गुंजन कुमारी दनियावां से मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं की चमकी बुखार बहुत खतरनाक बीमारी है अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुनें

नमस्कार मैं बिहार के औरंगाबाद से ऋषि मोबाइल वानी पर आज एक बिहार की प्रसिद्ध रेसिपी के बारे में बताने जा रहा हूं जो खाने में स्वादिष्ट तो है ही लेकिन स्वास्थ्य के लिये भी काफी फायदेमंद है। इससे त्वचा की कोई बीमारी नहीं होती है तो आईए जानते हैं इसके बारे में रसिया बिहार में काफी लोकप्रिय है। इसे बिहार के लोग बड़ी शौक से बनाते और खाते हैं। गुड़ और चावल से बनाई जाने वाली खीर को रसिया कहते हैं इसे रोटी या पूरी के साथ सर्व किया जाता है। आइए जानते हैं इसे बनाने के सही तरीके के बारे में इसे बनाने के लिए हमें चावल (80 ग्राम) गुड़ (150 ग्राम) फुल क्रीम मिल्क - 1 लीटर बादाम - 8-1 काजू - 8-10 किशमिश - 2 टेबल स्पून इलायची - 5-6 चाहिए। रसिया यानी गुड़ की खीर बनाने के लिए सबसे पहले एक बड़े बर्तन में दूध उबालने के लिए रख दीजिए। इसके साथ ही सूखे मेवों को बारीक टुकड़ों में काट कर तैयार कर लीजिए। इसके साथ ही आधा कप चावल साफ करके धोकर 2 घंटे के लिए पानी में भिगो कर रख दीजिए।दूध में उबाल आने पर चावलों को दूध में डाल कर मिला दीजिए। दूध को चम्मच से चलाएं और खीर में उबाल आने के बाद गैस को धीमा कर दें। खीर को हर 1-2 मिनट में चलाते रहें ताकि वो बर्तन के तले पर न लगने पाएं। दूसरे बर्तन में ½ कप पानी और गुड़ डाल कर गैस पर रख लें। जब गुड़ पानी में पूरी तरह से घुल जाए तो गैस बंद कर दें। जब चावल मुलायम हो जाएं तब खीर में काजू, किशमिश और बादाम डाल दें। चावल जब दूध में अच्छे से मिल जाए तो उसमें इलायची पाउडर डाल दें। खीर के ठंडा हो जाने पर, गुड़ का घोल छलनी से छान कर खीर में मिला दें। खीर बनकर तैयार है।दूध में चावल डालने के बाद उसे हर 1-2 मिनट में चलाते रहें, ताकि खीर बर्तन के तले से न लगे।गुड को खीर में ठंडा होने के बाद ही डालें क्योंकि गरम खीर में गुड़ डालने पर दूध फट सकता है। धन्यवाद

मेरे साथ पढ़ने वाला एक मित्र अचानक से दुबई चला गया और लौट के आया 5 साल बाद हालाकि फेसबुक पर लगभग रोज बात होती रहती थी फिर भी 5 साल बाद जब वह वापस आया तो हम सभी मित्र मंडली ने उससे पूछा और बताओ कैसी है अरब की जिंदगी, उसने जो जवाब दिया उसी के भाषा और लहजे में आपके सामने रख रहा हूं पांच साल हो गये थे सऊदी में काम करते हुए पहला एक साल कर्ज़ उतारना दूसरा तीसरे साल की कमाई बहनों की शादियों की भेंट चढ़ गया । चौथे साल कुछ बचत करके आने की सोचा तो अब्बा की तबियत खराब हो गई फिर नहीं आ सका और अब्बा गुज़र भी गये बूढ़ी अम्मा घर पर अकेली थी लेकिन कोई बचत नहीं तो हिम्मत भी नहीं पड़ रही थी । पांच साल सऊदी में रहने के बाद खाली हाथ घर जाऊं लेकिन अम्मा की ज़िद और बहनों ने भी कहा भैया आ जाओ हमें कुछ नहीं चाइये बस आ जाओ. कहा तो हिम्मत बढ़ी।कुछ उधार बारी करके टिकट लेके वापस आगया की कोई बड़ी ज़िम्मेदारी तो है नहीं अब यहीं कुछ कर लेंगे । आने के दूसरे दिन बहन से मिलने गया बहन भी अब बच्चों वाली हो चुकी थी आते वक्त भांजों के हाथ पर सौ रूपया रख कर वापस हुवा । दूसरी बहन के यहाँ पहुंचने पर पास के पैसे भी खत्म हो चुके थे लेकिन उसे ये उम्मीद थी ये बहन जो कुछ ज़्यादा नज़दीक है कुछ नहीं बोलेगी । वहां से वापसी होने पर भांजे के हाथ पर कुछ नहीं रख पाया घर पहुंचने पर अम्मा ने बताया की इक बहन का फोन आया था बोली भाई पांच साल बाद सऊदी से आया था मेरे बच्चों के हाथों पर सौ रूपल्ली रख के गया इतना तो हम फकीरों को दे देते हैं। दूसरी बहन बोली की पांच साल बाद सऊदी से आया था अगर बच्चों के हाथ पर 10 रुपये भी रख देता तो बच्चें कहते मामू आये थे. लेकिन मेरी नाक कटा दी ससुराल में खाली हाथ चले गये। मैं अब वहां खड़ा अपने पिछले 5 सालों की कमाई का हिसाब लगा रहा था। ये सिर्फ एक आदमी की बात नही है बल्कि पैसे कमाने वाले ज्यादातर आदमियों का यही हाल है आप पैसे कमा रहे हो तो आप को सब कुछ मिलेगा मान सम्मान लेकिन किसी कारण वश आज आप नही कमा रहे तो अब किया मिट्टी में मिल जाता है

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

सरकार से रोजगार को बढ़ावा देने के लिए की गई अपील। युवाओं को कौशल युक्त प्रशिक्षण की जरूरत।

हमें बाहरी मेंढक की तरह होना चाहिए और अपने मंजिल तक पहुंचना चाहिए।