यौन उत्पीड़न हमारे समाज की एक बड़ी समस्या है और बहुत से लोग इसका शिकार भी हो जाते हैं . हम समझते है की केवल साबधानी बरतने से ही ऐसे परिस्थितिओं को हमेशा नहीं टाला जा सकता है बल्कि सामाजिक बदलाव से ही इस समस्या को जड़ से ख़तम किया जा सकता है। ऐसे में , आप को क्या लगता है की किस तरह का बदलाव हमारे समाज को एक सुरक्षित और बेहतर समाज बनने में मदद कर सकती है ? और क्या केवल कड़े कानून लागु करने से ही यौन उत्पीड़न के शिकार हुए लोगो को इन्साफ दिलवाया जा सकता है ? यौन उत्पीड़न के शिकार हुए लोगो के प्रति वर्तमान में दिखने वाले सामाजिक प्रतिक्रियों पे आप का क्या राय है ?
हमारे समझ में आज भी यौन शोषण के बारे में एक अनचाही चुप्पी साध ली जाती है और पीड़ित व्यक्ति को ही कहीं न कहीं हर बात के लिए जिम्मेदर बना देने की प्रथा चली आ रही है। पर ऐसा क्यों है? साथ ही इस तरह के सामाजिक दबावों के अतिरिक्त और क्या वजह होती है जिसके लिए आज भी कई सारे यौन शोषण के केस पुलिस रिपोर्ट में दर्ज नहीं होते हैं ? समाज में फैले यौन शोषण के मानसिकता के लिए कौन और कैसे जिम्मेदार है ? और समाज से इस मानसिकता को हटाने के लिए तुरंत किन - किन बातों पर अमल करना जरुरी है ?
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नमस्कार /आदाब श्रोताओं। मोबाइल वाणी पर हमारे सहयोगी शनि जी ने वीमेन लैंड राइट्स यानि महिला भूमि अधिकार पर जन साहस संस्था के साथ काम करने वाली भावना दीदी से साक्षात्कार लिया।बातचीत के दौरान भावना दीदी ने बताया की कैसे उन्होंने कई महिलाओं को उनका अधिकार दिलवाया और साथ ही खुद की भी एक अलग पहचान कायम की।तो आइये सुनते हैं भावना दीदी के संघर्ष और सफलता की कहानी उन्हीं की जुबानी।
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प्रिंस कुमार, उम्र 18 वर्ष, पिन कोड 811305
प्रिंस कुमार, उम्र 18 वर्ष, पिन कोड 811305
भगवन पाठक, उम्र 60 वर्ष, पिन कोड 811305