देश में इस समय माहौल चुनावी है और राजनीति हावी है। यह चुनाव अहम है क्योंकि पिछले कुछ साल भारतीय राजनीति के लिए अप्रत्याशित रहे हैं। इस दौरान ऐसा बहुत कुछ हुआ जो पहले लोकतंत्र के लिए अनैतिक कहा जाता था।

समाहरणालय जमुई स्थित संवाद कक्ष में लोक सभा निर्वाचन 2024 के अवसर पर जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिला पदाधिकारी श्री राकेश कुमार की अध्यक्षता में सभी मान्यता राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक आहूत की गई l

गुजरे जमाने के मशहूर समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया कहते थे अगर देश को सही रास्ते पर चलाना है तो मजबूत विपक्ष का आवश्यकता है, वर्ना सरकार निरंकुश हो जाएगी। जिसको हम आज की वर्तमान परिस्थितियों में देख और महसूस कर सकते हैं। देश की एक प्रमुख और सबसे बड़े विपक्षी दल का बैंक खाता सीज कर दिया गया है, जबकि चुनाव की तारीखों की घोषणा हो चुकी है, हां अगर सरकार की मंशा ही है कि उसके अलावा देश के बाकी राजनीतिक दल चुनाव ही न लड़ें तो फिर बात ही अलग है।

भारत में शादी के मौकों पर लेन-देन यानी दहेज की प्रथा आदिकाल से चली आ रही है. पहले यह वधू पक्ष की सहमति से उपहार के तौर पर दिया जाता था। लेकिन हाल के वर्षों में यह एक सौदा और शादी की अनिवार्य शर्त बन गया है। विश्व बैंक की अर्थशास्त्री एस अनुकृति, निशीथ प्रकाश और सुंगोह क्वोन की टीम ने 1960 से लेकर 2008 के दौरान ग्रामीण इलाके में हुई 40 हजार शादियों के अध्ययन में पाया कि 95 फीसदी शादियों में दहेज दिया गया. बावजूद इसके कि वर्ष 1961 से ही भारत में दहेज को गैर-कानूनी घोषित किया जा चुका है. यह शोध भारत के 17 राज्यों पर आधारित है. इसमें ग्रामीण भारत पर ही ध्यान केंद्रित किया गया है जहां भारत की बहुसंख्यक आबादी रहती है.दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- दहेज प्रथा को लेकर आप क्या सोचते है ? और इसकी मुख्य वजह क्या है ? *----- समाज में दहेज़ प्रथा रोकने को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ? *----- और क्यों आज भी हमारे समाज में दहेज़ जैसी कुप्रथा मौजूद है ?

चुनावी बॉंड में ऐसा क्या है जिसकी रिपोर्ट सार्वजनिक होने से बचाने के लिए पूरी जी जान से लगी हुई है। सुप्रीम कोर्ट की डांट फटकार और कड़े रुख के बाद बैंक ने यह रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंप दी, अब चुनाव आयोग की बारी है कि वह इसे दी गई 15 मार्च की तारीख तक अपनी बेवसाइट पर प्रकाशित करे।

दोस्तों, यह साल 2024 है। देश और विश्व आगे बढ़ रहा है। चुनावी साल है। नेता बदले जा रहे है , विधायक बदले जा रहे है यहाँ तक की सरकारी अधिकारी एसपी और डीएम भी बदले जा रहे है। बहुत कुछ बदल गया है सबकी जिंदगियों में, लेकिन महिलाओं की सुरक्षा आज भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है। देश की सरकार तो एक तरफ महिला सशक्तिकरण का दावा करती आ रही है, लेकिन हमारे घर में और हमारे आसपास में रहने वाली महिलाएँ आखिर कितनी सुरक्षित हैं? आप हमें बताइए कि *---- समाज में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ? *---- महिलाओं को सही आज़ादी किस मायनों में मिलेगी ? *---- और घरेलू हिंसा को रोकने के लिए हमें क्या करना चाहिए ?

देश की राजनीति और चुनावों पर नजर रखने वाली गैर सरकारी संस्था एडीआर के अनुसार लगभग 40 फीसदी मौजूदा सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से 25 फीसदी ने उनके खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे गंभीर आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा अपने शपथ पत्र में की है। सांसदों के आपराधिक रिकॉर्ड का विश्लेषण उनके ही द्वारा दायर किये शपथ पत्रों के आधार पर किया गया है। अगर संख्या के आधार पर देखा जाए तो मोजूदा संख्या 763 लोकसभा और राज्यसभा) में से 306 सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। जिनमें से 194 पर गंभीर आपराधिक मामले हैं जिसमें हत्या, लूट और रेप जैसे गंभीर मामले हैं। जिनमें अधिकतम सजा का प्रावधान किया गया है।

एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?

बीजेपी में हजारों समर्थकों के संग शामिल हुईं डॉ. स्मृति। सम्राट चौधरी ने दिलाई पार्टी की सदस्यता। बेतिया प्रक्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) जयंतकांत की धर्मपत्नी एवं जानी-मानी समाजसेविका डॉ. स्मृति पासवान ने शुक्रवार को अपने हजारों समर्थकों के संग भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी नई दिल्ली से उच्च शिक्षा प्राप्त डॉ.पासवान अब तक बतौर कुशल गृहणी और प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जानी जाती है। वह अब भारतीय जनता पार्टी से जुड़कर राजनीतिक जीवन की शुरुआत कर रही हैं। पार्टी में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा कि बीजेपी में भारतीय और जनता दोनों ही मेरी प्राथमिकता है। भारत माता की रक्षा और जनता के लिए हितकारी कार्य ही उनका उद्देश्य है। यही दो कारकों के चलते उन्होंने राजनीति में आने के लिए प्रेरित हुई। अंकित करने वाली बात है कि पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में संत शिरोमणि रविदास जयंती समारोह में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने डॉ. स्मृति पासवान को पार्टी की सदस्यता दिलाई। पार्टी में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा कि बीजेपी का नारा है " सपने नहीं हम हकीकत को बुनते हैं - तब ही तो सभी मोदी को चुनते हैं। " उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का परिवार बनने पर गर्व महसूस करते हुए कहा कि अब एक कार्यकर्त्ता के रूप में और बेहतर तरीके से समाज की सेवा कर सकूंगी। बिहार प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष सह राज्य के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने संत शिरोमणि रैदास जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पहले लालू जी कहते थे , राजद माय की पार्टी है अब उनके पुत्र कहते हैं कि राजद बाप की पार्टी है। सही है राजद इनकी ही पार्टी है। लेकिन भाजपा लोकतांत्रिक पार्टी है। श्री चौधरी ने कहा कि लालू प्रसाद पहले कहते थे कि रानी के पेट से राजा पैदा नहीं होगा लेकिन अब कहते हैं कि रानी के पेट से ही राजा पैदा होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आज लोगों का सपना पूरा करने का कार्य कर रहे हैं। रविदास जी के विचारों को आगे लेकर चलना है। वहीं सम्राट चौधरी ने तंज कसते हुए कहा कि आरजेडी में 2जी यानी दो जेनरेशन चल रहा है। पहले मां , पिता थे अब बेटा भी आ गया। इसी तरह तमिलनाडु में 3जी वाले भी हैं। कांग्रेस में तो 4जी हैं , पंडित नेहरू , इंदिरा गांधी , राजीव गांधी और अब राहुल गांधी आ गए हैं। उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि संत रविदास जी ने समाज की दूरियों को दूर करने का प्रयास किया है। उन्होंने उनके विचारों को आत्मसात किए जाने की अपील की। मंत्री प्रेम कुमार , रवि शंकर प्रसाद , शनवाज हुसैन , भिखु भाई , रामप्रीत पासवान , जनक राम , शिवेश राम आदि ने समारोह में हिस्सा लिया और डॉ. स्मृति पासवान एवं उनके हजारों समर्थकों को बीजेपी में शामिल कराया। उधर डॉ. स्मृति पासवान करीब 500 मोटर साइकिल और 100 से अधिक चार पहिया वाहन के साथ पटना स्थित श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल पहुंची। उनके समर्थक रास्ते में गगनभेदी नारे लगा रहे थे। सदस्यता ग्रहण करने के बाद डॉ. पासवान को समर्थकों ने पुष्पहार पहनाकर उनका मनोबल बढ़ाया और उनके स्वर्णिम भविष्य की कामना की। जमुई से डॉ. बी. अभिषेक , रूपेश कुमार सिंह , अशोक कुमार सिन्हा , ललन राम , प्रशांत जी , सत्यजीत मेहता , गुंजन , प्रवीण , मो. खुर्शीद आलम , गरीब मियां , काजल , अंजली , सुनीता , गीता , मंजीत , गुड़िया , लक्ष्मी , श्रीयंका , रामाधीन पासवान , कृष्णकांत मिश्र , भुवनेश्वर यादव , लल्लू बरनवाल समेत भारी संख्या में समर्थक पटना में मिलन समारोह में हिस्सा लिया और डॉ. पासवान के नेतृत्व में पूर्ण आस्था प्रकट की।

घरेलू हिंसा सभ्य समाज का एक कड़वा सच है।आज भले ही महिला आयोग की वेबसाइट पर आंकड़े कुछ भी हो जबकि वास्तविकता में महिलाओं पर होने वाली घरेलु हिंसा की संख्या कई गुना अधिक है। अगर कुछ महिलाएँ आवाज़़ उठाती भी हैं तो कई बार पुलिस ऐसे मामलों को पंजीकृत करने में टालमटोल करती है क्योंकि पुलिस को भी लगता है कि पति द्वारा कभी गुस्से में पत्नी की पिटाई कर देना या पिता और भाई द्वारा घर की महिलाओं को नियंत्रित करना एक सामान्य सी बात है। और घर टूटने की वजह से और समाज के डर से बहुत सारी महिलाएं घरेलु हिंसा की शिकायत दर्ज नहीं करतीं। उन्हें ऐसा करने के लिए जो सपोर्ट सिस्टम चाहिए वह हमारी सरकार और हमारी न्याय व्यवस्था अभी तक बना नहीं पाई है।बाकि वो बात अलग है कि हम महिलाओं को पूजते ही आए है और उन्हें महान बनाने का पाठ दूसरों को सुनाते आ रहे है। आप हमें बताएं कि *-----महिलाओं के साथ वाली घरेलू हिंसा का मूल कारण क्या है ? *-----घरेलू हिंसा को रोकने के लिए हमें अपने स्तर पर क्या करना चाहिए? *-----और आपने अपने आसपास घरेलू हिंसा होती देखी तो क्या किया?