कड़ी संख्या-18;अपनी जमीन, अपनी आवाज - सुरक्षित भूमि अधिकार: महिला सशक्तिकरण और खाद्य सुरक्षा की कुंजी
बिहार के नवादा जिले के एक गांव में रहने वाली फगुनिया या फिर उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के किसी गांव में रहने वाली रूपवती के बारे में अंदाजा लगाइये, जिसके पास खुद के बारे में कोई निर्णय लेने की खास वज़ह नहीं देखती हैं। घर से बाहर से आने-जाने, काम काज, संपत्ति निर्माण करने या फिर राजनीतिक फैसले जैसे कि वोट डालने जैसे छोटे बड़े निर्णय भी वह अक्सर पति या पिता से पूछकर लेती हो? फगुनिया और रूपवती के लिए जरूरी क्या है? क्या कोई समाज महज दो-ढाई महिलाओं के उदाहरण देकर उनको कब तक बहलाता रहेगा? क्या यही दो-ढ़ाई महिलाएं फगुनिया और रूपवती जैसी दूसरी करोड़ों महिलाओं के बारे में भी कुछ सोचती हैं? जवाब इनके गुण और दोष के आधार पर तय किये जाते हैं।दोस्तों इस मसले पर आफ क्या सोचते हैं अपनी राय रिकॉर्ड करें .
ग्रामीण महिला सशक्तिकरण का अर्थ है ग्रामीण महिलाओं को उनके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों को प्राप्त करने में सक्षम बनाना। यह उन्हें निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करता है और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाता है। सशक्तिकरण का मतलब सिर्फ महिलाओं को शिक्षित करना या उन्हें रोजगार देना नहीं है, बल्कि उन्हें समाज में समानता का दर्जा देना भी है। महिलाओं का सशक्तिकरण समाज के समग्र विकास के लिए आवश्यक है। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो वे अपने परिवार और समुदाय के लिए बेहतर निर्णय ले सकती हैं। तब तक दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- आधी आबादी या महिलाओं को उनका पूरा हक दिया जाने से उनके जीवन सहित समाज में किस तरह के बदलाव आएगा जो एक बेहतर और बराबरी वाले समाज के निर्माण में सहायक हो सकता है? *----- साथ ही आप इस मुद्दे पर क्या सोचते है ? और आप किस तरह अपने परिवार में इसे लागू करने के बारे में सोच रहे है ?
भारत जैसे देश में जहां सासंकृतिक सामाजिक और राजनीतिक असमानताओं की खाई बहुत ज्यादा गहरी है, ऐसे में यह कह पाना कि सबकुछ एक समान है थोड़ी ज्यादती है। आप हमें बताइए कि "*----- महिलाओं को नेतृत्व की भूमिकाओं में शामिल करने और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? *----- समुदाय-आधारित पहल और सामाजिक उद्यमिता गरीबी उन्मूलन में कैसे योगदान दे सकते हैं?
बिहार राज्य के जिला जमुई से रंजीत पांडेय की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से टून - टून यादव से हुई। टून - टून यादव यह बताना चाहते है कि स्थानीय स्तर पर काम नहीं मिलने के कारण महिलाएं नौकरी से दूर हो रही है। उनके गांव के समीप ही स्कूल होना चाहिए। जिससे लड़कियां पढ़ने जा सके। महिलाओं को अपनी आवाज उठानी चाहिए।
बिहार राज्य के जिला जमुई से रंजीत पांडेय की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से मुकेश कुमार यादव से हुई। मुकेश कुमार यादव यह बताना चाहते है कि उनके क्षेत्र में काम का संसाधन नहीं है जिसके कारण महिला रोजगार से वंचित रह जाती है। अगर रोजगार का अवसर मिलेगा तो महिला अच्छे तरीके से काम करेगी।
बिहार राज्य के जिला गिद्धौर से रंजीत पांडेय की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से विकास कुमार से हुई। विकास कुमार यह बताना चाहते है कि गांव की महिला को खुली छूट नहीं मिल पाती है। उनकी शिक्षा में कमी रहती है। जिसके कारण वह अपना जीवन में कुछ नहीं कर पाती है। महिला को शिक्षित होना चाहिए। अगर वह शिक्षित होगी तभी उनको रोजगार मिल पायेगा। समाज में भेद - भाव को दूर करना चाहिए। जितना पुरुष का अधिकार होता है उतना महिला को भी मिलना चाहिए।
कुछ महीने पहले की बात है, सरकार ने महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कानून बनाया है, जिससे उन्हें राजनीति और नौकरियों में आरक्षण मिलेगा, सवाल उठता है कि क्या कानून बना देने भर से महिलाओं को उनका हक अधिकार, बेहतर स्वास्थय, शिक्षा सेवाएं मिलने लगेंगी क्या? *----- शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक अवसरों तक महिलाओं की पहुंच में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं *----- महिलाओं को जागरूक नागरिक बनाने में शिक्षा की क्या भूमिका है? *----- महिलाओं को कानूनी साक्षरता और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक कैसे किया जा सकता है"
बिहार राज्य के जमुई जिला के बरहट प्रखंड से मोबाइल वाणी के संवाददाता आशुतोष पाण्डेय ने सामाजिक कार्यकर्ता नुनेश्वर यादव से बातचीत की। जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि शिक्षा के आभाव ने महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित कर रखा है। पहले लोग लड़कियों को शिक्षा नहीं देते थे। लेकिन आज के समय में समाज लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान दे रहा है। और लड़कियों को शिक्षित कर सशक्त बनाया जा रहा है। महिलाओं को जब तक शिक्षा नहीं दिया जायेगा तब तक वे अपने अधिकारों के लिए आवाज़ नहीं उठा पाएंगी। साथ ही उन्होंने बताया कि संपत्ति में महिलाओं को बराबर का अधिकार मिले, इसके लिए सरकार कोई कुछ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है
बिहार राज्य के जमुई ज़िला से रजनीश की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से अनिल कुमार यादव से हुई। ये कहते है कि समाज में महिलाओं को जमीन पर अधिकार नहीं मिल पाता है। इसको लेकर समाज के लोगों को जागरूक करना होगा। शिक्षा के अभाव के कारण महिला अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं है। महिला जागरूक हो कर अपने अधिकार को प्राप्त कर सकती है
बिहार राज्य के जिला गिद्धौर से रंजन की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से रंजीत पांडेय से हुई। रंजीत पांडेय यह बताना चाहते है कि पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को आर्थिक क्षेत्र में ज्यादा महत्व नहीं दिया जा रहा है। महिलाओं में अभी भी शिक्षा की कमी है। समाज में असामनता को दूर करने के लिए महिला को शिक्षित करने की जरूरत है। अचल संपत्ति का हक़ महिलाओं को भी है। जमीन महिला के नाम से किया जा रहा है लेकिन जमीन का कागज़ महिला के पास नहीं होता है। पुरुष ही जमीन का कागज़ को रख लेते है। लोग समझते है कि महिला सिर्फ घर में रहकर ही काम कर सकती है। अगर महिलाओं को भूमि पर अधिकार दिया जाए तो उनमे आत्मनिर्भरता आएगी। वह अपना काम पुरे विस्वास के साथ कर सकेगी।