बिहार राज्य के जमुई ज़िला के झाझा प्रखंड से रंजन की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से सिमुलतला निवासी करुणा सिंह से हुई। करुणा बता रही है कि अगर महिलाओं के नाम से जमीन होता है तो उनकी इनकम बढ़ेगी। अगर प्रॉपर्टी में व्यापार करती है तो अन्य महिलाओं को जोड़ कर उनकी तरक्की करने में सहायता कर सकती है। बच्चों की शिक्षा भी अच्छे से करवा सकते है। आत्मनिर्भर बनने पर महिलाएँ प्रताड़ित नहीं हो सकती है वो प्रताड़ना से दूर रहेगी , वह घरेलू हिंसा से बच सकती है।

गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत मोहाली से खुशी कुमारी बता रही है कि महिला के नाम से जब जमीन होता है तो वह समाज में प्रताड़ित होने से बचाती है

जब से महिलाओं के नाम जमीन होने लगा है तब से महिलाओं में रोजगार की संभावनाएं बढ़ गई है

बिहार राज्य के जमुई ज़िला के गिद्धौर प्रखंड के स्वजना ग्राम से रंजन की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से कुमारी दीपा से हुई। दीपा कहती है कि महिलाओं के नाम जमीन जब ख़रीदाता है तो महिलाओं को आर्थिक परिवर्तन और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है। महिलाएँ आत्मिक रूप से आत्मनिर्भर बनती है। पैतृक संपत्ति में महिलाओं को अधिकार मिलने से समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा मिला है। लेकिन अभी भी परिवार में जागरूकता और सामाजिक मान्यताओं में बदलाव की आवश्यकता है। महिलाओं को जब से जमीन मिलना शुरू हुआ है तब से महिलाओं के जीवन में परिवर्तन हुआ है। उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा जा रहा है। वो खुद में गर्व महसूस करने लगी है। घर में अधिकार मिलने से बच्चों की परवरिश अच्छे से कर सकती है

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गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत रतनपुर पंचायत के सहजानंद से नीलम बता रही है की जमीन के कागजात मिलने से मान सम्मान बढ़ता है

जमुई जिले के गिद्धौर प्रखंड के सहजन से रिया बता रही है की महिलाओं के नाम जब जमीन होता है तो वह समाज में सम्मान की दृष्टि से जीती है

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बिहार राज्य के जमुई ज़िला के गिद्धौर प्रखंड से महेंद्र मांझी मोबाइल वाणी के माध्यम से यह जानकारी चाहते हैं कि प्रसव के बाद महिलायें डिप्रेशन में क्यों आ जाती है ? आर्थिक तंगी या खून की कमी के कारण ऐसा होता है ?

नमस्कार /आदाब श्रोताओं। मोबाइल वाणी पर हमारे सहयोगी शनि जी ने वीमेन लैंड राइट्स यानि महिला भूमि अधिकार पर जन साहस संस्था के साथ काम करने वाली भावना दीदी से साक्षात्कार लिया।बातचीत के दौरान भावना दीदी ने बताया की कैसे उन्होंने कई महिलाओं को उनका अधिकार दिलवाया और साथ ही खुद की भी एक अलग पहचान कायम की।तो आइये सुनते हैं भावना दीदी के संघर्ष और सफलता की कहानी उन्हीं की जुबानी।