माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है।आप अपने बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने और उन्हें सीखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते है? इस बारे में बचपन मनाओ सुन रहे दूसरे साथियों को भी जानकारी दें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं नंबर 3.

माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है।आप अपने बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने और उन्हें सीखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते है? इस बारे में बचपन मनाओ सुन रहे दूसरे साथियों को भी जानकारी दें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं नंबर 3.

इस कार्यक्रम में हम जानेंगे जल संरक्षण और ऊर्जा बचत से जुड़ी सरकारी योजनाओं के बारे में। साथ ही, यह कार्यक्रम बताएगा कि आप इन योजनाओं का लाभ कैसे उठा सकते हैं और अपने गाँव के विकास में कैसे योगदान दे सकते हैं। स्वच्छ पानी और सतत ऊर्जा के महत्व को समझते हुए, हम एक बेहतर कल की ओर कदम बढ़ाएंगे। क्या जल सरंक्षण की योजनाओं के बारे में आपने भी सुना है, क्या आप इन योजनाओं का लाभ आपने भी उठाया है, क्या आपके गाँव में जल सरंक्षण की कोई प्रेरणादायी कहानी है ?

यह एपिसोड बताता है कि हम अपने रोज़मर्रा के जीवन में कैसे छोटे-छोटे बदलाव करके बिजली और पानी बचा सकते हैं। इससे न सिर्फ हमारा खर्च कम होगा, बल्कि हम अपनी धरती की भी रक्षा कर पाएंगे। आसान तरीकों से हम सभी मिलकर पर्यावरण को बचाने में मदद कर सकते हैं।क्या आपने भी अपनी ज़िन्दगी में कुछ ऐसे बदलाव किए हैं? अगर हाँ, तो हमें बताइए।

दोस्तों, मोबाइलवाणी के अभियान क्योंकि जिंदगी जरूरी है में इस बार हम इसी मसले पर बात कर रहे हैं, जहां आपका अनुभव और राय दोनों बहुत जरूरी हैं. इसलिए हमें बताएं कि आपके क्षेत्र में बच्चों को साफ पानी किस तरह से उपलब्ध हो रहा है? क्या इसमें पंचायत, आंगनबाडी केन्द्र आदि मदद कर रहे हैं?आप अपने परिवार में बच्चों को साफ पानी कैसे उपलब्ध करवाते हैं? अगर गर्मियों में बच्चों को दूषित पानी के कारण पेचिस, दस्त, उल्टी और पेट संबंधी बीमारियां होती हैं, तो ऐसे में आप क्या करते हैं? क्या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों से बच्चों का इलाज संभव है या फिर इलाज के लिए दूसरे शहर जाना पड रहा है? जो बच्चे स्कूल जा रहे हैं, क्या उन्हें वहां पीने का साफ पानी मिल रहा है? अगर नहीं तो वे कैसे पानी का इंतजाम करते हैं?

साथियों, आपके यहां पानी के प्रदूषण की जांच कैसे होती है? यानि क्या सरकार ने इसके लिए पंचायत या प्रखंड स्तर पर कोई व्यवस्था की है? अगर आपके क्षेत्र में पानी प्रदूषित है तो प्रशासन ने स्थानीय जनता के लिए क्या किया? जैसे पाइप लाइन बिछाना, पानी साफ करने के लिए दवाओं का वितरण या फिर पानी के टैंकर की सुविधा दी गई? अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आप कैसे पीने के पानी की सफाई करते हैं? क्या पानी उबालकर पी रहे हैं या फिर उसे साफ करने का कोई और तरीका है? पानी प्रदूषित होने से आपको और परिवार को किस किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं?

सुनिए इस कहानी को जो बच्चों को प्रेरित करती है दूसरों की मदद करके को लेकर |ये कहानी आपको कैसी लगी? क्या आपके बच्चे ने ये कहानी सुनी? इस कहानी से उसने कुछ सीखा? अगर आपके पास भी है कोई मज़ेदार कहानी, तो रिकॉर्ड करें फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।

सिकन्दरा प्रखंड के दक्षिणी क्षेत्र हुसेनीगंज गांव के सामुदायिक भवन में लड़कियों के साथ प्रजनन तंत्र संक्रमण को लेकर परिवार विकास/चाइल्ड फण्ड इन्टरनेशनल के तत्वावधान में जागरूकता बैठक किया गया ‌। स्वास्थ्य समन्वयक उपेन्द्र यादव ने बताया कि देश की बेटियां स्वस्थ होगी तभी हमारा देश स्वस्थ होगा। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

चेवाड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सफाई के साथ ही कर्मियों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया।स्वास्थ्य संस्थानों में स्वच्छता पखवाड़ा का आयोजन किया गया। जिसके तहत अस्पताल केद्रों में भी गतिविधियां आयोजित कराई गई। इसके साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सफाई कर्मी, इलाज कराने के लिए आये मरीजो को जागरूक किया गया। लोगों से स्वच्छता को अपनाने और बीमारियों को दूर भगाने की अपील की गई। स्वच्छता को प्रतिदिन आदतों में शामिल करना चाहिए। प्रखंड विकास पदाधिकारी ने बताया कि प्रसव कक्ष में आने वाले अभिभावक, ओपीडी या मरीजों के साथ आने वाले सभी को हाथों की सफाई पर विशेष ध्यान देना होगा। हाथों की सफाई नहीं करेंगे तब तक संक्रमण फैलने की आशंका बनी रहेगी। हाथों की धुलाने में कम से कम 15 सेकेंड या अधिकतम 30 सेकेंड का समय लगता है। इससे बचाव के लिए अपने घरों व आसपास के क्षेत्र को प्रतिदिन साफ-सफाई करना चाहिए। मरीज की देखभाल करते समय बार-बार अपने हाथों को धोते रहें। शौचालय का उपयोग करने के बाद, डायपर बदलने या शौचालय का उपयोग करने वाले बच्चे की सफाई करना चाहिए। खांसने या छींकने के तुरंत बाद, किसी जानवर या पशु अपशिष्ट को छूने के बाद हाथों को रगड़-रगड़ कर धोने की आदतों होनी चाहिए। इस दौरान सफाई कर्मी के साथ-साथ सुपरवाइजर एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर कर्मी मौजूद थे

दोस्तों, हम पुरानी परम्परा रही है कि किसी भी नवजात शिशु को 6 दिन तक किसी अन्य व्यक्ति के हाथ में नहीं दिया जाता. ताकि गंदे हाथों की वजह से उसे संक्रमण न हो जाए. साथ ही लोगों को हिदायत दी जाती है कि बच्चे को गोद में लेने से पहले हाथ जरुर साबुन से साफ करें. पर कई बार देखा जाता है कि लोग इस नसीहत को गंभीरता से नहीं लेते. कोरोना के दौरान भी तो यही हुआ...! घर की महिलाओं और नवजात शिशुओं की मांओं के लिए हाथ धोना क्यों जरूरी है, इस बारे में आज राजू और पंकज के साथ साथ आप भी जान लें...!