बिहार राज्य के जमुई जिला से योगेंदर प्रसाद यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से ग्रीन हाउस प्रभाव के चलते अनेक क्षेत्रों में औसत तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई है 1000 वर्षों की तुलना में सर्वाधिक होगी वहीं 2022 में देखने को मिल रही है। कई क्षेत्रों में सुखाड़ घोषित किया गया है खरीफ फसल की पैदावार नहीं हुई है और धान की खेती तो ना के बराबर हुई है ,अभी रबी फसल है जो कि ये भी जलवायु परिवर्तन का ही प्रभाव है। वर्षा के प्रभाव से जलवायु परिवर्तन के परिणामसवरुप दुनिया की मानसून क्षेत्र में वर्षा में वृद्धि होगी जिस कारण बाढ़ ,भूमि अपरदन जैसी समस्या पैदा होगी। जल की गुणवत्ता में गिरावट आएगी ताजे जल की आपूर्ति पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। नदी के कटाव से पानी की भी किल्लत होगी पानी की सतह निचे चली जाएगी। इससे लोगो को प्रदूषित जल पिने के लिए विवश होना होगा जो की जलवायु परिवर्तन का ही कारण है। जलवायु परिवर्तन जल स्रोत को भी प्रभावित करेगा। जलवायु परिवर्तन के कारण धुर्वी बर्फ के पिघलने के कारण विश्व का औसत समुद्री जल स्तर 21वीं शताब्दी के अंत तक 9 से 88 सेंटीमीटर बढ़ने की संभावना है। जिससे दुनिया की आधी से अधिक आबादी समुद्र से 60 किलोमीटर की दुरी पर रहती है विपरीत प्रभाव पड़ेगा। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कृषि पर भी पड़ रहा है और पड़ेगा।