सारण जिले से अजय कुमार की रिपोर्ट।।शुरुआती दौर में कैंसर के लक्षणों पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि कैंसर की बीमारी अब लाइलाज नहीं: शुरुआती लक्षणों के आधार पर कैंसर रोग की पहचान करना हुआ आसान: सिविल सर्जन कैंसर स्क्रीनिंग के बाद मरीजों को सदर अस्पताल किया जाता है रेफर: एनसीडीओ अप्रैल महीने में 1894 ग्रामीणों का हुआ कैंसर स्क्रीनिंग: डॉ विक्रम आनंद छपरा, 02 मई। कैंसर की बीमारी अब लाइलाज बीमारी नहीं है। लेकिन इसका सही समय पर जानकारी होने के साथ ही शुरुआती दौर में इसकी लक्षणों पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि वर्तमान समय के युवाओं में पान, गुटखा या पान मसाला खाने के कारण पुरुषों में मुंह के कैंसर के अत्यधिक मामले सामने आ रहे हैं। वहीं महिलाओं में इन दिनों स्तन कैंसर प्रमुख कारण बन रहा है। इसके लिए जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों की आशा, विद्यालय के शिक्षकों , सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) और एएनएम के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। शुरुआती लक्षणों के आधार पर कैंसर रोग की पहचान करना हुआ आसान: सिविल सर्जन सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि सदर अस्पताल में बायोप्सी सेवाओं का संचालन मुंह के कैंसर के संभावित मरीजों के लिए महत्वपूर्ण है। अस्पताल में पूर्व से ही कैंसर ओपीडी सेवा संचालित की जा रही है। बायोप्सी सेवा का संचालन शुरू होने से संभावित मरीजों की समय पर जांच व उपचार संभव हो सकेगा। शुरुआती लक्षणों के आधार पर कैंसर रोग की पहचान करना आसान है। इसके लिए सदर अस्पताल में ओपीडी सेवा संचालित की जा रही है। साथ ही सप्ताह में तीन दिन जिले के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में स्वास्थ्य मेला का आयोजन कर विशेष रूप से कैंसर स्क्रीनिंग भी की जाती है । ताकि अधिक से अधिक मरीजों की पहचान कर उसका उपचार किया जा सके। कैंसर स्क्रीनिंग के बाद मरीजों को सदर अस्पताल किया जाता है रेफर: एनसीडीओ जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी (एनसीडीओ) डॉ भूपेंद्र कुमार ने बताया कि मुंह में किसी भी तरह की घाव या दर्द की शिकायत होने पर सरकारी स्वास्थ्य केंद्र के दंत चिकित्सकों की सलाह पर अनिवार्य रूप से जांच करानी चाहिए। ताकि कैंसर होने की स्थिति में उसका इलाज संभव हो सके। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कैंसर स्क्रीनिंग के बाद मिले मरीजों को सदर अस्पताल रेफर किया जाता है। जिसके बाद सदर अस्पताल के दंत चिकित्सा विभाग के चिकित्सकों के सहयोग से होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के स्थानीय विशेषज्ञों की टीम द्वारा मुंह की कैंसर के 02 संभावित व्यक्तियों की सफलता पूर्वक बायोप्सी की गयी है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा सदर अस्पताल में बायोप्सी की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इससे मुंह का कैंसर के संभावित मरीजों को बहुत ज्यादा सहूलियत हो रही हैं। हालांकि कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान होने पर आसानी से इसका इलाज स्थानीय सदर अस्पताल में संभव है। अप्रैल महीने में 1894 ग्रामीणों का हुआ कैंसर स्क्रीनिंग: डॉ विक्रम आनंद होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के चिकित्सक डॉ विक्रम आनंद ने बताया कि अप्रैल महीने में 1894 मरीजों को कैंसर से सबंधित उचित परामर्श दिया गया है। जिसमें स्तन कैंसर के 15, बच्चेदानी के 04, ओरल कैंसर के 08 संदिग्ध मरीजों की पहचान हुई है जबकि 02 का बायोप्सी किया गया है। हालांकि इसके साथ ही मांझी प्रखंड के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर नचाप, बंगरा, मटियार, ताजपुर और झखड़ा जबकि गड़खा प्रखंड के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर इटवा, कोठियां, महम्मदा, अलोनी और गलीमापुर गांव में विशेष रूप से स्वास्थ्य जांच शिविर लगाकर कैंसर जागरूकता अभियान चलाया गया है। इस अभियान में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ), एएनएम, आशा कार्यकर्ता को प्रशिक्षित किया गया है। ताकि ग्रामीणों को जागरूक किया जा सके।

कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा किसानों को बता रहे है कि दुधारू पशुओं को संतुलित आहार दें। अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें

हांगकांग के फूड सेफ्टी विभाग सेंटर फॉर फूड सेफ्टी ने एमडीएच कंपनी के मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला मिक्स्ड पाउडर और करी पाउडर मिक्स्ड मसाला में कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड पाया है और लोगों को इसका इस्तेमाल न करने को कहा है. ऐसा क्यों? जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें

टी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" के नारे से रंगी हुई लॉरी, टेम्पो या ऑटो रिक्शा आज एक आम दृश्य है. पर नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च द्वारा 2020 में 14 राज्यों में किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि योजना ने अपने लक्ष्यों की "प्रभावी और समय पर" निगरानी नहीं की। साल 2017 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में हरियाणा में "धन के हेराफेरी" के भी प्रमाण प्रस्तुत किए। अपनी रिपोर्ट में कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ स्लोगन छपे लैपटॉप बैग और मग खरीदे गए, जिसका प्रावधान ही नहीं था। साल 2016 की एक और रिपोर्ट में पाया गया कि केंद्रीय बजट रिलीज़ में देरी और पंजाब में धन का उपयोग, राज्य में योजना के संभावित प्रभावी कार्यान्वयन से समझौता है।

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा मुर्गीपालन में रानी खेत बीमारी के सम्बन्ध में जानकारी दे रहे हैं। सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें 

बिहार राज्य से अमिताभ कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से जानना चाहते हैं कि एलर्जी का घरेलु उपयोग क्या है ?

आजकल कम उम्र में ही लोग लम्बी और गंभीर बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं. लाइफस्टाइल और खानपान खराब होने से सेहत से जुड़ी कई तरह की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. इसकी वजह से कई गंभीर और खतरनाक स्थिति बनने लगी है. इसी से बचाव और जागरूकता के लिए हर साल 7 अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ डे (World Health Day 2024) मनाया जाता है. इस वर्ल्ड हेल्थ डे का थीम 'माई हेल्थ-माई राइट' मतलब 'मेरा स्वास्थ्य-मेरा अधिकार' रखा गया है. इस बार वर्ल्ड हेल्थ डे का उद्देश्य अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं, साफ पानी-हवा, पोषण से भरपूर आहार और साफ-सफाई है. तो दोस्तों आइये हम सब संकल्प ले और स्वस्थ आदतें अपनाएं: अपने आहार पर ध्यान दें, नियमित व्यायाम करें, पर्याप्त नींद लें और तनाव मुक्त रहने का प्रयास करें,डॉक्टर से नियमित रूप से जांच कराएं, स्वस्थ आदतों के महत्व के बारे में अपने परिवार, दोस्तों और समुदाय के लोगों को जरूर बताएं.ये सरल कदम आपके स्वास्थ्य में सुधार ला सकते हैं.मोबाइल वाणी परिवार यह मानता है कि विश्व स्वास्थ्य दिवस सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह स्वस्थ जीवन जीने के प्रति सचेत और सजग रहने का निरंतर प्रयास है. आइए मिलकर यह सुनिश्चित करें कि "स्वास्थ्य सबका अधिकार" वाकई में सच हो जाए

भारत का आम समाज अक्सर सरकारी सेवाओं की शिकायत करता रहता है, सरकारी सेवाओं की इन आलोचनाओं के पक्ष में आम लोगों सहित तमाम बड़े बड़े अर्थशास्त्रियों तक का मानना है कि खुले बाजार से किसी भी क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों में कंपटीशन बढ़ेगा जो आम लोगों को बेहतर सुविधाएं देगा। इस एक तर्क के सहारे सरकार ने सभी सेवाओं को बाजार के हवाले पर छोड़ दिया, इसमें जिन सेवाओं पर इसका सबसे ज्यादा असर हुआ वे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर पड़ा है। इसका खामियाजा गरीब, मजदूर और आम लोगों को भुगतना पड़ता है।

गुंजन कुमारी दनियावां से मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं की चमकी बुखार बहुत खतरनाक बीमारी है अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुनें