मेहसी के मंगराही बाजार के निकट से पुलिस ने 25 वर्षीय अज्ञात महिला का शव बरामद कर पोष्टमार्टम के लिए मोतिहारी भेज दिया है। महिला की पहचान नहीं हो पाई है। कुछ लोगों ने बताया कि उक्त महिला विक्षिप्त थी। अक्सर घूमती रहती थी। लोगों ने आशंका जतायी है कि किसी तेज़ गति गाड़ी के चपेट में आने के कारण इसकी मौत हुई है। थाना अध्यक्ष सुनील कुमार ने बताया शव को पोष्टमार्टम के लिए मोतिहारी भेज दिया गया है।

शिक्षा मंत्रालय की स्कूली बच्चों के भारी बस्ते और इसके प्रभाव पर आई रिपोर्ट में चिंतित करने वाली है। इस रिपोर्ट के अनुसार बस्ते का बढ़ता बोझ बच्चों को बीमार कर रहा है। भारी-भरकम बस्ते के कारण 77 फीसदी से अधिक बच्चे कमर और गर्दन संबंधी रोगों के शिकार हो रहे हैं। शिक्षा मंत्रालय ने बिहार समेत देशभर के स्कूलों के बच्चों और अभिभावकों से बस्ते और उसके असर पर लिए गए फीडबैक के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है। इसके अनुसार 77 फीसदी से अधिक अभिभावकों ने बताया कि बस्ते के कारण उनके बच्चे की गर्दन या कमर पर असर पड़ा है। बच्चे दर्द की शिकायत करते हैं। 85 फीसदी से अधिक बच्चों ने कहा कि वे बस्ते का वजन कम करना चाहते हैं। अभिभावकों ने बताया कि बस्ते के कुल भार का 78 फीसदी से अधिक मोटी किताबों, नोटबुक और रिफरेंस बुक का होता है। इसके अलावा, बस्ते में पानी की बोतल, लंच बॉक्स, पेंसिल बॉक्स, कलर बॉक्स और स्कूल द्वारा अनिवार्य की गई अन्य चीजें भी होती हैं। 58 फीसदी अभिभावकों ने बताया कि वे वे चाहते हैं कि बस्ते का वजन कम हो। बस्ते के बोझ और बच्च्चों पर इसका प्रभाव जानने के लिए शिक्षा मंत्रालय और एनसीईआरटी ने देशभर के 2992 अभिभावकों और 3624 बच्चों से फीडबैक लिया। इसके बाद सीबीएसईने 5200 अभिभावकों से काउंसिलिंग के दौरान इस पर बात की। फरवरी से कई चरणों में फीडबैक लेने के बाद रिपोर्ट तैयार की गई। शिक्षा मंत्रालय का निर्देश है कि बस्ते का भार बच्चे के वजन के 10 फीसदी से अधिक न हो। नई शिक्षा नीति के तहत भी बस्ते का वजन कम करने का निर्देश है। सरकारी स्कूलों में इस पर काफी हद तक अमल शुरू हुआ है। बिहार के स्कूलों में शनिवार को बैगलेस किया गया है। निजी स्कूलों में इस पर कोई ठोस पहल नहीं हुई है।

एक बोरी डीएपी का इफको की एक बोतल नैनो तरल डीएपी टक्कर देगी। जो यूरिया खाद से भी सस्ती है। खेती किसानी में उर्वरकों के बढ़ते प्रयोग से मिट्टी पर पड़ रहे दुष्प्रभाव को दूर करने में नैनो डीएपी काफी कारगर साबित होगी। जलवायु परिवर्तन के दौर में इसके उपयोग से वायु प्रदूषण कम होगा। बाजार में जहां एक बोरी डीएपी की कीमत 1350 रुपये है,वहीं नैनो तरल डीएपी के 500 मिली लीटर की कीमत मात्र 600 रुपये है। पूर्वी चम्पारण जिले में जल्द ही नैनो तरल डीएपी लांच करेगी। इसके लिए उर्वरक विक्रेताओं के द्वारा लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। एक एकड़ के लिए पर्याप्त है एक बोतल नैनो डीएपी एक एकड़ में खेती के लिए जहां एक बोरी की जरूरत होती है। वहीं नैनो डीएपी की एक बोतल मात्रा एक एकड़ के लिए पर्याप्त है। बीज बुआई के समय 250 मिली लीटर नैनो डीएपी को मिला दिया जाता है। वहीं बीज अंकुरण के बाद फसल आने के 30 से 35 दिनों पर नैनो डीएपी का छिड़काव किया जाता है। बोरी वाली डीएपी से करीब 30 प्रतिशत मात्रा वायुमंडल में चली जाती है। जबकि नैनो तरल डीएपी की मात्रा शत प्रतिशत फसल के लिए कारगार साबित होती है।

केंद्र सरकार ने 10,000 एफपीओ स्कीम के तहत पूरे देश में दस हज़ार ए़फपीओ बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए विभिन्न सरकारी व ़गैरसरकारी संगठनों द्वारा किसान उत्पादक संगठन का संवर्धन किया जा रहा है। ए़फपीओ खेत से बाज़ार तक किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करती है और किसान उत्पादक संगठन से जुड़कर किसान आत्मनिर्भर होंगे। साथ ही उनकी सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में भी बदलाव आएगा। यह बातें नाबार्ड के डीडीएम आनंद अतिरेक ने मंगलवार को एफपीओ के निरीक्षण के दौरान कही। श्री अतिरेक ने पीपराकोठी, संग्रामपुर, मोतिहारी व तुरकौलिया ए़फपीओ का निरीक्षण किया। उन्होंने ए़फपीओ के निदेशक मंडल व कार्यकर्ताओं को ए़फपीओ के कुशल प्रबंधन को लेकर सुझाव दिया। गौरतलब है कि जिले के संग्रामपुर, तुरकौलिया, मोतिहारी, पीपराकोठी, चकिया, पकड़ीदयाल, मेहसी, कल्याणपुर, अरेराज, हरसिद्धि व रामगढ़वा में कौशल्या ़फाउंडेशन द्वारा किसानों को जागरूक कर किसान उत्पादक संगठन बनाया गया है । इन बारह एफपीओ के साथ 4500 किसान जुड़े हैं। चकिया, संग्रामपुर व रामगढ़वा के ए़फपीओ को राज्य के कृषि विभाग के तऱफ से ़फार्म मशीनरी बैंक भी प्रदान किया गया है। कौशल्या ़फाउंडेशन के मैंनेजिंग ट्रस्टी कौशलेंद्र ने बताया कि किसान संगठित होकर उत्पादन से विपणन तक लागत में कमी कर सकेंगे और अच्छा मूल्य प्राप्त कर बेहतर आय प्राप्त कर सकेंगे।

अब अनुमंडलीय अस्पतालों में पोस्टमार्टम हाउस खुलेगा। साथ ही अनुमंडलीय अस्पतालों में सिजेरियन ऑपरेशन की व्यवस्था होगी। इसको लेकर सीएस ने सरकार के निर्देश पर सभी अनुमंडलीय अस्प्ताल प्रभारियो को निर्देश जारी कर दिया है।जल्द ही इसकी व्यवस्था कर चालू करने को कहा गया है। जिले में पांच अनुमंडलीय अस्पताल रक्सौल, चकिया, अरेराज, पकड़ीदयाल व ढाका है। विगत कई वर्ष से यह अनुमंडल फंक्शन में है। यहा अनुमंडलीय अस्पताल कार्यकर्ता हैं। मगर यहां न तो सिजेरियन ऑपरेशन की सुविधा है और न पोस्टमार्टम की व्यवस्था है। जिसके कारण मोतिहारी अनुमंडलीय अस्प्ताल जिसे जिला अस्पताल का दर्जा है यही सभी अनुमण्डल का पोस्टमार्टम से लेकर सिजेरियन ऑपरेशन होता है।जिसको लेकर सदर अस्पताल में भीड़ लगी रहती है। अनुमंडल से जिला मुख्यालय की दूरी अधिक होने से पोस्टमार्टम में परेशानी होती है। मोतिहारी से अरेराज की दूरी करीव 30 किमी, ढाका की दूरी करीब 26 किमी, चकिया 35 किमी व पकड़ी दयाल अनुमंडल मुख्यालय करीब 20 किमी की दूरी पर है। बताते हैं कि अनुमंडल स्तर पर पोस्टमार्टम होने से पुलिस से लेकर पब्लिक को काफी सुविधा होगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिये इतनी लंबी दूरी तय नहीं करना होगी ।पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी पेंडिंग नहीं रहेगी। पुलिस को चार्जशीट करने में सुविधा होगी। बताते हैं कि मात्र सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम होने के कारण यहां पोस्टमार्टम रिपोर्ट लिखने में और पुलिस को ले जाने में काफी लेट होता है। कई दिन पुलिस को रिपोर्ट के लिये चक्कर लगाना पड़ता है। अभी भी एक दर्जन से ज्यादा पोस्टमार्टम रिपोर्ट पेंडिंग है। ऐसा ही आलम सिजेरियन में है। अनुमंडलीय अस्प्ताल में सिजेरियन की सुविधा नहीं होने के कारण अधिकांश सिजेरियन निजी नर्सिंग होम में होता है। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना अनुमंडलीय अस्प्ताल में आते आते शिथिल पड़ जाता है। बताते हैं कि इन सब को ध्यान में रखकर जल्द से जल्द यह सुविधा अनुमंडलीय अस्प्ताल में करने का सरकार ने निर्देश दिया है।डीएम ने भी इस पर अमल करने का निर्देश सीएस को दिया है।

तुरकौलिया थाना क्षेत्र के नरियरिवा गांव निवासी लालबहादुर साह के पुत्र अमित कुमार की गोली मार हत्या कर दी गयी। बेलवा राय पंचायत के बरवा स्थित बौधि माई स्थान के समीप सड़क किनारे से उसका शव पुलिस ने बरामद किया है। उसके गर्दन में अपराधियों ने गोली मारकर हत्या की है। हत्या कहीं अन्यत्र कर अपराधियों ने उसे यहां लाकर फेंका है, जिसकी चर्चा की जा रही है। मृत युवक भी आपराधिक प्रवृति का बताया जाता है।

बेतिया-अरेराज मुख्य सड़क पर शाम करीब चार बजे लौरिया गांव के समीप विपरीत दिशा से आ रही मारुति कार व बाइक की सीधी टक्कर में बाइक सवार तीन किशोरों की मौत हो गयी। इनमें अरेराज बलहा निवासी राजेश राय के पुत्र रितिक रौशन (12) व कृष्णा पटेल का पुत्र शुभम पटेल (13) की मौत मौके पर हो गयी। प्रमोद ठाकुर के पुत्र नीतीश (14) को गंभीर हालत में इलाज के लिए अनुमंडलीय अस्पताल अरेराज भेजा गया। वहां से इलाज के लिए सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। मोतिहारी जाने के क्रम में रास्ते में ही उसने भी दम तोड़ दिया। हादसे के बाद कार चालक भाग निकला। घटना के बाद उग्र भीड़ ने बेतिया मार्ग को जाम कर दिया। इससे अरेराज -बेतिया सड़क पर राहगीरों को परेशानी हुई।

अधेड़ों- बुजुर्गों की बीमारी माने जाने वाले हाईपरटेंशन की जद में अब किशोर और युवा आने लगे हैं। विशेषकर जब से कोरोना ने दस्तक दे दी है, तब से युवाओं व किशोरों में हाई बीपी की बीमारी हाईपरटेंशन बढ़ने लगा है। अर्नव हॉस्पिटल जीवधारा  डॉ. अभिषेक बताते हैं कि मेडिसिन के ओपीडी से लेकर इंडोर में मिलने वाले कुल व्यस्क हाई बीपी के मरीजों में से सात प्रतिशत किशोर व 13 प्रतिशत युवा हाईपरटेंशन की चपेट में मिल रहे हैं। किशोरों का आशय 13 साल से 17 साल के बीच और युवाओं का आशय 18 से 25 साल के बीच की उम्र है। आंकड़ों की बात करें तो पुरुषों की तुलना में तेजी से महिलाओं को हाई बीपी की बीमारी बढ़ रही है। नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ें बताते हैं कि साल 2015-16 से लेकर साल 2019-20 के बीच जिले में पुरुषों (1.4 प्रतिशत) की तुलना में हाईपरटेंशन की शिकार महिलाओं की संख्या (3.9 प्रतिशत) में ज्यादा इजाफा हुआ। एनएफएचएस-5 के अनुसार, साल 2015-16 में जहां जिले में हाईपरटेंशन की शिकार (140/90 या इससे अधिक) महिलाओं की संख्या 9.4 प्रतिशत थी, वह साल 2019-20 में बढ़कर 13.3 प्रतिशत हो गयी। वहीं साल 2015-16 में जहां बीपी के शिकार (140/90 या इससे अधिक) पुरुषों की संख्या 11.2 प्रतिशत थी, वह साल 2019-20 तक बढ़कर 14.7 प्रतिशत पर पहुंच गयी। जिस तरह से साल 2019-20 तक पहुंचते-पहुंचते हाईपरटेंशन के शिकार पुरुषों (14.7 प्रतिशत) के नजदीक हाईपरटेंशन की शिकार महिलाओं की संख्या (13.3 प्रतिशत) पहुंच गयी थी। इस तरह से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन तीन सालों में हाई बीपी की शिकार महिलाओं की संख्या पुरुषों के बराबर हो चुकी होगी।

किसानों को खेती किसानी में आत्मनिर्भर बनाने और मौसम की जानकारी त्वरित उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पंचायतों में वर्षा मापक यंत्र लगाई गई। परंतु रख-रखाव के कारण दम तोड़ रहा है। प्रखण्ड मुख्यालय में लगा एक वर्षा मापक यंत्र कार्य करता है। लेकिन पंचायतों में इस पर खर्च लाखों रुपए किसानों को लाभ नहीं पहुंचा रहा है।  पंचायतों में वर्षा अनुपात का अध्ययन पंचायत वार करने में विभाग को कठिनाई होती है। पंचायतों में यंत्र की स्थापना से फसलों की बुवाई एवं सिंचाई की वास्तविक जरूरतें भी पूरी हो सकती हैं। साथ ही सूखाग्रस्त इलाके की पहचान भी हो सकेगी और किसानों को वास्तविक लाभ प्राप्त हो सकेगा।  लेकिन इसके रखरखाव की स्थिति काफी दयनीय है। स्टेशन को तार के बाड़े से घेराबंदी की गयी है। लेकिन साफ सफाई के अभाव में झाड़ झंखाड़ उग आए हैं। जनप्रतिनिधियों ने कहा कि स्थानीय मौसम स्टेशन की दुर्दशा दर्शाने के लिए काफी है कि विभाग किसानों के प्रति कितना सापेक्ष और उत्तरदायी है। सांख्यिकी पदाधिकारी अजय कुमार सिंह ने बताया कि पंचायतों में स्थापना के बाद उसका लिंक पटना से होगा। उसका सारा कंट्रोल पटना से हो गया। उसके बाद जब भी डाटा कलेक्ट के लिए उसे ओपन किया जाता है तब सिर्फ कृषि विभाग लिखा मिलता है। इधर बीडीओ मुकेश कुमार ने बताया कि इसके लिए विभाग से पत्राचार भी किया गया, परंतु कोई परिणाम नही निकला।

पीपराकोठी  केविके के एग्रो एडवाइजरी ने अगले तीन दिनों का मौसम पूर्वानुमान जारी किया है। मौसम वैज्ञानिक डॉ.नेहा पारेख ने बताया कि मौसम वेधशाला पूसा के आकलन के अनुसार पिछले तीन दिनों का औसत अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान क्रमश: 36.3 एवं 21.7 डिग्री सेल्सियस रहा। औसत सापेक्ष आर्द्रता 76 प्रतिशत सुबह में एवं दोपहर में 43 प्रतिशत, हवा की औसत गति 4.4 किमी प्रति घंटा एवं दैनिक वाष्पन 6.2 मि०मी० तथा सूर्य प्रकाश अवधि औसतन 8.4 घन्टा प्रति दिन रिकार्ड किया गया। तथा 5 सेमी की गहराई पर भूमि का औसत तापमान सुबह में 273 एवं दोपहर में 39.3 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। इस अवधि में 12.4 मि०मी० वर्षा हुई है।