वर्तमान सरकार के द्वारा कुछ वर्ष पूर्व भरस्टाचार को ख़त्म करने के उद्देश्य से नोटबंदी की गयी थी। नकदी की समस्या होने के कारन उस समय आम जनता काफी परेशान रही।विगत कुछ दिनों से देश में फिर से नकदी की समस्या सामने आने लगी है जिससे जनता परेशान होते हुए दिख रही है। साथ ही इस गंभीर समस्या ने सरकार की वित् व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह भी खड़ा कर दिया है? क्या कारण है जिससे नकदी की समस्या सामने आयी है ? हमें यह बताये की बिना नकदी के लोग किस तरह से अपने रोजमर्रा की जिंदगी में गुजारा कर रहे हैं और इससे उन्हें या आपको किस तरह के दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है ?साथ ही हमें यह भी बताये की भविष्य में इस तरह की नकदी की समस्या ना हो , इसके लिए हमें या सरकार को क्या कदन उठाने चाहिए ?

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झारखंड राज्य के धनबाद ज़िले के बाघमारा प्रखंड से बीरबल महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि समान जीवन जीने के लिए हमें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए पुरुष एवं महिलाओं को मजदूरी करना पड़ता है, पर हमारा देश एक पुरुष प्रधान होने के कारण पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को कम मजदूरी दी जाती है। दुर्भाग्य वश जिस घर में केवल महिला कामकाजी होती है उनका एवं उनके परिवार का जीवन अधिक दुःखमय होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों में कार्य करने वाली महिलाओं को कम मजदूरी मिलता है, जबकि महिलाएं अपनी शक्ति के अनुसार सही कार्य करतीं हैं।

झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ ज़िला के बड़कागांव से रुपेश राज मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताते हैं, कि महिला एवं पुरुष के कार्यों के बीच मजदूरी भत्ता में असमानता एक चिंता का विषय बन गया है। गांवों में अक्सर यह देखा जाता है कि पुरे घर-गृहस्थी सँभालने की जिम्मेदारी एक अकेली महिला के ऊपर रहता है। महिला मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते हुए पुरे परिवार को चलाती हैं। आज जो कार्य पुरुष करते हैं, वही कार्य महिलाएं भी कर रही हैं। लेकिन यदि वेतन की बात करें, तो पुरुषों के कार्यों की अपेक्षा महिलाओं को बहुत कम वेतन दिया जा रहा है। आज समाज में बेटा-बेटी और महिला पुरुष में हो रहे भेदभाव को कम किया जा रहा है, लेकिन मजदूरी भत्ता देने के समय दोनों में अंतर किया जाता है। जिससे महिलाएं पूरी जिज्ञासा से अपने कार्य को नहीं कर पाती हैं।

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सामान्य जीवन जीने के लिए कई तरह की जरूरते होती है, जिसे पूरा करने के लिए हमे काम करने की आवश्यकता होती है।पर एक सामान काम करने पर भी पुरुष और महिला कामगारों के बीच मजदूरी भुगतान में असमानता, इस शब्द को सुनकर कितना अजीब लगता है। पर आज भी हमारे समाज में ये प्रथा देखने को मिलती है जहाँ सिर्फ महिला होने के नाते मजदूरी भुगतान में अंतर किया जाता है। आप हमे बताएं कि इस तरह से मजदूरी भूगतान में असामनता होने से महिला कामगारों और उनके परिवार की रोजमर्रा की जिंगदी किस तरह से प्रभावित होता है और खास उन महिला कामगारों को किस तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है , जिनके घर में कोई पुरुष सदस्य नहीं होते हैं और घर का सारा जिम्मेदारी महिला मजदुर के कंधे पर होता है ? आपके क्षेत्र में पुरुष और महिला कामगारों के बीच मजदूरी भुगतान की वर्तमान स्थिति क्या है ? और क्या आपके गांव पंचायत में भी ऐसी कोई घटना घटी है जहाँ पर महिला होने के नाम पर मजदूरी भुगतान कम की गई हो ? दोस्तों , आप हमे ये भी बताएं कि ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी भूगतान को एक सामान करने में स्थानीय जनप्रतिधियों की क्या भूमिका होनी चाहिए, जिससे असमान मजदूरी भुगतान को खत्म हो सके ?