टी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" के नारे से रंगी हुई लॉरी, टेम्पो या ऑटो रिक्शा आज एक आम दृश्य है. पर नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च द्वारा 2020 में 14 राज्यों में किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि योजना ने अपने लक्ष्यों की "प्रभावी और समय पर" निगरानी नहीं की। साल 2017 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में हरियाणा में "धन के हेराफेरी" के भी प्रमाण प्रस्तुत किए। अपनी रिपोर्ट में कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ स्लोगन छपे लैपटॉप बैग और मग खरीदे गए, जिसका प्रावधान ही नहीं था। साल 2016 की एक और रिपोर्ट में पाया गया कि केंद्रीय बजट रिलीज़ में देरी और पंजाब में धन का उपयोग, राज्य में योजना के संभावित प्रभावी कार्यान्वयन से समझौता है।

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा मुर्गीपालन में रानी खेत बीमारी के सम्बन्ध में जानकारी दे रहे हैं। सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें 

आजकल कम उम्र में ही लोग लम्बी और गंभीर बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं. लाइफस्टाइल और खानपान खराब होने से सेहत से जुड़ी कई तरह की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. इसकी वजह से कई गंभीर और खतरनाक स्थिति बनने लगी है. इसी से बचाव और जागरूकता के लिए हर साल 7 अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ डे (World Health Day 2024) मनाया जाता है. इस वर्ल्ड हेल्थ डे का थीम 'माई हेल्थ-माई राइट' मतलब 'मेरा स्वास्थ्य-मेरा अधिकार' रखा गया है. इस बार वर्ल्ड हेल्थ डे का उद्देश्य अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं, साफ पानी-हवा, पोषण से भरपूर आहार और साफ-सफाई है. तो दोस्तों आइये हम सब संकल्प ले और स्वस्थ आदतें अपनाएं: अपने आहार पर ध्यान दें, नियमित व्यायाम करें, पर्याप्त नींद लें और तनाव मुक्त रहने का प्रयास करें,डॉक्टर से नियमित रूप से जांच कराएं, स्वस्थ आदतों के महत्व के बारे में अपने परिवार, दोस्तों और समुदाय के लोगों को जरूर बताएं.ये सरल कदम आपके स्वास्थ्य में सुधार ला सकते हैं.मोबाइल वाणी परिवार यह मानता है कि विश्व स्वास्थ्य दिवस सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह स्वस्थ जीवन जीने के प्रति सचेत और सजग रहने का निरंतर प्रयास है. आइए मिलकर यह सुनिश्चित करें कि "स्वास्थ्य सबका अधिकार" वाकई में सच हो जाए

भारत का आम समाज अक्सर सरकारी सेवाओं की शिकायत करता रहता है, सरकारी सेवाओं की इन आलोचनाओं के पक्ष में आम लोगों सहित तमाम बड़े बड़े अर्थशास्त्रियों तक का मानना है कि खुले बाजार से किसी भी क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों में कंपटीशन बढ़ेगा जो आम लोगों को बेहतर सुविधाएं देगा। इस एक तर्क के सहारे सरकार ने सभी सेवाओं को बाजार के हवाले पर छोड़ दिया, इसमें जिन सेवाओं पर इसका सबसे ज्यादा असर हुआ वे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर पड़ा है। इसका खामियाजा गरीब, मजदूर और आम लोगों को भुगतना पड़ता है।

हम सभी रोज़ाना स्वास्थ्य और बीमारियों से जुड़ी कई अफवाहें या गलत धारणाएं सुनते है। कई बार उन गलत बातों पर यकीन कर अपना भी लेते हैं। लेकिन अब हम जानेंगे उनकी हकीकत के बारे में, वो भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में। याद रखिए, हमारा उद्देश्य किसी बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि लोगों को उत्तम स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना है। सेहत और बीमारी को लेकर अगर आपने भी कोई गलत बात या अफवाह सुनी है, तो फ़ोन में नंबर 3 दबाकर हमें ज़रूर बताएं। हम अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से जानेंगे उन गलत बातों की वास्तविकता, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में।

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा पशुओं में होने वाले थनैला रोग के कारण ,लक्षण व उपचार सम्बंधित जानकारी दे रहे हैं। सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

टीबी बीमारी को क्षयरोग के नाम से भी जाना जाता है. हर वर्ष 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाया जाता है। टीबी एक गंभीर बीमारी है जिसे लेकर आज भी लोगों के बीच कई सारी अफवाह फैली हुई हैं।विश्व स्वास्थ्य संगठन इस दिन दुनिया भर में तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित करता है ताकि लोग इसके प्रति जागरूक हो। हर साल विश्व क्षयरोग दिवस एक निर्धारित थीम के तहत मनाया जाता है। अभी 2024 की थीम यस! वी कैन एंड टीबी! इस थीम का उद्देश्य है टीबी उपचार के प्रति जागरूकता बढ़ाना। मरीज़ों और उनके परिवारों को प्रेरणा देना की टीबी का जड़ से उपचार संभव है और वह हार न मानें। टीबी का खात्मा हम सब मिलकर कर सकते हैं। इसलिए हमें इससे बचने के लिए विभिन्न उपाय करने चाहिए जैसे टीकाकरण संतुलित आहार लेना और एक्टिव लाइफस्टाइल को शामिल करना चाहिए ।खांसते और छींकते समय चेहरे को साफ नैपकिन या रुमाल से कवर करना और इस्तेमाल के बाद इन चीजों को कूड़े में डाल देने की आदत अपनाने चाहिए ।तो दोस्तों हमें अपनों और खुद का ख्याल रखना है और टीबी से बचाव के उपाय को अपनाना है तभी तो हम टीबी को हराएंगे और देश को जिताएंगे।

हम सभी रोज़ाना स्वास्थ्य और बीमारियों से जुड़ी कई अफवाहें या गलत धारणाएं सुनते है। कई बार उन गलत बातों पर यकीन कर अपना भी लेते हैं। लेकिन अब हम जानेंगे उनकी हकीकत के बारे में, वो भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में। याद रखिए, हमारा उद्देश्य किसी बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि लोगों को उत्तम स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना है। सेहत और बीमारी को लेकर अगर आपने भी कोई गलत बात या अफवाह सुनी है, तो फ़ोन में नंबर 3 दबाकर हमें ज़रूर बताएं। हम अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से जानेंगे उन गलत बातों की वास्तविकता, कार्यक्रम सेहत की सच्चाई में।

bagodar parkhand ke chaar panchayat ke 3000hajar garib mahilao ke bich nisulk senetri nepkin paid ka vitran kiya gya

नमस्कार दोस्तों , मेरा नाम कविता देवी है और मैं लातेहार के चंदवा प्रखंड के रोल गाँव से बोल रही हूँ । आज मैं मोबाइल वानी के माध्यम से बांस के करील का अचार बनाने की बात कर रहा हूं । मैं आपको बताना चाहता हूं , मैं आप सभी को जानकारी देना चाहता हूं , तो आइए जानते हैं कि हम बास्केरिल अचार कैसे बनाते हैं और हमें यह किस समय मिलता है । यह बरसात के मौसम के दौरान पाया जाता है , जो बरसात के मौसम की शुरुआत है , और लंबे समय तक यह पाया जाता है और यह झारखंड में बहुत बड़ी मात्रा में पाया जाता है क्योंकि झारखंड के वन पहाड़ ऊंचे होते हैं । यह झारखंड में पाया जाता है , यह जंगलों में पहाड़ों में उगता है और बांस के पौधों से टूट जाता है , यह ग्रामीण क्षेत्रों में भी पाया जाता है और इसे खाना बहुत स्वादिष्ट होता है । इसे नीचे से खाया जाता है , इसका उपयोग किया जाता है , यह बहुत पौष्टिक होता है , यह पोषण से भरा होता है , इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं , इसमें विटामिन होते हैं , जैसे पोटेशियम , यह बहुत अच्छी मात्रा में पाया जाता है । इसमें कैल्शियम , जिंक , कॉपर , आयरन , विटामिन ई , विटामिन बी6 , विटामिन ए आदि होते हैं । बांस में जीवाणुरोधी गुण भी होते हैं जो त्वचा से संबंधित बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं । यह श्वसन रोगों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में भी मदद करता है , इसलिए कुल मिलाकर हम मान सकते हैं कि बांस जो करी है , बांस की करी बहुत फायदेमंद है , यह बाजार और जंगल पाल में भी उपलब्ध है । स्थानीय लोग इसे पहाड़ से तोड़कर लाते हैं , तो आइए जानते हैं कि अब हम इसे अचार कैसे बना सकते हैं । दो से ढाई चम्मच आप सरसों , आधा चम्मच अमचूर पाउडर , लाल मिर्च पाउडर का उपयोग कर सकते हैं , आप एक चम्मच हल्दी पाउडर मिला सकते हैं , आप आधा चम्मच अजवाइन मिला सकते हैं , आप आधा चम्मच नमस मिला सकते हैं । आप अपने स्वाद के अनुसार एक से डेढ़ कप सरसों का तेल , साथ ही पांच से सात लाल मिर्च और एक से डेढ़ चम्मच जीरा मिला सकते हैं । अब वे जानते हैं कि इसे कैसे बनाना है , सबसे पहले , आप बांस के अंकुर को अच्छी तरह से उतार देंगे और इसे साफ पानी में धो लेंगे । इसे बहुत अच्छी तरह से साफ करने के बाद , इसे छोटे टुकड़ों में काटा जाता है और थोड़ी देर के लिए धूप में रखा जाता है । ताकि इसका पानी घर जाए और यह अपनी नमी खो दे , फिर एक कड़ाई को गर्म करें और एक गर्म कड़ाई में तेल डालें और तेल को गर्म होने दें । इसे स्टफिंग में डालने के बाद कुछ समय के लिए भूनें और फिर इसे ठंडा होने दें और ठंडा होने के बाद इन मसालों को बारीक चूर्ण में पीस लें , उसके बाद जब मसाला आपके लिए तैयार हो जाए , तो यह आपका काम है । यदि दिल का पानी सूख गया है , तो अब बारीक कटे हुए करी के पत्तों को एक बर्तन में डालें और ऊपर से भुना हुआ मसाला डालें । फिर इसमें अमचोर पाउडर डालें , इसमें तेल डालें और इसे अच्छी तरह मिलाएं । इसे चार से पांच दिनों तक धूप में रखना पड़ता है , फिर यह चला जाता है और अच्छी तरह से तैयार हो जाता है और उसके बाद आप इस अचार का उपयोग भोजन में कर सकते हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस अचार को लंबे समय तक खाया जा सकता है ।