हमारे देश में हर एक दिन की अपनी खास बात और महत्व है। जहां एक दिन किसी दिन को हम किसी की जयंती के रूप में मनाते हैं, तो किसी दिन को बेहद ही खुशी से। इसी कड़ी में 24 अप्रैल का दिन भी बेहद खास है।इस दिन पंचायतो में विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन किया जाता है जो पंचायत की उपलब्धियों और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में उनके योगदान को उजागर करते हैं। यह दिन 17 जून 1992 को संविधान में 73वें संशोधन के पारित होने और 24 अप्रैल 1993 को कानून लागू होने की याद में मनाया जाता है। पंचायती राज व्यवस्था का जनक लॉर्ड रिपन को माना जाता है अगर देश में किसी गांव में कोई दिक्कत है या उस गांव की हालत खराब है, तो उस गांव की इस समस्या को दूर करने और उसे सशक्त एवं विकसित बनाने के लिए ग्राम पंचायत ही उचित कदम उठाती है। तो आइये दोस्तों ,इस राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर हम सभी पंचायत के नियमों का पालन करे और पंचायती राज व्यवस्था का हिस्सा बन कर पंचायत के विकास में योगदान दे । मोबाइल वाणी के पुरे परिवार की और से आप सभी को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

बिहार राज्य के जिला चम्पारण से अमरूल आलम , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि गांव में जागरूकता अभियान चलाया गया।

दोस्तों, प्रधानमंत्री के पद पर बैठे , किसी भी व्यक्ति से कम से कम इतनी उम्मीद तो कर ही सकते हैं कि उस पद पर बैठने वाला व्यक्ति पद की गरिमा को बनाए रखेगा। लेकिन कल के भाषण में प्रधानमंत्री ने उसका भी ख्याल नहीं रखा, सबसे बड़ी बात देश के पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ खुले मंच से झूठ बोला। लोकतंत्र में आलोचना सर्वोपरि है वो फिर चाहे काम की हो या व्यक्ति की, सवाल उठता है कि आलोचना करने के लिए झूठ बोलना आवश्यक है क्या? दोस्तों आप प्रधानमंत्री के बयान पर क्या सोचते हैं, क्या आप इस तरह के बयानों से सहमत हैं या असहमत, क्या आपको भी लगता है कि चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जाना अनिवार्य है, या फिर आप भी मानते हैं कि कम से कम एक मर्यादा बनाकर रखी जानी चाहिए चाहे चुनाव जीतें या हारें। चुनाव आयोग द्वारा कोई कार्रवाई न करने पर आप क्या सोचते हैं। अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाइलवाणी पर।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" के नारे से रंगी हुई लॉरी, टेम्पो या ऑटो रिक्शा आज एक आम दृश्य है. पर नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च द्वारा 2020 में 14 राज्यों में किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि योजना ने अपने लक्ष्यों की "प्रभावी और समय पर" निगरानी नहीं की। साल 2017 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में हरियाणा में "धन के हेराफेरी" के भी प्रमाण प्रस्तुत किए। अपनी रिपोर्ट में कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ स्लोगन छपे लैपटॉप बैग और मग खरीदे गए, जिसका प्रावधान ही नहीं था। साल 2016 की एक और रिपोर्ट में पाया गया कि केंद्रीय बजट रिलीज़ में देरी और पंजाब में धन का उपयोग, राज्य में योजना के संभावित प्रभावी कार्यान्वयन से समझौता है।

2024 के आम चुनाव के लिए भी पक्ष-विपक्ष और सहयोगी विरोधी लगभग सभी प्रकार के दलों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिये हैं। सत्ता पक्ष के घोषणा पत्र के अलावा लगभग सभी दलों ने युवाओं, कामगारों, और रोजगार की बात की है। कोई बेरोजगारी भत्ते की घोषणा कर रहा है तो कोई एक करोड़ नौकरियों का वादा कर रहा है, इसके उलट दस साल से सत्ता पर काबिज राजनीतिक दल रोजगार पर बात ही नहीं कर रहा है, जबकि पहले चुनाव में वह बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर ही सत्ता तक पहुंचा था, सवाल उठता है कि जब सत्ताधारी दल गरीबी रोजगार, मंहगाई जैसे विषयों को अपने घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बना रहा है तो फिर वह चुनाव किन मुद्दों पर लड़ रहा है।

बिहार राज्य के चम्पारण से राजेश ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बाबा साहेब न होते, तो आज भारत का संविधान नही होता। बाबा साहब ने सांस्कृतिक राष्ट्र के प्रति भारत का संविधान बनाया। सभी धर्मों की संभावना के प्रतीक संविधान बनाया है, और बाबा साहब राजनीति में प्रवेश किए। तथा लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहा तो कांग्रेस ने बाबा साहेब के खिलाफ दो-दो बार उम्मीदवार खड़ा कर उन्हें संसद भवन पहुंचने नहीं दिया। बाबा साहब को लोकसभा पहुंचाने का काम डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने किया। उक्त बातें बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के जन्मदिन पर रविवार को स्थानीय प्रखंड कार्यालय परिसर में स्थापित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण के मौके पर बिहार सरकार के पूर्व मंत्री सह स्थानीय विधायक प्रमोद कुमार ने अपने संबोधित में कहा कि बाबा साहेब को भारत रत्न भी एनडीए के अटल सरकार ने दिया। अम्बेडकर के उद्देश्यों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  आज देश को आगे बढ़ा रहे हैं, और बाबा साहेब के पांच तीर्थ का निर्माण कर बाबा साहब को सम्मान दिया है। पीपराकोठी में स्थापित बाबा साहेब की प्रतिमा स्थानीय सांसद राधामोहन सिंह ने स्थापित कर बाबासाहेब के प्रति सच्ची श्रद्धा सुमन अर्पित किया है।  मौके पर प्रखंड अध्यक्ष उपेन्द्र चौधरी, लवकिशोर निषाद, रविन्द्र सहनी, कामेश्वर चौरसिया, उमाशंकर शर्मा, टुन्ना गिरी, गुंजन जयसवाल, राजू सिंह, पवन गुप्ता, राजकुमार सिंह, राजेश साह व अवध महतो आदि मौजूद थे।

मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के निर्देशों के अनुसार मंगलवार को यू. एस. एम./एस. कर दहेज शिक्षक अभिभावक सेमिनार वार्षिक मूल्यांकन प्रगति पत्रक समारोह द्वारा उर्दू में दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता के दौरान छठी, छठी और आठवीं कक्षा के छात्रों को स्वर्ण, रजत और क्रॉस पदक से सम्मानित किया गया। तीसरे स्थान पर आने के लिए अब्दुल कुद्दुत खान को रजत पदक और चटवा में पहले स्थान पर रहने के लिए सीता खान को स्वर्ण पदक और तीसरे स्थान पर रहने के लिए खुशी कुमारी को रजत पदक से सम्मानित किया गया।

लोकसभा चुनाव को देखते हुए पूर्वी चंपारण जिले में मतदाताओं को जागरूक करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके लिए जिले में स्वीप कार्यक्रम के तहत आंगनवाड़ी केंद्रों में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है, जिसके तहत आज शनिवार को गोडासन ब्लॉक के 41 नंबर के आंगनवाड़ी केंद्र में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। रंगोली बनाकर मतदाताओं को जागरूक किया गया और इस अवसर पर सी. डी. पी. ओ. अंजना कुमारी ने बताया कि इसका आयोजन विभिन्न आंगनवाड़ी केंद्रों पर किया जा रहा है। इस दौरान उन्हें मतदान के बारे में बताया गया और उन्हें उनके अधिकारों के बारे में भी जागरूक किया गया, इस दौरान उपस्थित सभी महिलाओं को मतदान करने और मतदान करने के लिए कहा गया। आंगनवाड़ी केंद्रों पर महिलाओं द्वारा बनाई गई रंगोली का प्रतिशत बढ़ाने का संकल्प भी लिया गया, जिसमें घर के सभी काम पहले छोड़ दें, वोट दें आदि जैसे नारे लगाए गए। आंगनवाड़ी केंद्र के बच्चों को घर के सभी मतदाताओं को मतदान करने के लिए प्रेरित करने का संदेश दिया गया। मौके पर महिला पर्यवेक्षक संगीता कुमारी सेविका सुमन कुमारी सहायिका हीरामधि देवी।

भारत का आम समाज अक्सर सरकारी सेवाओं की शिकायत करता रहता है, सरकारी सेवाओं की इन आलोचनाओं के पक्ष में आम लोगों सहित तमाम बड़े बड़े अर्थशास्त्रियों तक का मानना है कि खुले बाजार से किसी भी क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों में कंपटीशन बढ़ेगा जो आम लोगों को बेहतर सुविधाएं देगा। इस एक तर्क के सहारे सरकार ने सभी सेवाओं को बाजार के हवाले पर छोड़ दिया, इसमें जिन सेवाओं पर इसका सबसे ज्यादा असर हुआ वे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर पड़ा है। इसका खामियाजा गरीब, मजदूर और आम लोगों को भुगतना पड़ता है।