इस कार्यक्रम में हम जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम और असमान बारिश के पैटर्न से उत्पन्न हो रहे जल संकट पर चर्चा करेंगे। "मौसम की मार, पानी की तकरार" से लेकर "धरती प्यासी, आसमान बेपरवाह" जैसे गंभीर मुद्दों पर गहराई से विचार किया जाएगा। हम समझेंगे कि कैसे सूखा और बाढ़ दोनों ही हमारे जल संसाधनों को प्रभावित कर रहे हैं, और इन समस्याओं से निपटने के लिए सामूहिक और व्यक्तिगत स्तर पर क्या समाधान हो सकते हैं। हम आपसे जानना चाहते हैं – आपके इलाक़े में पानी की क्या स्थिति है? क्या आपने कोई जल संरक्षण के उपाय अपनाए हैं? या आप इस दिशा में कोई क़दम उठाने की सोच रहे हैं?
इस कार्यक्रम में हम जानेंगे कि कैसे गाँव के लोग मिलकर अपने समुदाय को मजबूत बना रहे हैं। जल संरक्षण, ऊर्जा बचत और आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सामूहिक प्रयासों की ताकत को समझेंगे। साथ ही, यह भी जानेंगे कि कैसे छोटे-छोटे कदम मिलकर बड़े बदलाव ला सकते हैं और गाँव के विकास में योगदान दे सकते हैं। क्या आपके समुदाय में ऐसे समूह हैं जो जल संरक्षण, आपदा प्रबन्धन या संसाधन प्रबन्धन पर काम करते हैं? अगर हाँ, तो हमें बताएं कि वे कैसे काम करते हैं? और अगर नहीं, तो इस कार्यक्रम को सुनने के बाद क्या आप अपने समुदाय में ऐसे सामूहिक प्रयास शुरू करने के लिए तैयार हैं?
यह एपिसोड बदलते मौसम और असामान्य बारिश के कारण कृषि क्षेत्र पर पड़ने वाले विभिन्न प्रभावों की व्यापक चर्चा करता है। फसल उत्पादन, मिट्टी की गुणवत्ता, पानी प्रबंधन और किसानों की आजीविका पर पड़ने वाले असर का विस्तृत विवरण दिया गया है। साथ ही, इन चुनौतियों से निपटने के लिए किसानों द्वारा अपनाए जा रहे समाधानों और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया है।
यह कार्यक्रम मौसम में आ रहे बदलावों और उनसे हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ने वाले प्रभावों पर केंद्रित है। इसमें बारिश के अनिश्चित पैटर्न से उत्पन्न चुनौतियों और उनके संभावित समाधानों पर चर्चा की गई। कार्यक्रम में यह भी बताया जाएगा कि कैसे ये बदलाव किसानों से लेकर शहरी नागरिकों तक, सभी के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। आपने और आपके आसपास के लोगों ने बदलते बारिश के पैटर्न के बारे में क्या अनुभव किया है? क्या आपको या आपके जानने वालों को इससे कोई चुनौती झेलनी पड़ी है?
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बिहार राज्य के जमुई जिला के पोहे पंचायत से दुर्गेश प्रसाद मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि उनका सुखाड़ का पैसा अभी तक खाता में नहीं आया है
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बिहार राज्य के जमुई जिला से योगेंदर प्रसाद यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से ग्रीन हाउस प्रभाव के चलते अनेक क्षेत्रों में औसत तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई है 1000 वर्षों की तुलना में सर्वाधिक होगी वहीं 2022 में देखने को मिल रही है। कई क्षेत्रों में सुखाड़ घोषित किया गया है खरीफ फसल की पैदावार नहीं हुई है और धान की खेती तो ना के बराबर हुई है ,अभी रबी फसल है जो कि ये भी जलवायु परिवर्तन का ही प्रभाव है। वर्षा के प्रभाव से जलवायु परिवर्तन के परिणामसवरुप दुनिया की मानसून क्षेत्र में वर्षा में वृद्धि होगी जिस कारण बाढ़ ,भूमि अपरदन जैसी समस्या पैदा होगी। जल की गुणवत्ता में गिरावट आएगी ताजे जल की आपूर्ति पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। नदी के कटाव से पानी की भी किल्लत होगी पानी की सतह निचे चली जाएगी। इससे लोगो को प्रदूषित जल पिने के लिए विवश होना होगा जो की जलवायु परिवर्तन का ही कारण है। जलवायु परिवर्तन जल स्रोत को भी प्रभावित करेगा। जलवायु परिवर्तन के कारण धुर्वी बर्फ के पिघलने के कारण विश्व का औसत समुद्री जल स्तर 21वीं शताब्दी के अंत तक 9 से 88 सेंटीमीटर बढ़ने की संभावना है। जिससे दुनिया की आधी से अधिक आबादी समुद्र से 60 किलोमीटर की दुरी पर रहती है विपरीत प्रभाव पड़ेगा। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कृषि पर भी पड़ रहा है और पड़ेगा।
बिहार राज्य के जमुई जिला के सोनो प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता योगेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि जलवायु परिवर्तन से बढ़ रहा है, इस कदर लोगों को काफी परेशानी हो रही है। जलवायु परिवर्तन से मानव जीवन के हर पहलुओं के लिए ख़तरा बन चुका है। अगर इस पर ग़ौर नहीं किया गया इसे यूं ही छोड़ दिया गया तो आने वाले समय में तापमान इस कदर बढ़ जाएगा कि मानव जीवन पर संकट आ सकता है। भयावह सूखा पड़ सकता है समुद्री जलस्तर बढ़ सकता है इन सब प्राकृतिक आपदाओं की कई प्रजातियां विलुप्त हो सकती है। मानव जीवन के आगे बड़ी चुनौती है संभावित समाधान भी है।
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