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सरकारी गैरमजरुआ की जमीन पर कब्जा करने को ले तीन दर्जन से अधिक हथियारबंद बदमाशों ने कई चक्र गोलियां चलाई। जिसमें महुअवा पश्चिमी पंचायत के पूर्व मुखिया उपेन्द्र पासवान सहित अन्य लोग बाल बाल बच गए है। किसी को कोई हताहत नहीं हुआ है। लेकिन अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट से बैद्यनाथपुर चौक दहल गया व लोग अपनी दुकानों को बंद कर भागने लगे। घटना बुधवार की पूर्वाह्न की है। सभी बदमाश हथियारों से लैस होकर पैदल ही आए थे और घटना को अंजाम देने के बाद हवा में हथियार लहराते हुए पैदल ही चले गए। घटना की सूचना के बाद देर से पहुंची पुलिस को ग्रामीणों का कोप भाजन बनना पड़ा है। आक्रोशितों का कहना है कि यदि पुलिस समय से पहुंचती तो कई बदमाश पकड़े जाते। हालांकि चिरैया पुलिस ने बदमाशों के भागने को दिशा में दूर तक खोजबीन भी की। लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली है। मामले को लेकर बहुआरवा गांव निवासी व पूर्व मुखिया उपेन्द्र पासवान ने एफ आई आर दर्ज कराने के लिए थाना में एक आवेदन पत्र दिया है। जिसमें सपगढ़ा गांव निवासी सुभाष राय,गुड्डू कुमार, मुकेश कुमार व दीनानाथ राय को आरोपित किया गया है। पूर्व मुखिया ने बताया कि बैद्यनाथपुर चौक पर उनकी निजी जमीन व दुकान के पास सरकारी गैर मजरूआ जमीन है। जिस पर उनके पट्टीदार सहित दलित समुदाय के अन्य लोगों का कब्जा है। इधर नव पदस्थापित डीएसपी अशोक कुमार ने बताया कि घटना की सूचना है।

तुरकौलिया प्रखंड में सरकारी जमीन पर अतिक्रमणकारियों का बोल बाला है। रोजाना किसी न किसी सड़क या सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया जा रहा है। अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हैं। इसी क्रम में एक तरफ कृषि विभाग के जमीन व पीडब्ल्यूडी जमीन पर तीन दर्जन से अधिक लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है। हालांकि मामले में कृषि विभाग के सदर अनुमंडल कृषि पदाधिकारी ने कृषि विभाग के जमीन पर किये गये अतिक्रमण को खाली कराने के लिए तुरकौलिया सीओ व थानाध्यक्ष को पत्र लिखा है।पत्र में बताया है कि तुरकौलिया गांधीघाट के समीप स्थित राजकीय बीज गुणन प्रक्षेत्र है। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना बीजोत्पादन का कार्य किया जाता है। पीडब्ल्यूडी के कार्यपालक अभियंता ने थाना व अंचलाधिकारी को अतिक्रमणकारियों की सूची उपलब्ध कराते हुये अतिक्रमणमुक्त कराने की बात कही है। थानाध्यक्ष मिथलेश कुमार ने बताया कि 9 अतिक्रमणकारियों पर थाने में एफआईआर दर्ज की गयी है।

वासहीन लोगों को अब जमीन देने के साथ ही उन्हें टाउनशिप जैसी सुविधाएं मिलेंगी। यही नहीं वासहीन परिवारों को एक क्लस्टर बनाकर सामूहिक रूप से एक ही स्थान पर जमीन दी जाएगी। राज्य सरकार ने इसकी कार्ययोजना तैयार की है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इसको लेकर पहल शुरू की है। अब ऐसे वासहीन परिवारों को नागरिक सुविधाएं विकसित कर ही जमीन दी जाएगी। वहां बिजली-पानी आपूर्ति की व्यवस्था और आंतरिक सड़कें बनाकर कॉलोनी का स्वरूप दिया जाएगा ताकि लोगों को बुनियादी सुविधाओं के लिए भटकना न पड़े। सरकार ने इस योजना को प्राथमिकता के आधार पर लागू करने को कहा है। अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में सरकारी जमीन चिह्नित कर उसका क्लस्टर बनाकर वासहीन परिवारों को सौंपने की योजना बना रहे हैं। लाभार्थियों को 3 से 5 डिसमिल तक जमीन मिलेगी। इससे नए स्लम खड़े नहीं होंगे। इस समय सरकार वासहीन परिवारों को उपलब्धता के आधार पर यत्र-तत्र जमीन मुहैया कराती है। नागरिक सुविधाओं के अभाव में वे वहां जाना नहीं चाहते। कई मामलों में सरकारी जमीन चौर जैसे सुदूर इलाकों में दिये जाते हैं। जहां लोगों को एक साथ जमीन भी दी गई,वहां नागरिक सुविधाओं के अभाव में घर स्लम जैसे बन जा रहे हैं। इस साल 21 हजार परिवारों को मिलनी है जमीन इस साल 21 हजार वासहीन परिवारों को जमीन उपलब्ध कराना है। सरकार के सर्वेक्षण में 1.16 लाख वासहीन परिवारों का पता चला था। इसमें 95 हजार परिवारों को वासभूमि मिली है। शेष 21 हजार को इस साल जमीन मिलेगा। इसी तरह अति पिछड़ा वर्ग के 17 हजार गृहविहीन परिवार में से 14 हजार को जमीन मिली है। शेष 3 हजार को जमीन देने की प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा पिछड़ा वर्ग के 10 हजार गृहविहीन परिवारों में से 8 हजार को जमीन दे दी गयी है। शेष को इस साल देने की योजना है।

टोपो लैंड की समस्या को लेकर सोनपुर विधायक ने विधानसभा में अपनी बात रखी सोनपुर---सोनपुर में टोपो लैंड की समस्या को लेकर सोनपुर विधायक डॉ रामानुज प्रसाद ने इसे गंभीरता से लेते हुए विधानसभा में गुरुवार को इस समस्या पर सवाल खड़ा किया है।उन्होंने सरकार को अवगत कराया की टोपोलैंड के जमीन का रजिस्ट्रेशन एवं म्यूटेशन सर्वे के नाम पर रोक दिया गया था। इस एरिया में पढ़ने वाले दियारा इलाके में किसानों गरीबों एवं छात्रों के साथ ही अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अत्यंत पिछड़ा वर्ग एवं सामान्य वर्ग के गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वाले लोगों को इंदिरा आवास योजना तथा मुख्यमंत्री ग्रामीण विकास योजना के साथ-साथ जमीन की कागजात के आधार पर मिलने वाले अन्य प्रमाण पत्र से बहुत बड़ी आबादी वंचित हो जा रही है। उन्होंने सदन को बताया की इन परिस्थितियों को देखते हुए माननीय पटना उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में जमीन का निबंधन तो शुरू हुआ लेकिन दाखिल खारिज का काम अभी भी नहीं हो रहा है इस कारण बहुत बड़ी जनसंख्या तमाम सुविधाओं से वंचित हो जा रही है। सोनपुर के दियारा इलाके के मात्र 7 पंचायत में ही 2772 इंदिरा आवास की दावेदारी वाले गरीब परेशान हो रहे हैं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि असर्वेक्षण भूमि के एरिया में कीतनी बड़ी आबादी तमाम सुविधाओं से वंचित हो रही है। उनके इस प्रश्न पर भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री आलोक मेहता ने जवाब देते हुए कहा कि इसके लिए कमेटी का गठन किया गया है जिसका रिपोर्ट 2024 तक आ जाएगा इसके बाद ही इस मामले में कुछ किया जा सकता है।

दरौदा थाना परिसर में जमीनी विवाद को लेकर कल जनता दरबार का आयोजन किया जाएगा इसमें अंचल एवं थाना के वरीय पदाधिकारी मौजूद रहेंगे कल के लगने वाले जनता दरबार में प्रखंड क्षेत्र के गांव पंचायत के जमीन से विवादित मामले को लेकर लोग पहुंचेंगे जहां पर वरीय पदाधिकारी दो सारे मामले को देखते हुए उचित में लेते हुए आवश्यक कार्रवाई हेतु दिशा निर्देश दी जाएगी

पीपराकोठी थाना क्षेत्र के झखरा गांव में लंबे समय से चल रहे 15 बीघा कब्जे वाली जमीनी विवाद का स्थानीय थाना परिसर में जनसुनवाई के दौरान मामले का निष्पादन किया गया। मामले की सुनवाई सीओ निरंजन कुमार मिश्रा व पुअनि ने पूर्व के खतियान के आधार पर निर्णय सुनाया। और आगे कब्जा किये जाने पर विधिसम्मत कार्रवाई की बात कही। इस दौरान पुराने खतियान के आधार पर रूपलाल सहनी, जगन सहनी, राजेश सहनी, जवाहिर सहनी, मुन्नी सहनी, योगा मांझी, देवेंद्र सहनी, बेंगा मांझी, सम्फुल मांझी व अन्य के द्वारा किये जा रहे कब्जे को अवैध करार दिया। और पूर्व प्रमुख शुदर्शन राय, पूर्व सैनिक श्यामकिशोर सिंह, दुर्गेश वैभव, सकीचन ठाकुर, योगेंद्र साह, अनिल साह, बिंदेश्वर शर्मा व बिगू दास की जमीन होने का निर्णय सुनाते हुए अगले चार मार्च को दोनों पक्षों से बंधपत्र बनवाने की बात कही गई। वर्तमान में जिसके कब्जे में भूमि है उसी का दखल कब्जा रहेगा। और भविष्य में अगर साक्ष्य प्रस्तुत किया जाता है तो उसके आधार पर विधिसम्मत निर्णय लिया जाएगा। सीओ निरंजन कुमार मिश्र ने बताया कि विवाद का निपटारा कर दिया गया है।

मोतिहारी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के लिए अवशेष भूमि के भूअर्जन में दायर सीलिंग वाद के कारण फिर पेच फंस गया है। इस वाद के कारण 165 एकड़ भूमि के प्रस्ताव पर शिक्षा विभाग के द्वारा अबतक अधियाचना की सहमति नहीं मिल पायी है। सहमति नहीं मिलने से भूमि अधिग्रहण का कार्य फिर लटक गया है। जिसको लेकर डीएम ने भूमि अधिग्रहण प्रस्ताव पर अधियाचना के लिए सहमति देने को लेकर उच्च शिक्षा निदेशक को पत्र भेजा है। शिक्षा विभाग ने अवशेष भूमि के बारे में मांगी थी रिपोर्ट शिक्षा विभाग पटना के द्वारा केन्द्रीय विश्वविद्यालय के लिए अवशेष भूमि की स्थिति के बारे में रिपोर्ट मांगी थी। जिसको लेकर जिला भूअर्जन विभाग के माध्यम से डीएम के द्वारा रिपोर्ट भेजी गयी है। जिसमें अवशेष भूमि की वर्तमान स्थिति सीलिंग वाद दायर बताया गया है, जो लंबित है। उक्त वाद में अद्यतन अंतिम आदेश पारित नहीं किया गया है।

मोतिहारी जमीन रजिस्ट्री में राजस्व चोरी पर शिकंजा कसने की कवायद शुरू कर दी गयी है। जमीन रजिस्ट्री में कैटगरी छिपा राजस्व की चोरी करना महंगा पड़ेगा। सरकार के निर्देश के मुतलिक अब जमीन रजिस्ट्री के बाद धरातलीय रुप में जांच होगी। जांच में गड़बड़ी मिलने पर संबंधित के विरूद्ध धारा 47 के तहत कार्रवाई शुरू होगी। इस अधिनियम के तहत चोरी की गयी राजस्व की वसूली के साथ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। विगत 22 फरवरी से यह नियम जिला अवर निबंधन कार्यालय सहित सभी आठ निबंधन कार्यालयों में लागू कर दिया गया है। 31 मार्च तक इस पैटर्न पर शहरी व पेरीफेरल क्षेत्र की जमीन रजिस्ट्री के बाद उसकी जांच की जाएगी। जमीन रजिस्ट्री के बाद कार्यालय कर्मी जाएंगे जांच मेंजमीन की रजिस्ट्री के बाद निबंधन कार्यालय के कर्मियों को इसकी जांच का जिम्मा सौंपा गया है। इसमें कार्यालय के ऑपरेटर भी शामिल हैं। जमीन रजिस्ट्री कराने के बाद उस स्थल पर कर्मी जाकर जमीन की कैटगरी की जांच करेंगे। इसमें जमीन के प्रकार में दो फसला,विकासशील,आवासीय या व्यवसायिक कैटगरी में है,इसकी जांच करेंगे। इसके अलावा जमीन का खाता,खेसरा व रकबा की जांच की जाएगी। कर्मी जांच में देखेंगे कि दस्तावेज में जो तथ्य अंकित है वह सही है या इसमें किसी प्रकार की हेराफेरी की गयी है। इसको लेकर कर्मियों को भी हिदायत दी गयी है कि जांच में किसी तरह की कोताही बरतने पर उनके विरूद्ध भी कार्रवाई होगी।

केन्द्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के लिए अभी 165 एकड़ भूमि का अधिग्रहण नहीं हो सका है। जिसके लिए नये सिरे से भूमि अधिग्रहण की तैयारी चल रही है। इसको लेकर जिला भू अर्जन विभाग ने जून 22 में शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव को प्रस्ताव भेजा था। जिसकी स्वीकृति सात माह बाद भी नहीं हो सकी है। विभाग के द्वारा बनकट मौजा में 43.63 एकड़ व बैरिया मौजा में 122.06 एकड़ भूमि का प्रस्ताव भेजते हुए अधिग्रहण की प्रक्रिया नये सिरे से शुरू करने की मांग की गयी थी। लेकिन अभीतक स्वीकृति नहीं मिलने पर जिला भू अर्जन विभाग के द्वारा शिक्षा विभाग कोरिमाइंडर भेजने की तैयारी है। सिलिंग विवाद में लटका है अधिग्रहणसिलिंग विवाद व हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन होने से अभीतक अवशेष भूमि 165.57 एकड़ भूमि का अधिग्रहण नहीं हो सका है। जिससे केन्द्रीय विश्वविद्यालय के लिए भवन निर्माण संबंधी कार्य नहीं हो पा रहा है। केविवि के द्वारा भी जिला भू अर्जन विभाग को विगत मई 22 में पत्र भेजा गया था। अभी तक केविवि को 136.40 एकड़ भूमि किया गया है हैंडओवरकेन्द्रीय विश्वविद्यालय को अभी तक 136.40 एकड़ भूमि हैंडओवर किया गया है। इसमें बनकट थाना 194 रकबा 33.37 एकड़ व फुर्सतपुर मौजा के थाना नंबर 208 में रकबा 103.03 एकड़ भूमि शामिल है।