भारत का आम समाज अक्सर सरकारी सेवाओं की शिकायत करता रहता है, सरकारी सेवाओं की इन आलोचनाओं के पक्ष में आम लोगों सहित तमाम बड़े बड़े अर्थशास्त्रियों तक का मानना है कि खुले बाजार से किसी भी क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों में कंपटीशन बढ़ेगा जो आम लोगों को बेहतर सुविधाएं देगा। इस एक तर्क के सहारे सरकार ने सभी सेवाओं को बाजार के हवाले पर छोड़ दिया, इसमें जिन सेवाओं पर इसका सबसे ज्यादा असर हुआ वे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर पड़ा है। इसका खामियाजा गरीब, मजदूर और आम लोगों को भुगतना पड़ता है।

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

दिल्ली एनसीआर श्रमिक वाणी के माध्यम से रीना परवीन की बातचीत सामिया से हुई सामिया बताती है हिंदुस्तान प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में काम करती हूं हमारी फैक्ट्री में प्लास्टिक की बोतल बनती है हमारा ईएसआई कार्ड नहीं बन रहा है हमें दवाई बाजार से खरीदनी पड़ती है अपना इलाज करने के लिए प्राइवेट डॉक्टर के पास जाना पड़ता है बहुत पैसे लगते हैं क्योंकि नौकरी लगते समय हमसे कहा गया था कि आपका ईएसआई कार्ड हम बनवा कर देंगे जिसमें आप 50000 तलाक का फ्री इलाज कर सकते हैं 2 साल से अभी तक हमारा ईएसआई कार्ड अभी तक नहीं बना है

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.