झारखंड राज्य के गोड्डा जिला से निरंजन सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि राज्य में दूसरी बार ग्राम पंचायत का चुनाव हुए 4 साल हो गया।लेकिन विकास के नाम पर कहीं भी कुछ नहीं दिखता है।सरकार की ओर से पंचायतों के विकास के लिए पैसे बहुत सारे आए।लेकिन अधिकतर उस पर बिचौलिए हावी रहे।ग्राम सभा में मुखिया के द्वारा ग्रामीणों से सादे कागज पर हस्ताक्षर करवा कर किसी भी कार्य को पूरा दिखा दिया जाता है। पंचायत चुनाव के बाद इनके यहाँ एक सरकारी चापानल तक नहीं बनवाया गया है। नतीजा ये है कि आज सभी नल ख़राब पड़े हुए है।और नकली दस्तावेज़ बनाकर चापानल का पैसा भी जन प्रतिनिधि गबन कर ले रहे हैं । लेकिन उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा हर पंचायत में जो पंचायत स्वयं सेवक की बहाली की गयी है , वह एक सराहनीय कदम है।

झारखंड राज्य के हज़ारीबाग जिला के बड़कागॉव से रुपेश राज ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पंचायती राज व्यवस्था के तहत इनके गाँव में मुखिया का चयन किया गया।लेकिन इनके गाँव के मुखिया ने गाँव के विकास के लिए पिछले 5 वर्षो में कुछ भी नहीं किया। हर ओर काम अधूरा और बिखरा पड़ा है।चाहे वो नाली निर्माण हो या गली का निर्माण।

झारखंड राज्य के पूर्वी सिंहभूम जिला के चाकुलिया प्रखंड से राम चंद्र पाल मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि सात सालों में पंचायत में काफी सारे बदलाव हुए हैं।लेकिन अभी भी काफी कुछ होना बाकि है।उनका कहना है कि पहले जो मुखिया थे उनके चलते काफी बदलाव दिखा है जिसमे बाँध,डोभा और सड़क का निर्माण कराया गया है। शौचालय भी बनवाया गया है।पर इस बार के जो मुखिया हैं,वो ठीक से काम नहीं कर रहे हैं।यहां तक कि वे गांव और पंचायत में भी नहीं आते हैं।और ग्राम का आयोजन करना तो दूर की बात है।

झारखंड राज्य के पूर्वी सिंहभूम जिला के घाटशिला प्रखंड के जोड़ीसा पंचायत से भाषा शर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि पंचायत चुनाव हुए छह से सात साल होने जा रहा है। पर गांव में अभी तक विकास का कोई कार्य देखने को नहीं मिल रहा है। जिस तरह से पंचायत में जनप्रतिनिधियों का चयन किया गया उस तरह से उनका कोई भी कार्य दिखाई नहीं दे रहा है। वृद्धा पेंशन,विधवा पेंशन नहीं मिलने के कारण लोग परेशान हैं। गांव में पानी की व्यवस्था भी नहीं है साथ ही आवास और बिजली की भी व्यवस्था नहीं है। ये सभी समस्या होने के बाद भी पंचायत के जनप्रतिनिधियों को ये समस्याएं दिखाई नहीं दे रहा है। इतना ही नहीं नियमित रूप से पंचायत ऑफ़िस भी नहीं खोला जाता है। आम सभा का आयोजन भी नहीं किया जाता है। गांव के लोगों ने जिस आशा और उम्मीद से पंचायत सदस्य गण का चुनाव किया था उस तरह से उनका कार्य नहीं हो रहा है। गांव की स्थिति पंचायत चुनाव के पहले जैसा था वैसा अभी भी है ये सोचने वाली बात है।

झारखंड राज्य के पूर्वी सिंहभूम जिला के चाकुलिया प्रखंड से राम चंद्र पाल मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि उनके पंचायत में कुछ गिन चुन कर शौचालय का निर्माण कराया गया है। और डोभा तथा बांध का निर्माण किया गया है। एवं आंगनबाड़ी में सुधार किया गया है ,साथ ही प्रंधानमंत्री आवास योजना के तहत काफी घर बनाये जा रहे हैं। और सड़क निर्माण भी बहुत अच्छे से हो रहा हैं।

झारखंड राज्य के धनबाद जिला के बाघमारा प्रखंड से मदन लाल चौहान मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि झारखंड में गांव के विकास के लिए 32 वर्षों बाद सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तहत चुनाव कराया कराया।और गाँव का विकास करने के लिए मुखिया को कई अधिकार मिले लेकिन सात सालों बाद भी गांव की स्थिति जस के तस बनी हुई है।अगर मुखिया को अपना अधिकार मालूम होता तो स्थानीय बेरोजगार अपने गांव से पलायन कर दूसरे राज्य में नहीं जाते। मुखिया,उपमुखिया 2016 में ही पांच वर्षों का कार्य योजना बना लिया है। जिस कार्य को आज तक धरातल पर लागू नहीं किया गया।वे कहते हैं कि गांव में मुर्गी पालन,गाय पालन,बकरी शेड ,तालाब निर्माण ,ग्रामीण सड़क निर्माण आदि कार्य कराया जाये, तो इससे ही रोज़गार उत्पन्न होगा।साथ ही स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि बंद कमरे में ग्राम सभा होना गांव के विकास पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।

झारखंड राज्य के गोड्डा जिला के पथरगामा प्रखंड से अनुजा दुबे मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि मुखिया सही ढंग से काम नहीं कर रहे हैं।हाँ यह बात अलग है कि वर्तमान में पुरे गांव ने शौचालय का काम पुरे जोर-सोर से चल रहा है।और गरीब लोगों का घर भी बन रहा है, लेकिन गांव में विशेष कर महिलाओं के लिए भी कोई भी योजना नहीं निकाली गई है।जिस तरह से शहरों में महिलाओं के लिए सिलाई एवं कंप्यूटर आदि सिखाने की योजना निकाली गई थी उसी तरह गांवों में भी निकालना चाहिए।एक बात और गौर करने वाली यह है कि मुखिया कभी भी लोगों के गांव घर नहीं जाती हैं लोगों की समस्याओं को सुनने के लिए।यहाँ तक की गांव के कई लोगों ने मुखिया को सही से देखा तक नहीं है। अत: उनका कहना है कि मुखिया को महिलाओं पर भी ध्यान देना चाहिए। जिससे महिलाएं भी घर बैठे सिलाई सिख ले और कम्प्यूटर चलाना सिख लें और कुछ रोजगार कर सकें ।

झारखंड राज्य के बोकारों ज़िला से सुषमा कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि इन सात सालों में पंचायत में बहुत सारे बदलाव आए हैं। जैसे की सबसे पहले स्वच्छता मिशन के तहत सभी के घरों में शौचालय का निर्माण हुआ है। पंचायत चुनाव से गांव के कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गएँ हैं और समस्याओं का निदान किया गया है।साथ ही पेयजल, आँगनबाड़ी तथा अन्य व्यवस्थाओं में सुधार हुई है।सभी लोगों के घरों में पानी की सुविधा की गई है। नरेगा के कार्यों के कारण गांव के लोगों का पलायन रुका है। कई सारे स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया है जो पंचायत के लोगों के विकास में बहुत मददगार साबित हुई है। इतना ही नहीं लोग अपने अधिकारों का प्रयोग भी सही तरह से करने लगे हैं।

झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला के चंद्रपुरा प्रखंड से नरेश महतो जी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बातया कि 2010 में राज्य में 32 वर्षों के बाद पहली बार राज्य में पंचायती राज अधिनियम के तहत पंचयात चुनाव कराया गया था और इसका उद्देश्य था सत्ता विकेन्द्रीकरण करने का यानि स्थानीय सत्ता स्थानीय लोगों के हांथों में सौपने का, लेकिन वर्तमान में सरकार का यह उद्देश्य भी पूरा होता नहीं दिख रहा है। साथ ही पंचायत चुनाव करने के पीछे यह मकसद भी था कि राज्य और केंद्र सरकार की सभी योजनाएं शहर और गाँव के हर लोगों तक पहुँच सके, परन्तु चुनाव तो हुए लेकिन लोगों को कोई लाभ प्राप्त नहीं हुए जो लोग पंचायत प्रतिनिधि बने वे लोग खुद का विकास अवशय किये परन्तु आम जनताओं का विकास के बारे में कोई नहीं सोचा । जिन मुखियाओं के पास पंचायत चुनाव से पहले कुछ भी नहीं था वे लोग आज आमिर बन गए।जनता की परेशानियों को नहीं देख रहे है।अगर लोगों को पेंसन सबन्धित या बीपीएल कार्ड सबन्धित जानकारियां चाहिए, तो उन पंचायत प्रतिनिधि को डोनेसन देना पड़ता है, तभी जा कर उनका काम हो पाता है। ऐसे हालात में पंचायतों का सर्वांगीण विकास कैसे संभव है ? यह एक विचारणीय प्रश्न है।

झारखण्ड राज्य के धनबाद जिला से मोबाइल वाणी के माध्यम बीरबल महतो जी ने यह बताया कि 2010 में पंचायत चुनाव कराया गया था। परन्तु 7 वर्ष बाद भी गाँव का विकास नहीं हो पाया है। इस चुनाव का मुख्य उद्देश्य जनता का विकास करना था परन्तु वह पुरा नहीं हुआ। आज चुनाव हुए 7 वर्ष हो जाने के बाद भी लोगों को इसके माध्यम से जो सुविधाएँ मिलनी थी वह पुरा होते नजर नहीं आ रहा है। वे कहते हैं कि ग्रमीण जिस विश्वास के साथ उम्मीदवार का चयन कर अपने पंचायत का जिम्मा सौंपते हैं। उस उम्मीद पर उम्मीदवार खरा नहीं उतर पाते हैं।और चुनकर जैसे ही सत्ता में आते हैं जनप्रतिनिधि केवल अपना विकास देखने लगते हैं । साथ ही प्रतिनिधि गांव में प्रत्येक माह ग्राम सभा का आयोजन भी नहीं करते हैं । और यदि किसी माह ग्राम सभा का आयोजन होता भी है, तो आम जनताओं की बातों को नहीं सुना जाता है। पंचातय प्रतिनिधि के पास सरकार के द्वारा जो भी योजनाओं को पुरा करने के लिए पैसे दिए जाते हैं,वह लोगों तक नहीं पहुंचाया जाता है।सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए और इन भ्रस्ट पंचायत प्रतिनिधियों के ऊपर कड़ी से कड़ी करवाई की करनी चाहिए।