बिहार राज्य के जिला जमुई के गुगुलड़ी से पंकज मोबाइल वाणी के माध्यम से कह रहे है कि पहले के मुकाबले अब जलप्रदूषण काफी बढ़ गया है जिससे लोग बीमार हो रहे हैं। बता रहे है कि की वजह से उन्हें खेती करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बता रहे है कि बोरिंग क्र पानी का इस्तेमाल करने से भू जल कम हो रहा हैं
बिहार राज्य के जिला जमुई से दिनेश मोबाइल वाणी के माध्यम से कह रहे है कि वो बागवानी करते है तथा खेती बाड़ी से जुड़े हुवे हैं। कह रहे है कि पहले के मुकाबले अब मौसम में काफी बदलाव आता है मौसम के अचानक परिवर्तन से खेती पर काफी प्रभाव पड़ रहा है किसानों को पानी के लिए काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा हैं। पानी की कमी ना हो इसके लिए सतर्क रहना चाहिए इसके साथ ही लोगों को की बचत अच्छे से करनी चाहिए। कह रहे है कि आये दिन बिहार के नदियों से काफी बालू उठाया जाता है जिसकी वजह से पानी का स्तर काफी घट जाता है
जलवायु परिवर्तन का असर इंसानों के अलावा और भी प्राणियों पर पड़ रहा है। सरकार जलवायु परिवर्तन से लड़ने का प्रयास तो कर ही रही है,लेकिन हमें भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी ...
बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता रुदल पंडित एक महिला किसान से साक्षात्कार ले रहे हैं। जिसमें उन्होंने जानकारी दी की वो अपने खेत में विभिन्न प्रकार की फसलें लगाती हैं। लेकिन मौसम में बदलाव के कारण पानी की समस्या हो जाती है। लेकिन जब उन्होंने मोबाइलवाणी सुना तो उन्हें जानकारी मिली की वो मनरेगा योजना की सहायता से तालाब बनवा सकती हैं। इसके बाद उन्होंने अपने खेत में तालाब का निर्माण करवाया
बिहार राज्य के जिला जमुई से हमारे श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से जानना चाह रहे है कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए सरकार द्वारा कौन कौन सी योजनाएँ चलाई जा रही है ?
Transcript Unavailable.
दोस्तों,पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए पेड़ -पौधों का होना बहुत जरुरी है। इसे ध्यान में रखते हुए लगभग सभी राज्यों की सरकार सजग है। बिहार सरकार द्वारा पर्यावरण को बचाने और हरियाली को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना की शुरुआत की गई है, जिसका नाम है " बिहार पेड़ लगाओ पैसे पाओ योजना " . आइए जानते हैं इस योजना के बारे में विस्तार से.....
बिहार राज्य के जमुई जिला के सोनो प्रखंड से रंजन मोबाइल वाणी के माध्यम से मनोज पंडित से साक्षात्कार लिया है। जिसमें मनोज पंडित ने बताया कि उनके क्षेत्र में खेती बड़े पैमाने पर होता यही लोग खेती पर ही निर्भर होते है। उनके क्षेत्र में सिंचाई का साधन नदी का पानी था परन्तु नदी के सुख जाने से बोरिंग से सिंचाई करते थे जो की वो भी अब सुख गया है। तो पीने के पानी का भी अभाव हो गया है। पहले बारिश अच्छी होती थी परन्तु अब बारिश कम हो रही है, क्यूंकि पेड़ पौधे काटे जा रहे है बाढ़ नहीं आ रहा है नदी के किनारे से बालू काटे जा रहे है। पर्यावरण जो की दूषित हो रहा है उसे सही करने के लिए पर्यावरण को संतुलित करने के लिए जरुरी है कि पेड़ पौधा लगाया जाये साथ में सोख्ता का निर्माण किया जाये तालाब को खोदा जाये तो जल का स्तर बढ़ जायेगा। सरकार द्वारा सोख्ता का निर्माण किया जा रहा है परन्तु कम पैमाने पर और तालाब की खुदाई हो रही है उसमे मछलीपालन किया जा सकता है।
गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत रतनपुर पंचायत के बालाजी गांव निवासी नरेश यादव एवं सुबोध यादव जो एक किसान है इन दोनों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के लिए सरकार द्वारा जो कदम उठाया जा रहा है। यह बहुत सराहनीय है लेकिन हम लोगों के पास अपनी पूंजी नहीं है जिसके कारण कि हम लोग तालाब, बोरिंग में अपना पैसा नहीं लगा सकते हैं। पेड़ लगाने के लिए हम लोग तैयार हैं। लेकिन उसके लिए सरकार को पानी की व्यवस्था कर दें ताकि हम उस पौधे को पटा सके हटाने के बाद हम लोग उस पौधे को जीवित रखेंगे।
बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से ऋषि कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि मौसम परिवर्तन का असर गेहूं पर दिखाई दे रहा है। किसान मनरेगा तहत पेड़ लगाना चाहते है लेकिन उनके पास पानी की सुविधा नहीं है जिसके कारण पेड़ नहीं लगा पा रहे है। मनरेगा के तहत प्रति पेड़ 30 रूपए की लागत से पेड़ का खर्च देता है ,लेकिन पानी के लिए चापाकल, तालाब और सोख्ता का पैसा बाद में देता है। यही कारण है कि लोग चाहकर भी सोख्ता का निर्माण नहीं करा सकते है