कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

बिहार राज्य के पूर्वी चम्पारण के सुगौली से अमरलाल खान ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि दक्षिण सिमपुर पंचायत के बटौलिया गांव के वार्ड संख्या नौ में कर्बला की चारदीवारी का निर्माण और रोपण पंचायती राज के कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया है। अदालत या स्थानीय लोगों ने ठेकेदार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। यह आरोप लगाया गया था कि ठेकेदार द्वारा जो भी सामग्री का उपयोग किया जा रहा है, घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। इससे सुगौली पंचायती राज पदाधिकारी नाराज हो गए। नाजियों के पद को तुरंत रोक दिया गया है। इस खबर को गंभीरता से लेते हुए विभाग ने काम रोक दिया है। पंचायती राज प्राधिकरण ने सूचित किया है कि जो कोई भी वहां है। बागड़ी को हटाने और अच्छी गुणवत्ता वाली सामग्री आने का निर्देश दिया गया है, तभी जांच के बाद काम शुरू किया जाएगा। अब्दुल तकुल, सर्व कर्ता रुसा मोहम्मदनगरी अब्दुल कलाम तादमीदलाबादी के लोगों ने कहा कि ठेकेदार द्वारा कर्बला की चारदीवारी का निर्माण ठीक से नहीं किया जा रहा है।

कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।

पूर्वी चम्पारण 4 नंबर वार्ड में नल जल योजना पर काम नहीं हुआ है

एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?

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तमाम गैर सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं सरकारें हर छोटी मोटी भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र देने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित कर रही हैं, जिससे की बताया जा सके कि युवाओं को रोजगार उनकी पार्टी की सरकार होने की वजह से मिल रहा है।

कल्याणपुर प्रखंड प्रमुख संगीता कुमारी पर लगे अविश्वास प्रस्ताव को लेकर सोमवार को प्रमुख सभागार में समिति सदस्यों की बैठक हुई। जिसमें कुल 34 सदस्यों में 32 सदस्यों ने भाग लिया। बैठक के दौरान कार्यपालक पदाधिकारी सह प्रखंड विकास पदाधिकारी के समक्ष वोटिंग हुई।जिसमें संगीता कुमारी विजयी हुई। प्रमुख संगीता कुमारी पर लगे अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया व प्रमुख की कुर्सी बरकरार रही। वहीं उप प्रमुख पूजा रोशन के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लग गया। बता दें कि समितियों द्वारा वोटिंग में प्रमुख पर लगे अविश्वास के विपक्ष में 23 मत, पक्ष में 6 व तीन मत अवैध हुए। वहीं 32 मतों में उप प्रमुख के अविश्वास के पक्ष में 21 मत, विपक्ष में 10 व एक मत अवैध पड़े।

मोतिहारी नगर निगम शहर सहित निगम क्षेत्र की साफ-सफाई पर लाखों रुपये हर माह खर्च कर रहा है। बावजूद इसके नगर निगम स्वेच्छा रैंकिंग में पिछड़ गया है। अब नगर निगम की रैंकिंग बिहार में 11 वां व राष्ट्रीय स्तर पर 363 वां रैंक पर पहुंच गया है। इससे निगम की सफाई की पोल खुल गई है। एनएच पर कूड़ा का लगा है ढेर एनएच के मोतिहारी- बेतिया पथ पर सड़क के दोनों तरफ कूड़ा का अंबार लगा है। नगर निगम से प्रतिदिन करीब 40 से 50 टन कूड़ा निकलता है। इसमे अधिकांश कूड़ा की डंपिंग एनएच किनारे हो रही है। इससे वहां के स्थानीय लोगों सहित राहगिरों की परेशानी बढ गई है। एनएच से गुजरनेवाले लोग नाक पर रुमाल रखकर तीन से चार किमी की दूरी तय करने को मजबूर हैं।

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