आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे स्टेट बैंक के अधिकारी से बचत से जुड़ी ख़ास जानकारियों के बारे में

कर्मचारी चयन आयोग द्वारा संयुक्त हायर सेकेंडरी लेवल के लोअर डिवीज़न क्लर्क ,जूनियर सेक्रेटेरिएट असिस्टेंट ,डाटा एंट्री ऑपरेटर व डाटा एंट्री ऑपरेटर ग्रेड ए के पद पर कुल 3712 रिक्तियां निकाली गई है। न्यूनतम 18 वर्ष से लेकर 27 वर्ष के उम्र वाले वैसे व्यक्ति जिन्होंने किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय से 12वीं पास किया हो ,वे इस पद के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते है। अनुसूचित जाति ,अनुसूचित जनजाति ,पीडब्लूडी व्यक्तियों के लिए आयुसीमा में छूट निर्धारित है। आवेदनकर्ताओं का चयन कंप्यूटर आधारित परीक्षा के माध्यम से होगा। चयनित व्यक्तियों को उनके पद अनुसार प्रतिमाह 19,900 रूपए से 92,300 रूपए वेतन दिया जाएगा। इच्छुक व्यक्ति दिनांक 8 मई 2024 तक आधिकारिक वेबसाइट में जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते है। आधिकारिक वेबसाइट है : www.ssc.gov.in . इस वेबसाइट पर आप पद से सम्बंधित आधिकारिक सूचना भी प्राप्त कर सकते है। सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 100 रूपए आवेदन शुल्क तय किया गया है और महिला ,पीडब्लूडी ,अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति उम्मीदवारों के लिए आवेदन शुल्क निशुल्क है।

हमारे देश में हर एक दिन की अपनी खास बात और महत्व है। जहां एक दिन किसी दिन को हम किसी की जयंती के रूप में मनाते हैं, तो किसी दिन को बेहद ही खुशी से। इसी कड़ी में 24 अप्रैल का दिन भी बेहद खास है।इस दिन पंचायतो में विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन किया जाता है जो पंचायत की उपलब्धियों और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में उनके योगदान को उजागर करते हैं। यह दिन 17 जून 1992 को संविधान में 73वें संशोधन के पारित होने और 24 अप्रैल 1993 को कानून लागू होने की याद में मनाया जाता है। पंचायती राज व्यवस्था का जनक लॉर्ड रिपन को माना जाता है अगर देश में किसी गांव में कोई दिक्कत है या उस गांव की हालत खराब है, तो उस गांव की इस समस्या को दूर करने और उसे सशक्त एवं विकसित बनाने के लिए ग्राम पंचायत ही उचित कदम उठाती है। तो आइये दोस्तों ,इस राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर हम सभी पंचायत के नियमों का पालन करे और पंचायती राज व्यवस्था का हिस्सा बन कर पंचायत के विकास में योगदान दे । मोबाइल वाणी के पुरे परिवार की और से आप सभी को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

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सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा बदलते मौसम में पशुओं की विशेष देखभाल और इस समय होने वाले पशुओं में विभिन्न रोगों की जानकारी दे रहें हैं । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें

झारखंड राज्य के गिरिडीह जिला ब्लॉक बेंगाबाद से लक्ष्मण राणा मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि गिरिडीह जिले के भ्रष्ट आईएस अधिकारी द्वारा चौबीस घंटे तक बिगुल बजाने या बिगुल बजाने का आदेश दिया जाता है। यह आवाज झारखंड सरकार के मुख्य सचिव तक भी पहुंचनी चाहिए क्योंकि आम ग्रामीणों की शिकायत है कि जब सोने का समय आता है तो रात भर डी. जे. लाऊड स्पीकर में बजाया जाता है, जो आज आम ग्रामीणों के लिए बहुत बड़ी समस्या बन गयी है। क्षेत्र में कितने लोगों के मरने के बावजूद, अधिकारी इससे सबक नहीं लिए है।

नई दिल्ली से राजीव, मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि वे प्रधानमंत्री जी से बिल्कुल भी सहमत नहीं हैं , चाहे किसी पूर्व प्रधानमंत्री ने यह कहा हो या नहीं, अगर उन्होंने कहा हो, तो यह भी गलत है कि उन्होंने यह नहीं कहा है। यहाँ तक कि एक ऐसे धर्म के लिए भी एक अच्छी बात है जिसे बदनाम नहीं किया जाना चाहिए। एक बात गलत है झूठ सच है हम नहीं जानते कि हमने शायद यह नहीं सुना है कि ऐसा कभी नहीं हो सकता है उन्होंने कहा कि अगर इस मुद्दे को फिर से नहीं उठाया जाना चाहिए तो इसे भुला दिया जाना चाहिए और चुनाव आयोग को इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।वे इस बात से सहमत हैं कि पूरे देश में राष्ट्रपति शासन होना चाहिए, सभी नेता सबसे बड़े अभिनेता हैं, कोई भी नेता कम नहीं है। वे किसी भी पार्टी का नाम नहीं लेना चाहते । कोई भी नेता किसी से कम नहीं होता। मोदी जी के शब्द बहुत गलत हैं। उन्हें यह नहीं कहना चाहिए कि इससे दंगे हो सकते हैं। उसे ऐसा कहने से पहले सोचना चाहिए।

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दोस्तों, प्रधानमंत्री के पद पर बैठे , किसी भी व्यक्ति से कम से कम इतनी उम्मीद तो कर ही सकते हैं कि उस पद पर बैठने वाला व्यक्ति पद की गरिमा को बनाए रखेगा। लेकिन कल के भाषण में प्रधानमंत्री ने उसका भी ख्याल नहीं रखा, सबसे बड़ी बात देश के पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ खुले मंच से झूठ बोला। लोकतंत्र में आलोचना सर्वोपरि है वो फिर चाहे काम की हो या व्यक्ति की, सवाल उठता है कि आलोचना करने के लिए झूठ बोलना आवश्यक है क्या? दोस्तों आप प्रधानमंत्री के बयान पर क्या सोचते हैं, क्या आप इस तरह के बयानों से सहमत हैं या असहमत, क्या आपको भी लगता है कि चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जाना अनिवार्य है, या फिर आप भी मानते हैं कि कम से कम एक मर्यादा बनाकर रखी जानी चाहिए चाहे चुनाव जीतें या हारें। चुनाव आयोग द्वारा कोई कार्रवाई न करने पर आप क्या सोचते हैं। अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाइलवाणी पर।