीलिए उन्हें अधिकार से वंचित रहना पड़ता है। अशिक्षा के कारण उनमे अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता नहीं है। अगर महिला शिक्षित होगी तो वो जागरूक बनेगी और अपने अधिकार प्राप्त कर पाएगी। महिलाओं के नाम से जमीन की रजिस्ट्री होना चाहिए। अगर महिला को जमीन अधिकार मिलेगा तो अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ा लिखा पाएगी और आत्मनिर्भर बन पाएगी।
बिहार राज्य के जमुई जिला के बरहट प्रखंड से मोबाइल वाणी के संवाददाता आशुतोष पाण्डेय ने सामाजिक कार्यकर्ता नुनेश्वर यादव से बातचीत की। जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि शिक्षा के आभाव ने महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित कर रखा है। पहले लोग लड़कियों को शिक्षा नहीं देते थे। लेकिन आज के समय में समाज लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान दे रहा है। और लड़कियों को शिक्षित कर सशक्त बनाया जा रहा है। महिलाओं को जब तक शिक्षा नहीं दिया जायेगा तब तक वे अपने अधिकारों के लिए आवाज़ नहीं उठा पाएंगी। साथ ही उन्होंने बताया कि संपत्ति में महिलाओं को बराबर का अधिकार मिले, इसके लिए सरकार कोई कुछ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है
बिहार राज्य के जमुई ज़िला से रजनीश की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से अनिल कुमार यादव से हुई। ये कहते है कि समाज में महिलाओं को जमीन पर अधिकार नहीं मिल पाता है। इसको लेकर समाज के लोगों को जागरूक करना होगा। शिक्षा के अभाव के कारण महिला अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं है। महिला जागरूक हो कर अपने अधिकार को प्राप्त कर सकती है
बिहार राज्य के जिला गिद्धौर से रंजन की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से रंजीत पांडेय से हुई। रंजीत पांडेय यह बताना चाहते है कि पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को आर्थिक क्षेत्र में ज्यादा महत्व नहीं दिया जा रहा है। महिलाओं में अभी भी शिक्षा की कमी है। समाज में असामनता को दूर करने के लिए महिला को शिक्षित करने की जरूरत है। अचल संपत्ति का हक़ महिलाओं को भी है। जमीन महिला के नाम से किया जा रहा है लेकिन जमीन का कागज़ महिला के पास नहीं होता है। पुरुष ही जमीन का कागज़ को रख लेते है। लोग समझते है कि महिला सिर्फ घर में रहकर ही काम कर सकती है। अगर महिलाओं को भूमि पर अधिकार दिया जाए तो उनमे आत्मनिर्भरता आएगी। वह अपना काम पुरे विस्वास के साथ कर सकेगी।