सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
ग्रामीण महिला सशक्तिकरण का अर्थ है ग्रामीण महिलाओं को उनके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों को प्राप्त करने में सक्षम बनाना। यह उन्हें निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करता है और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाता है। सशक्तिकरण का मतलब सिर्फ महिलाओं को शिक्षित करना या उन्हें रोजगार देना नहीं है, बल्कि उन्हें समाज में समानता का दर्जा देना भी है। महिलाओं का सशक्तिकरण समाज के समग्र विकास के लिए आवश्यक है। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो वे अपने परिवार और समुदाय के लिए बेहतर निर्णय ले सकती हैं। तब तक दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- आधी आबादी या महिलाओं को उनका पूरा हक दिया जाने से उनके जीवन सहित समाज में किस तरह के बदलाव आएगा जो एक बेहतर और बराबरी वाले समाज के निर्माण में सहायक हो सकता है? *----- साथ ही आप इस मुद्दे पर क्या सोचते है ? और आप किस तरह अपने परिवार में इसे लागू करने के बारे में सोच रहे है ?
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
भारत जैसे देश में जहां सासंकृतिक सामाजिक और राजनीतिक असमानताओं की खाई बहुत ज्यादा गहरी है, ऐसे में यह कह पाना कि सबकुछ एक समान है थोड़ी ज्यादती है। आप हमें बताइए कि "*----- महिलाओं को नेतृत्व की भूमिकाओं में शामिल करने और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? *----- समुदाय-आधारित पहल और सामाजिक उद्यमिता गरीबी उन्मूलन में कैसे योगदान दे सकते हैं?
बिहार राज्य के जिला जमुई से रंजीत पांडेय की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से टून - टून यादव से हुई। टून - टून यादव यह बताना चाहते है कि स्थानीय स्तर पर काम नहीं मिलने के कारण महिलाएं नौकरी से दूर हो रही है। उनके गांव के समीप ही स्कूल होना चाहिए। जिससे लड़कियां पढ़ने जा सके। महिलाओं को अपनी आवाज उठानी चाहिए।
बिहार राज्य के जिला जमुई से रंजीत पांडेय की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से मुकेश कुमार यादव से हुई। मुकेश कुमार यादव यह बताना चाहते है कि उनके क्षेत्र में काम का संसाधन नहीं है जिसके कारण महिला रोजगार से वंचित रह जाती है। अगर रोजगार का अवसर मिलेगा तो महिला अच्छे तरीके से काम करेगी।