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तमिलनाडु राज्य के तिरुपुर ज़िला के सिडको से मीना कुमारी की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कस्तूरी से हुई। कस्तूरी ने बताया कि उनका दो साल से पीएफ कट रहा है। उनका पीएफ में पैन कार्ड व बैंक अकाउंट लिंक नहीं हुआ था। साझा मंच टीम द्वारा पीएफ अकाउंट जाँचने पर उन्हें इसके बारे मालूम पड़ा। तथा साझा मंच टीम के मार्गदर्शन के अनुसार उन्हें कंपनी से ही प्रारूप करवाना पड़ेगा
तमिलनाडु राज्य के तिरुपुर ज़िला के सिडको से मीना कुमारी की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से सुधीर मंडल से हुई। सुधीर ने बताया कि पीएफ विवरण में दिया गया उनका मोबाइल नंबर ब्लॉक हो गया था तो इससे उन्हें समस्या हो रही थी। उन्होंने मोबाइल नंबर बदलवाने की पूरी जानकारी साझा मंच की टीम से प्राप्त की और उन्होंने पीएफ विवरण में अपना नंबर भी बदलवा दिया है। साथ ही पीएफ सम्बंधित जानकारियाँ भी प्राप्त की
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तमिलनाडु राज्य के तिरुपुर ज़िला के सिडको से हमारे एक श्रोता ने बताया कि उनका पीएफ नंबर नहीं मिल रहा था। वो कई बार पीएफ निकलवाने का प्रयास किए परन्तु उनका काम नहीं बना तो वो 'अभी नहीं तो कभी नहीं ' कार्यक्रम के माध्यम से साझा मंच कार्यकर्त्ता अरुण से बात की।अरुण की सहायता से उन्हें उनका पीएफ नंबर मिला।
तमिलनाडु राज्य के तिरुपुर ज़िला से अरुण कुमार की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से सुरेश से हुई। सुरेश ने बताया कि वो ओड़िसा से है और पांच साल से तिरुपुर में है। वो रागम गारमेंट्स कंपनी में दो महीनें से कार्य कर रहे है। लॉक डाउन से पहले वो वो कही और कार्य करते थे। उन्हें लॉक डाउन से पहले जितना दिन काम किये थे वो वेतन मिल गया था।
तमिलनाडु राज्य के तिरुपुर ज़िला के सिडको से अरुण कुमार की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से शोबिना से हुई। शोबिना ने बताया कि वो असम की रहनी वाली है। डेढ़ साल से सिडको में है। अभी कोरोना महामारी के कारण कंपनी में ठीक से वेतन भी नहीं दिया जा रहा है। पहले वो कॉटन ब्लॉसम में कार्य करती थी ,वहाँ सैलरी कम रहने के कारण दूसरी कंपनी ज्वाइन कर ली। नई कंपनी में उन्हें कंपनी में काम करने का कोई प्रूफ नहीं मिला है। उनका पीएफ ,ईएसआई का पैसा भी नहीं कट रहा है। साथ ही वो सैलरी में काम कर रही है और उन्हें कंपनी तरफ से आइडेंटिटी प्रूफ भी नहीं मिला है
तमिलनाडु राज्य के तिरुपुर ज़िला के सिडको से अरुण कुमार की बातचीत विश्वनाथ से साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से हुई। विश्वनाथ ने बताया कि वो कॉटन ब्लॉसम में 12 साल से काम कर रहे है। उन्होंने अपना काम हेल्पर के पद से शुरू किया था ,अब वो कांट्रेक्टर बन चुके है। पहले मौखिक तौर पर ही कंपनी व श्रमिक के बीच वेतन,सुविधा आदि की बातें होती थी ,अब के समय में उनके नीचे जो श्रमिक काम करते है उन्हें आई डी कार्ड ,प्रूफ,ईएसआई,पीएफ आदि सभी चीज़ की सुविधा मिलने लगी। अभी कंपनी में काम नहीं रहने के कारण उन्हें कम वेतन मिल रहा है। कंपनी में पीस रेट का डिमांड आ रहा है परन्तु श्रमिक की कमी है। सिडको की कई कंपनियों के कॉन्ट्रैक्टर अपने श्रमिकों को कंपनी पर मौखिक तौर से वार्तालाप कर,उन्हें तमाम सुविधा के साथ वेतन देने की बात कर, गाड़ी भेजवा कर वापस बुलाने का प्रयास कर रही है परन्तु कॉटन ब्लॉसम अभी कोरोना के कारण श्रमिकों को बुलाने का कोई पहल नहीं कर रही है।जब तक देश में कोरोना बना रहेगा तब तक कंपनी की ऐसी ही स्थिति कायम रहेगी।विश्वनाथ ने यह भी बताया कि कॉटन ब्लॉसम में सभी श्रमिकों को वेतन के साथ राशन की सुविधा भी दी गई थी।