दिल्ली मानेसर से दीपक और इसके साथ एक श्रमिक है वे साझा मंच के माध्यम से बताते हैं कि हरियाणा सरकार द्वारा श्रमिकों के वेतन में बढ़ोतरी कर दी गई है लेकिन इसे कंपनियों में लागु नहीं किया गया है। वेतन बढ़ोतरी के लिए सभी मजदूरों ने हड़ताल किया है

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उद्योग विहार, गुरुग्राम में सोनू साझा मंच मोबाईल वाणी के माध्यम से ई-रिक्शा चालक भोला प्रसाद और चाय की दुकान चलाने वाले आलम से बात कर बता रहे हैं कि लॉक डाउन के बाद अभी अधिकांश मज़दूर वापस नहीं आए हैं और उनका पिछले महीनों का वेतन भी फँसा हुआ है। मज़दूरों के न आने से चाय की दुकान भी नहीं चल रही है। इस वजह से जीवन-यापन में बहुत समस्या हो रही है। इस लॉक डाउन के दौरान किसी भी सरकार से कोई मदद नहीं मिली।

गुरुग्राम से सोनू साझा मंच मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि लॉक डाउन के बाद न्यायालय के तमाम निर्देशों के बावजूद कामगारों की स्थिति ठीक नहीं है। एक कामगार मल्लिका महजबीं इनसे बात कर बता रही हैं कि अचानक हुए लॉक डाउन की वजह से इनको खाने-पीने से लेकर रुपए-पैसे की बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा, अप्रैल-मई का वेतन भी नहीं मिला, मकान मालिक ने किराए में कोई छूट नहीं दी, सरकार के तमाम दावों के बावजूद कहीं से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली, लेकिन लॉक डाउन के बाद काम शुरू होने से अब स्थिति कुछ बेहतर हुई है।

गुरुग्राम से सोनू साझा मंच मोबाईल के माध्यम से बता रहे हैं कि लॉक डाउन में हर सरकार ने श्रमिकों को आश्वासन दिया कि आप जहाँ हैं, वहीं रहें, आपको सारी सुविधाएँ मुहैया करवायी जाएँगीं। लेकिन श्रमिकों को कहीं से कोई सुविधा नहीं मिली। मजबूरी में लोगों को तमाम परेशानियों को झेलते हुए अपने घरों को जाना पड़ा। इनकी बाद का समर्थन करते हुए एक कामगार आरती भी बता रही हैं कि आवेदन करने की सारी प्रक्रिया के बाद भी इन्हें सिर्फ़ इसलिए राशन नहीं मिला, क्योंकि इनका आधार कार्ड हरियाणा का न होकर बिहार का था।

गुरुग्राम से सोनू साझा मंच मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि गुरुग्राम भारत का बहुत तेज़ी से विकसित होनेवाला शहर, है लेकिन कोरोना संक्रमण ने इस शहर का हाल-बेहाल कर दिया। बिहार के रहनेवाले फुटकर सब्ज़ी विक्रेता जितेंद्र सोनू को बता रहे हैं कि लॉक डाउन में सब्ज़ी बिकती नहीं है, माकां मालिक किराये में कोई छूट नहीं देते, समझ नहीं आ रहा कि यहाँ रहें कि गाँव चले जाएँ! सात लाख श्रमिकों के आवेदन करने के बाद भी इन्हें कहीं से कोई मदद नहीं मिली। यहाँ दुकानों के खुलने का कोई समय नहीं है, पुलिस ने भी परेशान कर रखा है। जो श्रमिक यहाँ से पैदल घर गए हैं, वे फिर कभी यहाँ न आने की क़सम खा रहे हैं। सरकार की तरफ़ से इन श्रमिकों को राहत देने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। अगले चार-पाँच महीनों में अगर हालात नहीं सुधरे, तो मजबूरी में सब छोड़कर गाँव जाना होगा।

ये ध्रुव आईएमटी, मानेसर से एक कामगार पंकज कुमार से बात कर साझा मंच मोबाईल वाणी को बता रहे हैं कि ये तीन महीने से ख़ाली बैठे हुए हैं, इनको कम्पनी ने काम से निकाल दिया है और मकान मालिक किराए के लिए परेशान कर रहा है। इस कारण पैसे न होने से ये बिहार, अपने घर वापस जाना चाहते हैं। वहाँ जाकर काम से काम बीमारी से तो बच जाएँगे। ज़िंदा रहे तो फिर कमा लेंगे और अभी हरियाणा वापस नहीं आएँगे। ये सरकार से अपने जैसों की मदद के लिए कुछ करने का निवेदन कर रहे हैं।

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दिल्ली, एनसीआर, बहादुरगढ़, हरियाणा से साझा मंच मोबाईल वाणी के सम्वाददाता मनोहर लाल कश्यप बता रहे हैं कि चौबीस मई को बहादुरगढ़, हरियाणा, लाईनपार में कुछ शिक्षक आकर फार्म भरने को दे गए और सत्ताईस मई को फ़ॉर्म लेने आए। राशन कब मिलेगा? पूछने पर बोले कि हमें नहीं पता, हम सिर्फ़ अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। एक महीने पहले भी वहाँ ऐसा ही फ़ॉर्म भरवाया गया था, लेकिन आजतक राशन नहीं मिला। हरियाणा सरकार हर मोर्चे पर विफल है।