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झारखण्ड राज्य के पूर्वी सिंहभूम जिला के घाटशिला प्रखंड से शेख रियाज ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि वे एक सरकारी स्कूल के छात्र हैं । उन्हें अपने विद्यालय में अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ता है। क्योंकि उनके विद्यालय में शिक्षा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति किया जाता है।वे कहते हैं कि उनके विद्यालय में शिक्षक तो आते हैं, परन्तु पढ़ाई नहीं करातें है । अत: वे चाहते है कि इस विषय से सबंधित झारखण्ड के मुख्यमंत्री को अवगत कराया जाए। ताकि यहाँ के बच्चों की समस्या से निजात मिले और उन्हें अच्छी शिक्षा मिल सके ।

झारखंड राज्य के पूर्वी सिंहभूम जिला के घाटशिला प्रखंड के जोड़ीसा पंचायत से भाषा शर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि पंचायत चुनाव हुए छह से सात साल होने जा रहा है। पर गांव में अभी तक विकास का कोई कार्य देखने को नहीं मिल रहा है। जिस तरह से पंचायत में जनप्रतिनिधियों का चयन किया गया उस तरह से उनका कोई भी कार्य दिखाई नहीं दे रहा है। वृद्धा पेंशन,विधवा पेंशन नहीं मिलने के कारण लोग परेशान हैं। गांव में पानी की व्यवस्था भी नहीं है साथ ही आवास और बिजली की भी व्यवस्था नहीं है। ये सभी समस्या होने के बाद भी पंचायत के जनप्रतिनिधियों को ये समस्याएं दिखाई नहीं दे रहा है। इतना ही नहीं नियमित रूप से पंचायत ऑफ़िस भी नहीं खोला जाता है। आम सभा का आयोजन भी नहीं किया जाता है। गांव के लोगों ने जिस आशा और उम्मीद से पंचायत सदस्य गण का चुनाव किया था उस तरह से उनका कार्य नहीं हो रहा है। गांव की स्थिति पंचायत चुनाव के पहले जैसा था वैसा अभी भी है ये सोचने वाली बात है।

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पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला प्रखण्ड के जोड़ीसा पंचायत से भाषा शर्मा जी झारखंड मोबाईल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि इनके घर के नजदीक एक चापानल है, जहाँ मोहल्ले की सभी महिलायें पानी लाने के लिए जाती है।दिन के समय में तो पानी लेकर महिलायें अच्छे से आती है, लेकिन शाम के समय चापानल से पानी लेना बहुत मुश्किल होता है।चूँकि चापानल काफी ऊँचा जगह में है और नीचे पूरा कीचड़ भरा हुआ रहता है।यहाँ पर कई वृद्ध महिलायें और गर्भवती महिलायें भी पानी लेने के लिए आती हैं। और कई बार कई महिलायें पानी का बाल्टी लेकर गिर भी गयी है जिससे उन्हें चोट भी आयी है।साथ ही इस चापानल के सामने से एक पीसीसी सड़क भी गयी है और इस रास्ते पर लगातार गाड़ियों का आना-जाना लगा रहता है।बच्चे भी यहाँ पर खेलते रहते है।कई बार दुर्घटनायें घटते हुए इन्होने देखा है।इन सब चीजों को देखते हुए इनके मन में एक ही विचार आया कि कैसे इस समस्या का समाधान किया जाये। लेकिन इस समस्या के हल के लिए इनके पास किसी प्रकार का कोई साधन नहीं था।इसके बाद इनके गाँव में एक दिन आम सभा की बैठक हुई जिसमें भाषा जी ने भी भाग लिया और सभा में इस समस्या को सबके सामने रखा। पंचायत से मांग किया कि इनके मोहल्ले में जो चापानल है उसके सामने एक सोलर लाइट लगाया जाये। सोलर लाइट लगाने से महिलाओं को पानी लेने में दिक्क्त नहीं होगी। साथ ही बच्चों को खेलने में भी दिक्क्त नहीं होगी और इस जगह पर दुर्घटनायें भी नहीं घटेगी।इसके बाद इनके इस प्रस्ताव को आम सभा में पारित किया गया।आम सभा के पुरे सात महीने बाद इन्हें एक दिन मुखिया जी ने बुलाकर कहा की सोलर लाइट आ चूका इसे आप कहाँ लगाना चाहती है? भाषा जी ने चापानल के पास सोलर लाइट को लगाने के लिए कहा।इस तरह से सोलर लाइट लगाने के बाद से आज तक किसी तरह की कोई दुर्घटनायें नहीं घटीं हैं ।अब वृद्ध और गर्भवती महिलायें अच्छे से पानी भर कर ले जाती है।सोलर लाइट लगने के कारण गाँव के सभी लोग खुश है।इन सभी को ख़ुश देखते हुए ये भी बहुत खुश हैं । भाषा जी सभी को ये सन्देश दे रही है कि अगर किसी के आस-पास भी ऐसी समस्या है और इस तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है, तो ऐसी समस्याओं को आम सभा में रखें, महिला भागीदारी को बढ़ाएं और अपनी समस्याओं का समाधान करें।

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जिला पूर्वी सिंघभूम के घाटशिला प्रखंड से भाषा शर्मा जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि अन्नपूर्णा खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत जितनी भी जन वितरण प्रणाली दूकान चल रही है शहर और ग्रामीण क्षेत्र में इनके जरिये सरकार का एक ही उद्देश्य रहा है कि प्रत्येक परिवार को कम राशि में राशन प्राप्त हो सके।इस योजना का लाभ उठाने के लिए सभी लाभुकों को एपीएल और बीपीएल कार्ड दिया गया। लेकिन सरकार यह उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है और लोगों को राशन लेने में कई तरह की दिक्क़ते आ रही है। उन्होंने बताया कि कई बार उनके क्षेत्र में कभी-कभी मशीन चार्ज नहीं रहता है, तो कभी बिजली नहीं रहती है। साथ ही कभी टावर नहीं रहता है तो कभी-कभी एक-एक व्यक्ति का दस-दस बार अंगुली मशीन पर रखने के बाद भी वो आधार से लिंक नहीं हो पाता है। और पुरे दिन लाइन में लगाने के बाद भी लाभुक को राशन नहीं मिल पाता है। कई बार ऐसा भी होता है कि जब टावर रहता है पर लिंक फेल हो जाता है जिस कारण मशीन को बंद रखने की नौबत भी आ जाती है। इसका मतलब यह है की 10 से 15 किलो अनाज लेने के लिए दो से तीन बार जन वितरण प्रणाली दूकान का चक्कर काटना पड़ता है। इससे उस गरीब का दो, तीन दिन का मजदूरी यानी पांच से छह सौ रूपये का नुकसान हो जाता है।यहां के लोगों के समक्ष एक समस्या यह भी है कि अगर कोई लाभुक दो से तीन बार राशन नहीं उठता है तो उसे दो बार का ही राशन दिया जाता है। अत: वे कहती है कि सरकार अगर वास्तव में इस योजना से जनता को लाभन्वित करना चाहती है तो अपने सिस्टम में थोड़ी सुधार करे ताकि गरीब परिवारों को इस जन वितरण प्रणाली दुकान से हो रही परेशानियों से राहत मिले।

पूर्वी सिंघभुम घाटशिला प्रखंड से राजेश कुमार सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि हमारा देश 70 वर्ष का सफर तय कर लिया। लेकिन आज भी देश में अशिक्षा,बेरोजगारी व्याप्त है।वे कहते हैं कि भरष्टाचार में थोड़ी कमी देखि जा रही है, लेकिन आज भी लोग अपनी मूलभूत सुविधाओं जैसे रोटी,कपडा और मकान की जुगाड़ में लगे हुए हैं।अतः सरकार जल्द से जल्द बेरोजगारी को ख़त्म करने का प्रयास करे,सभी को रोजगार प्रदान करें।अधिक से अधिक रिक्तियां निकाल कर बेरोजगार युवाओं को रोजगार दें। ताकि झारखण्ड का भविष्य उज्वल हो सकें।