तमिलनाडु राज्य के तिरुपुर ज़िला के सिडको से लता ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि उन्होंने एक कंपनी में कार्य किया है ,जहाँ उनका तीन महीनें पीएफ कटा है। वो जानना चाहती है कि क्या उन्हें ये तीन महीने का कटा हुआ पीएफ का पैसा मिलेगा ?

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आप अपने पीएफ के पैसे को दो महीने बाद यह कह कर निकाल सकते हैं कि आप बेरोजगार हैं। लेकिन अगर आपने छः महीने से कम काम किया है, तो आप केवल ईपीएफ "कर्मचारी भविष्य निधि" का पैसा निकाल पाएंगे, ईपीएस "कर्मचारी पेंशन योजना" का पैसा नहीं निकाल पाएंगे। लेकिन आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। अगर आप फिर से काम करना शुरू कर छः महीने की सेवा पूरी कर लेते हैं, तो आप पूरी राशि निकाल पाएंगे। तब तक ईपीएस "कर्मचारी पेंशन योजना" का पैसा आपके पीएफ खाते में ही रहेगा।
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Aug. 25, 2020, 5:15 p.m. | Tags: govt entitlements   int-PAJ   pension   workplace entitlements  

ये सिडको, तिरपुर से साझा मंच मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि इस वक्त फैक्ट्रियों में काम करने वाले सभी कामगारों को मास्क लगाना बहुत ही जरूरी है, लेकिन कुछ कामगार मास्क नहीं लगाते हैं।पुलिस द्वारा अचानक की गयी जाँच में एक कम्पनी के दस कामगार बिना मास्क लगाए काम करते हुए मिले। इस वजह से इन दसों कामगारों के हिसाब से प्रति कामगार एक हज़ार रुपए का जुर्माना कम्पनी पर लगाया गया।

ये तिरपुर, सिडको से साझा मंच मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि सिडको में इकत्तीस साल की एक महिला अपने बच्चे के साथ कोरोना पाजिटिव पाई गयी हैं, जिससे लोगों में भय व्याप्त है। लेकिन इसके बाद भी लोग लापरवाही बरत रहे हैं। सबसे इनका निवेदन है कि कोरोना-संक्रमण के इस दौर में लापरवाही न बरतें और कोरोना से बचाव के सभी ज़रूरी उपाय करते रहें।

सिडको, तिरपुर, तमिलनाडु से मीना कुमारी साझा मंच मोबाईल वाणी को बता रही हैं कि जितने भी प्रवासी कामगार यहाँ पर अभी तक रूके हुए हैं, उन्हें एक फ़ॉर्म दिया गया है और बताया गया है कि हर राज्य सरकार अपने-अपने प्रवासियों को आर्थिक मदद कर रही है। इसलिए सभी को अपना नाम, आधार कार्ड नम्बर, उम्र, पता इत्यादि भर कर जमा करना है, तो जल्दी करें।

तिरपुर, तमिलनाडु से आठवीं पास प्रीतम मंडल साझा मंच मोबाईल वाणी के माध्यम से अरूण से बात कर बता रहे हैं कि इनके गाँव में मनरेगा का काम चलता है साल में सौ दिन। इनके रिश्तेदार तिरपुर में हैं, इसलिए ये भी यहीं आकर हेल्पर का काम कर रहे हैं। लॉक डाउन में कम्पनी से एक बार और सरकार से दो बार राशन मिला, जो तौलकर नहीं दिया गया था, लेकिन अनुमानित रूप से पंद्रह किलो चावल, एक किलो दाल और एक लीटर दाल एक पैकेट में था। कोरोना-संक्रमण की बढ़ती हुई रफ़्तार को देखते हुए दुबारा लॉक डाउन लागने का डर लग रहा है, इसलिए अब घर जाना चाहते हैं। लॉक डाउन के बाद कहाँ जाना है, उस समय तय करेंगे। किसके नसीब में क्या है, कौन जानता है!

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सिडको से एसo केo राय साझा मंच मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि बच्चे की दसवीं की होनेवाली परीक्षा के कारण तमाम परेशानियों को झेलते हुए भी यहाँ रहना पड़ रहा है। लॉक डाउन में किसी तरह उधार लेकर काम चला रहे हैं। यहाँ जिन कम्पनियों में काम शुरू हुआ है, वे भी सिर्फ़ तमिल लोगों को ही रख रही हैं और हिन्दीभाषी लोगों को काम नहीं होने का बहाना बना दे रही हैं।

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