जिला पूर्वी सिंघभूम के घाटशिला प्रखंड से भाषा शर्मा जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि अन्नपूर्णा खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत जितनी भी जन वितरण प्रणाली दूकान चल रही है शहर और ग्रामीण क्षेत्र में इनके जरिये सरकार का एक ही उद्देश्य रहा है कि प्रत्येक परिवार को कम राशि में राशन प्राप्त हो सके।इस योजना का लाभ उठाने के लिए सभी लाभुकों को एपीएल और बीपीएल कार्ड दिया गया। लेकिन सरकार यह उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है और लोगों को राशन लेने में कई तरह की दिक्क़ते आ रही है। उन्होंने बताया कि कई बार उनके क्षेत्र में कभी-कभी मशीन चार्ज नहीं रहता है, तो कभी बिजली नहीं रहती है। साथ ही कभी टावर नहीं रहता है तो कभी-कभी एक-एक व्यक्ति का दस-दस बार अंगुली मशीन पर रखने के बाद भी वो आधार से लिंक नहीं हो पाता है। और पुरे दिन लाइन में लगाने के बाद भी लाभुक को राशन नहीं मिल पाता है। कई बार ऐसा भी होता है कि जब टावर रहता है पर लिंक फेल हो जाता है जिस कारण मशीन को बंद रखने की नौबत भी आ जाती है। इसका मतलब यह है की 10 से 15 किलो अनाज लेने के लिए दो से तीन बार जन वितरण प्रणाली दूकान का चक्कर काटना पड़ता है। इससे उस गरीब का दो, तीन दिन का मजदूरी यानी पांच से छह सौ रूपये का नुकसान हो जाता है।यहां के लोगों के समक्ष एक समस्या यह भी है कि अगर कोई लाभुक दो से तीन बार राशन नहीं उठता है तो उसे दो बार का ही राशन दिया जाता है। अत: वे कहती है कि सरकार अगर वास्तव में इस योजना से जनता को लाभन्वित करना चाहती है तो अपने सिस्टम में थोड़ी सुधार करे ताकि गरीब परिवारों को इस जन वितरण प्रणाली दुकान से हो रही परेशानियों से राहत मिले।