दिल्ली एनसीआर के उद्योग विहार से नन्द किशोर की बातचीत श्रमिक वाणी के माध्यम से श्रमिक धर्मेंद्र से हुई। धर्मेंद्र कहते है कि सैलरी पर काम करने पर कंपनी से श्रमिकों के ऊपर दबाव रहता है। ज़्यादा से ज़्यादा कंपनी को समय देना पड़ता है। काम ख़त्म हो जाने पर भी कंपनी पर बैठना पड़ता है। वहीं पीस रेट में काम रहने पर ही काम करते है और नहीं रहने पर वो अपने अनुसार रहते है। काम अनुसार पीस रेट में काम करना अच्छा है। सैलरी और पीस रेट में ज़्यादा फर्क नहीं है केवल एक दो हज़ार की घटी बढ़ी रहती है। सैलरी में काम करने पर बंधन है। पीस रेट और सैलरी में दोनों तरफ़ से एडवांस में पैसा मिल जाता है साथ ही दोनों काम सुरक्षित है । कंपनी में सैलरी में काम करना अच्छा है। पीस रेट में ठेकेदारी को लेकर डर रहता है वहीं कंपनी में ऐसा डर नहीं रहता और कंपनी का काम ठेकेदार के माध्यम से भी सुरक्षित है। धर्मेंद्र पीस रेट पर काम करते हो तो इनका पीएफ व ईएसआई की सुविधा मिलती है
दिल्ली एनसीआर उद्योग विहार से नन्द किशोर प्रसाद साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कंपनी में काम करने वाले श्रमिक जशपाल से कंपनियों में काम के दौरान होने वाले हादसों के बारे में चर्चा कर रहे हैं। जहाँ जशपाल ने बताया कि कंपनियों में श्रमिकों को खतरा जैसे जगहों पर नहीं जाना चाहिए और सावधान रहना चाहिए।
दिल्ली उद्योग विहार से नन्द किशोर प्रशाद ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि सरकार द्वारा लाये गए चार कानून के खिलाफ ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल की घोषणा की है।
दिल्ली एनसीआर के उद्योग विहार से नन्द किशोर ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि उन्होंने दिनांक 12 फ़रवरी 2022 को साझा मंच में एक ख़बर प्रसारित किया था जिसमें एक श्रमिक अमित अपने साक्षात्कार में बताया था कि ऋचा एंड कंपनी के 60 श्रमिकों का ओवरटाइम का बकाया पैसा एचआर द्वारा नहीं दिया जा रहा था।कई बार बकाया वेतन की माँग करने पर आनाकानी की जा रही थी। इस ख़बर को मोबाइल वाणी में प्रसारित कर कंपनी के एच आर व आलाधिकारियों के साथ साझा किया गया। जिसका असर यह हुआ कि अब श्रमिकों का बकाया पेमेंट मिल चुका है। इससे श्रमिक काफ़ी खुश है।
दिल्ली एनसीआर के गुरुग्राम उद्योगविहार फेज 2 से नन्द किशोर की बात साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से श्रमिक अमित कुमार से हुई। अमित बताते है कि ऋचा एक्सपोर्ट कंपनी एचआर उन्हें ओवरटाइम का पैसा नहीं दे रहे है। कम से कम 60 श्रमिकों का पेमेंट रुका है। दो घंटा का डबल ओवरटाइम मिलता है और बाकि सिंगल है। एक महीना का आधा ओवरटाइम का पैसा दे कर आधा पैसा रोके हुए है।
दिल्ली एनसीआर के उद्योग विहार फेज 5 से नन्द किशोर की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से श्रमिक पंकज से हुई। पंकज बताते है कि वो लगभग आठ साल से मारुती इंडस्ट्रियल एरिया सेक्टर 18 स्थित ओरिएंट क्राफ्ट सेवन डी कंपनी में कार्य करते थे। कोरोना काल में कंपनी बंद हो गया लेकिन पीएफ की समस्या उत्पन्न हो रही है। कंपनी से रिजाइन दिए,रिजाइन तो सेट हो गया लेकिन अब तक हिसाब नहीं मिला। अब तक कंपनी से हिसाब के लिए कोई सूचना नहीं मिली। ओरिएंट क्राफ्ट सेवन डी में लगभग 3,500 श्रमिक है जिनका कंपनी से हिसाब लेना बाकी है। कोरोना काल में कंपनी द्वारा कोई सहायता नहीं मिली। कंपनी में बात करने पर वो हिसाब तो बता दिए पर कब तक पैसा मिलेगा वो नहीं बताया। अगर कंपनी कुछ नहीं देगी तो लेबर कोर्ट में केस करेंगे कि अब तक रिजाइन देने के बाद ग्रेच्युटी का हिसाब नहीं मिला
दिल्ली एनसीआर के उद्योगविहार से नन्द किशोर ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि श्रमिकों का कहना है कि महँगाई दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और वेतन घट रहा है। महिलाओं का कहना है कि आठ घंटे के काम पर सात से आठ हज़ार मुश्किल से मिल पाता है। इन्हे खड़े हो कर भी काम करना पड़ता है जिस कारण उन्हें शारीरिक समस्या भी होती है। ठेकेदारों द्वारा सही से वेतन नहीं दिया जाता है। जिस तरह हरियाणा सरकार के तय न्यूनतम वेतन अनुसार रेट मिलना चाहिए ,वो मिल नहीं पाती है और श्रमिक इसकी शिकायत भी नहीं कर पाते है। ठेकेदार श्रमिकों की मज़बूरी का फ़ायदा उठा कर अपना मुनाफ़ा कमाते है। महिलाएँ अधिकतर काम ठेकेदारी के माध्यम से ही करते है और इन्हे वेतन बहुत कम मिलता है। कम वेतन में अभी के महँगाई के ज़माने में गुज़ारा करना मुश्किल है
दिल्ली एनसीआर के गुरुग्राम रोड से नन्द किशोर की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से निखिल कुमार से हुई। निखिल कुमार कहते है कि वो लेबर चौक ठेकेदारी के माध्यम से काम करते है। 12 घंटे के काम में 400 रूपए दिहाड़ी मिलती है। कार्यक्षेत्र में कोई सुरक्षा की सुविधा नहीं मिलती है। सप्ताह में ठेकेदार द्वारा दिहाड़ी मिलती है लेकिन कभी ठेकेदार द्वारा पैसे नहीं दिया जाता है। एक बार कई दिनों तक काम किये थे और ठेकेदार ने सात हज़ार रूपए नहीं दिए थे। कही भी काम करने जाते है तो ठेकेदार द्वारा सुरक्षा के कोई साधन उपलब्ध नहीं करवाते है। अपने से ही ले जाना पड़ता है ,सिर पर बोझ ढोने के लिए पगड़ी ले जाते है। एक साल से यह काम कर रहे है ,कभी काम मिलता है तो कभी नहीं मिलता है। गोरखपुर में काम नहीं मिलता है इसलिए शहर आये है। शहर में रूम रेंट ,बिल आदि मिला कर तीन हज़ार होता है जिसे महीने में निकालना बहुत मुश्किल होता है। खाने पीने का जुगाड़ उधारी में चलाते है। लेबर कार्ड बना हुआ है ,जिसमे कुछ पैसे आते है ,उसी से जीवन चल रहा है
दिल्ली एनसीआर से हमारे संवाददाता की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से श्रमिक से हुई। श्रमिक बताते है कि वो 2011 से काम कर रहे है,बिहार के रहने वाले है । श्रमिकों ने लॉक डाउन के बाद से दिहाड़ी कम हो गई है। पीस रेट में सही से काम नहीं मिल रहा है। पहले से बहुत बुरा हाल है। श्रमिक से अगर मशीनों का नुकसान होगा तो श्रमिकों के वेतन से काटा जाएगा ,इससे श्रमिकों का ही घाटा है। पुराने मशीन से ही काम हो रही है ,नियम के अनुसार अभी कंपनी से जानकारी नहीं मिली है। इस मसौदे के बारे में जानकारी नहीं मिली है। हफ़्ते में कोई छुट्टी निर्धारित नहीं रहती है। अगर छुट्टी लेते है तो इसके पैसे काटे जाते है।जाँच के लिए अगर श्रम इंस्पेक्टर आते भी है तो श्रमिकों से वार्तालाप नहीं हो पाता है। कानून का कोई मायने नहीं है। अन्य श्रमिक कहते है कि हरियाणा श्रम मसौदा ,श्रमिकों के हित में नहीं है। इसमें ठेकेदारी को बढ़ावा दिया गया है। श्रमिकों के हित में क़ानून हो ,इसको लेकर सरकार को संशोधन करना चाहिए। अगर काम करते है तभी ही वेतन मिल पाता है। क़ानून ज़मीनी स्तर पर लागू नहीं हो पाते है
दिल्ली एनसीआर से श्रमिक साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कह रहे है कि हरियाणा उद्योग विहार में काम कर रहे श्रमिकों ने हरियाणा श्रम मसौदे 2021 को मज़दूरों के खिलाफ बताया है ।साथ ही कह रहे है कि कंपनियों और सरकारी विभागों की मिली भगत से कानून के तहत श्रमिकों को उनका अधिकार नहीं मिलता है जिस वजह से उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं। बता बता रहे है कि कई कंपनियां ऐसी है जहाँ मज़दूरों को कानून के बारे जानकारी नहीं दी जाती है जिसके कारण मजदूर अपने हक़ से वंचित रह जाते हैं