हरियाणा राज्य के झज्जर ज़िला के बहादुरगढ़ से मनोहर लाल कश्यप ,श्रमिक वाणी के माध्यम से कहते है कि इन्होने दिनांक 15 जून 2022 को श्रमिक वाणी पर एक ख़बर प्रसारित किया था जिसमे बहादुरगढ़ के एक जूते चप्पल की कंपनी में सिलाई का काम करने वाले रतन नाम के एक श्रमिक ने बताया था कि इनके ठेकेदार ने काम ख़त्म होने के बाद एक महीना का वेतन लगभग 14 हज़ार रूपए नहीं दिए। कई बार कहने के बाद भी ठेकदार द्वारा वेतन नहीं मिला। ख़बर को श्रमिक वाणी में प्रसारित कर ठेकदार व सम्बंधित विभाग में फॉरवर्ड किया गया। जिसका असर यह देखने को मिला कि ठेकेदार ने श्रमिक रतन को बुलाकर उसका पूरा हिसाब पूरा कर दिया। रतन का बकाया वेतन मिल गया है।
हरियाणा राज्य के झज्जर ज़िला के बहादुरगढ़ से एस .एन कश्यप ,श्रमिक वाणी के माध्यम से कहते है कि बहादुरगढ़ शहर में पॉवर हाउस मुख्य चौक पर कूड़ा निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है ,जिस कारण लोग चौक पर ही कूड़ा फेंक देते है। इस पर नगर पालिका को भी ध्यान देना चाहिए।
दिल्ली राज्य के एनसीआर के बहादुरगढ़ से रतन कुमार पटेल श्रमिक वाणी के माध्यम से बता रहे है कि, वे बी 45 के सेक्टर 17 में सिलाई का कार्य करते थे। काम पुरा हो जाने के बाद ठेकेदार के द्वारा वेतन नहीं दिया जा रहा है और ठेकेदार के द्वारा धमकी भी दी जा रही है। रतनश्रमिक मोबाइल वाणी की सहायता चाहते है।
हरियाणा राज्य के झज्जर ज़िला के बहादुरगढ़ से एस.एन कश्यप ,श्रमिक वाणी के माध्यम से कहते है कि जानकारी के अभाव से श्रमिक परेशान रहते है। बहुत ऐसे श्रमिक है जो नौकरी तो करते है लेकिन उन्हें अपने अधिकारों की जानकारी नहीं रहती है। जिस कारण श्रमिकों का शोषण होते रहता है। श्रमिक वाणी एक ऐसा माध्यम से जहाँ से श्रमिक अपनी बातों को दूसरों तक साझा कर सकते है साथ ही सुझाव भी प्राप्त कर सकते है
हरियाणा राज्य के झज्जर ज़िला के बहादुरगढ़ से एस.एन कश्यप ,श्रमिक वाणी के माध्यम से कहते है कि गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। इस समय सभी को स्वयं की देखभाल करना ज़रूरी है। अपनी सुरक्षा खुद करना है और स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना है। गर्मी से बचने के लिए शुद्ध पानी का इस्तेमाल करना चाहिए। पानी गन्दा रहेगा तो स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा
हरियाणा राज्य के झज्जर जिला के बहादुरगढ़ से मनोहर लाल कश्यप ,श्रमिक मोबाइल वाणी के माध्यम से ट्रेड यूनियन के मनोज कुमार से बात कर रहें हैं, मनोज का कहना है कि यूनियन प्रवासी मज़दूरों की आवाज़ों को उठाने का काम करते हैं। जैसे कहीं वेतन नहीं दिया जा रहा हो तो वेतन दिलवाते हैं आदि तथा इनका कहना है की यूनियन में प्रवासी मज़दूरों की अधिक भागीदारी तथा मदद को ये लोग सुनिश्चित करते हैं
हरियाणा के बहादुरगढ़ से कश्यप श्रमिक वाणी के माध्यम से कह रहें हैं की गर्मी इतनी है की इस से मज़दूरों को समस्या हो रही है। यदि मज़दूर काम के दौरान बीमार पड़ता है तो उन्हें सुविधाएं नहीं मिल पाती है, यदि श्रमिक बीमार पड़ कर काम से छुट्टी करता है तो उनका दिहाड़ी का नुक्सान होता है। ऐसे में सरकारी इलाज की सुविधा ना तो उन्हें मिलती है और ना ही उनके जीविका को चालने हेतु किसी भी तरह की मदद मिलती है। सरकार को इन बातों की तरफ ध्यान देनी चाहिए।
हरियाणा राज्य के बहादुरगढ़ से कश्यप साझा मंच के माध्यम से कह रहें हैं की, ेएसएलआईसी संस्था की तरफ से मज़दूरों को उनके अधिकारों से अवगत कराने के लिए निशुल्क कैंप का आयोजन किया जा रहा है. मज़दूरों को शोषण किया जाता है लेकिन उनको पता भी नहीं चल पाटा है की वो शोषित हो रहें हैं इसी को जागरूक करने के लिए कैंप का आयोजन हो रहा है.
हरियाणा राज्य के झज्जर ज़िला के बहादुरगढ़ से एस एन कश्यप ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि बहादुरगढ़ इंडस्ट्रियल एरिया सेक्टर 16 व 17 में कई कम्पनियाँ है जहाँ प्रवासी श्रमिक अधिकतर मात्रा में काम करते है। अभी कंपनियों में पीस रेट का प्रचलन है। इससे कंपनियों को तो फ़ायदा होता है पर इससे श्रमिकों को बहुत समस्या होती है। श्रमिकों को पूरे माह नहीं मिल पाता है,पीस रेट में काम नहीं तो दाम नहीं। जब कंपनियों में आर्डर ज़्यादा होता है तो कंपनी ठेकेदारों को सौप देती है ,जो रातों दिन एक कर के काम पूरा कर देते है और जब काम नहीं होता तो श्रमिकों को छुट्टी दे दी जाती है। इस कारण श्रमिकों को महीने में 10-15 दिन ही काम मिल पाता है और मज़दूरी भी इतनी ही। पीस रेट की चलन के कारण श्रमिक बेरोज़गारी की ओर जाते जा रहे है
हरियाणा राज्य के झज्जर ज़िला के बहादुरगढ़ से एस एन कश्यप ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि जो भी श्रमिक जो बेरोज़गारी से त्रस्त है ,उन्हें अगर कंपनियों में नौकरियाँ मिल भी रही है तो उन्हें कंपनियों में सुरक्षा के इंतेज़ाम नहीं मिल रहे है।फायर फाइटिंग सिस्टम ,पीने का पानी के इंतज़ाम आदि नहीं होते है। श्रमिक बेरोज़गारी से इतने परेशान है कि वो किसी भी परिस्थिति में कार्य करने को तैयार है। श्रमिकों की इन्ही मज़बूरी का फ़ायदा उठा कर कंपनी अपना फ़ायदा देखती है और श्रमिकों के जीवन के साथ खेलवाड़ करती है। श्रमिकों की स्वास्थ्य ,सुरक्षा व मूलभूत ज़रूरतों का कंपनी वाले ख्याल नहीं रखते है। प्रशासन की भी ज़िम्मेदारी बनती है कि वो क़ानून अंतर्गत श्रमिकों की सुरक्षा के इंतज़ाम की जानकारी लेते रहे
