नासिक में रहने वाली मयूरी धूमल, जो पानी, स्वच्छता और जेंडर के विषय पर काम करती हैं, कहती हैं कि नासिक के त्र्यंबकेश्वर और इगतपुरी तालुका में स्थिति सबसे खराब है। इन गांवों की महिलाओं को पानी के लिए हर साल औसतन 1800 किमी पैदल चला पड़ता है, जबकि हर साल औसतन 22 टन वज़न बोझ अपने सिर पर ढोती हैं। और ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

जिले में प्रचंड गर्मी का असर भू गर्भीय जलस्तर पर पड़ा है। बारिश नहीं होने से अप्रैल माह में ही जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई है। यह खुलासा पीएचईडी मोतिहारी के द्वारा जलस्तर की पैमाईश के बाद हुआ है। मोतिहारी ब्लॉक क्षेत्र में चार पांच जगह सरकारी हैंड पंप के जलस्तर की जांच की गई। इसमें सर्वाधिक 19 फीट तक भू गर्भीय जलस्तर में कमी दर्ज की गई है। जबकि सबसे कम संग्रामपुर ब्लॉक में 8.8 फीट जलस्तर में कमी पाई गई है। पीएचईडी के अनुसार यदि प्रचंड गर्मी का सिलसिला जारी रहा तो जून जुलाई में भू गर्भीय जलस्तर में 2 से 3 फीट तक गिरावट आ सकती है। हालांकि विगत जुलाई माह में मोतिहारी में 19.5 फीट तक जलस्तर नीचे चला गया था। जिससे कई इलाकों में हैंड पंप के सूखने की शिकायत विभाग को मिली थी। लेकिन अभी तक पीएचईडी मोतिहारी अंतर्गत हैंड पंप सूखने की सूचना विभाग को नहीं मिली है। पीएचईडी मोतिहारी अंतर्गत 14 ब्लॉक में हुई जांच पीएचईडी मोतिहारी अंतर्गत 14 ब्लॉक में भू गर्भीय जलस्तर की जांच की गई। इसमें केसरिया में 11.2 फीट, बंजरिया 12.7 फीट, कोटवा 15.7 फीट, पहाड़पुर 15.9 फीट, अरेराज 10.1 फीट, कल्याणपुर 13.6 फीट, हरसिद्धि 12.2 फीट, तुरकौलिया 13.4 फीट, रक्सौल 15.4 फीट, रामगढ़वा 15.4 फीट, पिपरा कोठी 15.8 फीट व सुगौली ब्लॉक में 14 फीट तक भू गर्भीय जलस्तर में गिरावट आई है। विभाग के अनुसार 22 से 25 फीट तक भू गर्भीय जलस्तर में गिरावट आने पर हैंडपंप सूखने लगते हैं। पर आगामी दिनों में प्रचंड गर्मी पड़ने व बरसात नहीं होने पर भू गर्भीय जलस्तर नीचे जा सकता है। इससे हैंड पंप सूखने की समस्या खड़ी हो सकती है। भू गर्भीय जलस्तर की पैमाईश को लेकर विभागीय स्तर पर टीम गठित की गई थी। इसमें तीन जेई शामिल थे। इसके अलावा विभाग के वरीय अधिकारी भी निरीक्षण किए थे । इस प्रमंडल अंतर्गत भू गर्भीय जलस्तर की जांच की गई है। इस रिपोर्ट को सरकार को भेजी जाएगी।

बिहार राज्य के जिला चम्पारण से अमरूल आलम , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि विद्यालय में चापाकल नहीं होने के कारण बच्चे बहार पानी पिने को मजबूर

हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

जल ही जीवन है। यह पंक्तियाँ हम बचपन से सुनते आ रहे हैं। आज के समय में जब दुनिया शुद्ध जल की कमी से जूझ रही है, यह पंक्तियाँ और सार्थक हो जाती हैं। भारत में जल संकट लगातार गहराता जा रहा है। कई राज्य हैं जो भूजल की कमी के चरम बिंदु को पार कर चुके हैं। हर साल 22 मार्च के दिन विश्व जल दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमारे जीवन में जल के महत्व और उसके संरक्षण को समर्पित है।इस विश्व जल दिवस पर पानी की बर्बादी को रोके और जल को प्रदूषित होने से बचाये। मोबाइल वाणी के पुरे परिवार की ओर से आप सभी को विश्व जल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

जिला पंचायती राज से जुलाई 2023 में नल जल योजना से पीएचईडी के मोतिहारी डिवीजन को 14 प्रखंड व ढाका डिवीजन को 13 प्रखंड हैंडओवर किया जा चुका है। पीएचईडी से ही इस योजना की देखरेख की जा रही है। पीएचईडी के मोतिहारी डिवीजन के 14 प्रखंड के पंचायतों में 3005 योजनाएं संचालित की जा रही है। जिसमें पूरी तरह से 2044 योजनाएं संचालित है। आंशिक रुप से संचालित योजनाओं की संख्या 527 है वहीं 424 योजनाएं पूर्ण रुप से बंद है।

आगामी भीषण गर्मी की आशंका के लेकर खराब पड़े चापाकलों की मरम्मत के लिये शनिवार को डीएम सौरभ जोरवाल चलंत चापाकल मरम्मति दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। सभी 27 प्रखंडों में मरम्मत दल कार्यरत रहेगा। जिसके लिए रोस्टर तैयार कर कार्यालय आदेश निर्गत किया गया है। डीएम ने कहा कि आगामी गर्मी के मौसम में पीक टाइम में भीषण गर्मी पड़ने की आशंका रहती है। भूगर्भ जलस्तर भी नीचे चला जाता है। पेयजल की समस्या भी आ सकती है। जिसको लेकर अग्रिम तैयारी शुरू कर दी गयी है ताकि आम जनता को कोई समस्या नहीं हो। 27 चलंत चापाकल मरम्मत दलों को रवाना किया गया जो सभी 396 पंचायतों में घूम-घूमकर खराब चापाकलों को ठीक करेगा।

बिहार राज्य के पूर्वी चम्पारण से नाम प्रतिमा देवी है और मैं बहुआना गोपी सिंह से बात कर रहा हूँ । यह मई के महीने में दो हजार बीस में हुआ और यह दो हजार इकतीस नवंबर तक चला जिसके बाद इसे बंद कर दिया गया और तब से पटना में भी कई बार शिकायतें दर्ज की गईं । टेन के पास इसके लिए एक टोल - फ्री नंबर है और यहां तक कि उस पर सुधार करने के लिए जिले के ब्लॉक को संदेश भी भेजा लेकिन उसे अभी तक समस्या का समाधान नहीं मिला है और इसका कारण शुद्ध है ।

पूर्वी चम्पारण वार्ड नंबर 4 में नल जल योजना लागू नहीं किया गया है

पूर्वी चम्पारण 4 नंबर वार्ड में नल जल योजना पर काम नहीं हुआ है