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बाबू जगजीवन अस्पताल में पूरी दवाई नहीं मिलती है गरीब की कोई सुनवाई नहीं है बड़े आदमियों के पूरी सुविधा मिलती है

हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार बीस तीन सालों में दुनिया के पांच बड़े व्यापारियों की संपत्ति में दोगुने से ज्यादा का इजाफा हुआ है, जिस समय इन अमीरों की दौलत में इजाफा हो रहा था, ठीक उसी समय पांच मिलियन लोग गरीब से और ज्यादा गरीब हो रहे थे। इससे ज्यादा मजे की बात यह है कि हाल ही में दावोस में हुई वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम की बैठक में शीर्ष पांच उद्योगपतियों ने एक नई रणनीति पर चर्चा और गठबंधन किया।

इतनी सर्दी में लोगो का काम ठप पड़ गया है जिसकी वजह से वह लोग अपने कमरे का किराया नही दे पा रहे है और ना ही अपने बच्चो को भरण पोषण कर पा रहे गई

सरकार हर बार लड़कियों को शिक्षा में प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग योजनाएं लाती है, लेकिन सच्चाई यही है कि इन योजनाओं से बड़ी संख्या में लड़कियां दूर रह जाती हैं। कई बार लड़कियाँ इस प्रोत्साहन से स्कूल की दहलीज़ तक तो पहुंच जाती है लेकिन पढ़ाई पूरी कर पाना उनके लिए किसी जंग से कम नहीं होती क्योंकि लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने और पढ़ाई करने के लिए खुद अपनी ज़िम्मेदारी लेनी पड़ती है। लड़कियों के सपनों के बीच बहुत सारी मुश्किलें है जो सामाजिक- सांस्कृतिक ,आर्थिक एवं अन्य कारकों से बहुत गहरे से जुड़ा हुआ हैं . लेकिन जब हम गाँव की लड़कियों और साथ ही, जब जातिगत विश्लेषण करेंगें तो ग्रामीण क्षेत्रों की दलित-मज़दूर परिवारों से आने वाली लड़कियों की भागीदारी न के बराबर पाएंगे। तब तक आप हमें बताइए कि * -------आपके गाँव में या समाज में लड़कियों की शिक्षा की स्थिति क्या है ? * -------क्या सच में हमारे देश की लड़कियाँ पढ़ाई के मामले में आजाद है या अभी भी आजादी लेने की होड़ बाकी है ? * -------साथ ही लड़कियाँ को आगे पढ़ाने और उन्हें बढ़ाने को लेकर हमे किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ?

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मज़दूर वर्ग से जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए फैक्ट्रियों में काम कराया जा रहा है जलवायु परिवर्तन "जीवन अनमोल है" का संदेश दे रहा है जबकि व्यवस्थाएं हमें जंगलों में कंपनियों को स्थापित करने का संदेश दे रही हैं। प्राकृतिक संसाधन नष्ट करने के लिए मानव संसाधन बन गया है। संसाधन को संसाधन नष्ट कर रहें हैं। श्रोताओं क्या आपको लगता है क्या व्यस्थाए बचा रही हैं हमको दंगों से, क्या बचा रही हैं? हमको युद्धों से? क्या व्यस्थायें बचा रही हैं हमको प्रदूषण से?क्या दिला रही हैं हमें सस्ता इलाज ?क्या पढ़ा पा रहें हैं हम अपने बच्चों को उन स्कूलों में जिसमें पढ़ते हैं व्यस्थाओं के ठेकेदारों के बच्चें ? अपने विचार और सवाल हमसे जरूर साझा करें नंबर 3 दबाकर

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दिल्ली के श्री राम कॉलोनी के बी ब्लॉक ,गली नंबर 10 से हमारी श्रोता हसीन जहां ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि उन्हें पैन कार्ड बनवाना है और राशन कार्ड बना है लेकिन बेटा का नाम जुड़वाना है।