हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

बिहार राज्य के गिद्धौर प्रखंड के संजीवन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की मठ्या गाँव को नेचर विलेज के रूप में जाना जाता है , ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां की महिलाएं आत्मनिर्भर होने के साथ - साथ पर्यावरण को बचाने के लिए भी काम करती हैं । गाँव की एक दर्जन से अधिक महिलाएं इस काम में लगी हुई हैं । एक समय था जब गाँव की महिलाओं को बीड़ी बनाने का काम करने के लिए मजबूर किया जाता था । एक साल पहले तत्कालीन तहसीलदार निर्भय प्रताप सिंह ने इस गांव का नाम नेचर विलेज रखा और इसे आगे बढ़ाया । धीरे - धीरे यह गाँव सफलता का एक नया उदाहरण बन गया । आज प्रस्तुति गाँव की महिलाएं नेचर विलेज अभियान के तहत काम कर रही हैं वर्तमान में सभी महिलाएं होली के लिए हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं जम्मू जिले के बाजारों में इन रंगों की मांग बढ़ रही है । आपको बता दें कि मटिया जम्मू जिले के लक्षमीपुर प्रखंड के अंतर्गत आने वाला एक गाँव है जहाँ महिलाएं आत्मनिर्भर हैं । हम गुलाल ( अवीर ) बनाते हैं , हरा गुलाल पालक और कुछ अन्य पत्तियों से बनाया जाता है , नारंगी गुलाल नारंगी और गेंदे के फूलों से बनाया जाता है , लाल और गुलाबी गुलाल चुकंदर से बनाया जाता है । रंगीन गोलाल तैयार किया जाता है । एक रंग का गोलाल तैयार करने में दो दिन लगते हैं । पहले एक दिन में पचास से सत्तर रुपये कमाते थे , आज नेचर विलेज के तहत एक सौ तैंतीस रुपये मिलते हैं , जबकि तत्कालीन संभागीय अधिकारी निर्भय प्रताप सिंह के अनुसार , यहां की महिलाएं आनंदपुर मोहनपुर मटिया और उसके आसपास रहती हैं और उनकी गुलाल की मांग इतनी अधिक है कि पिछले चार दिनों में लगभग पांच कुंतल का ऑर्डर प्राप्त हुआ है । पहली सात महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया , जिसके बाद बाकी महिलाओं को पढ़ाया गया । आज के समय में एक दर्जन से अधिक महिलाएं इस काम से जुड़ी हुई हैं और हर्बल गुलाल बनाने के लिए काम कर रही हैं । आय में भी वृद्धि होती रहेगी , उन्होंने कहा कि नौकरी में शामिल होने के बाद उन्होंने कई जगहों पर नेचर विलेज की अवधारणा देखी थी , इस दौरान वे इस क्षेत्र में काम करने वाले कई पुरस्कार विजेता लोगों से भी मिले । आज वह सपना पूरा हुआ है और साकार हुआ है । इसके अलावा , हर्बल गुलाल के लाभों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि लोग बिना किसी चिंता के इसका उपयोग कर सकते हैं , जबकि बाजार में उपलब्ध रासायनिक गुलाल कई प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकता है ।

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गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत पूर्वी गुगुलडीह पंचायत के जल गोढ़वा गांव निवासी राजेंद्र जी बता रहे हैं की पहले बारिश अधिक होने का कारण यह था कि उसे समय पेड़ पौधे अधिक थे जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ता जा रहा है लोग अपनी भूमि में खेत बना रहे हैं जिसके कारण पेड़ पौधों की संख्या घटता जा रहा है और इसका सीधा प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ रहा है और बारिश भी काम हो रहा है बारिश कम होने के कारण हम लोगों के यहां पैदावार जमीन भी बंजारा की तरह ही दिखाई देता है

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साईकिल यात्रा एक विचार मंच द्घारा रविवार को गिद्धौर प्रखंड के कुंधुर पंचायत के गेनाडीह गांव में भारत रत्न और भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाँ. राजेंद्र प्रसाद की 139 वीं जयंती को यादगार बनाने के लिए साईकिल यात्रियों ने निजी जमीन एवं काली मंदिर के समीप पौधारौपन कर श्रद्धांजलि अर्पित गया। इसके पूर्व साइकिल यात्रा एक विचार,जमुई के सदस्यों द्वारा अपने नियमित यात्रा के 413 वीं क्रम में श्री कृष्णा स्टेडियम से साईकिल यात्रा निकाली गई जो सतगामा,खैरमा,कटौना,रतनपुर होते हुए 14 किलोमीटर दूर प्रखंड के गेनाडीह ग्राम पहुंची।साईकिल यात्रा विचार मंच के सदस्य शैलेश भारद्वाज ने कहा कि डाँ. राजेंद्र प्रसाद ना केवल भारत के राष्ट्रपति बने बल्कि उनका जीवन हमेशा सादगी,सेवा,समर्पण, त्याग और स्वतंत्रता आंदोलनों में अपना सर्वस्व जीवन समाहित करने वाले भी थे। उनके जीवन से आज प्रत्येक युवाओं को सिख लेनी चाहिए। ताकि कितनी भी बड़े पदधारक या धनवान हो जाए पर समाज में रह कर समाज को बेहतर बनाने के लिए प्रयास हमेशा करते रहना चाहिए।इस मौके पर उपस्थित वार्ड 06 के वार्ड सदस्य सूरज कुमार प्रताप ने कहा कि महापुरुषों की जयंती या पुण्य तिथि को लंबे समय तक यादगार बनाने के लिए पौधारोपण कर श्रद्धांजलि देना अच्छा मुहिम हो सकता है। इससे पर्यावरण को बेहतर तो बनाया जा सकता हैं और भविष्य ऐसे ही लोगो में महापुरुषो की जयंती मानने का प्रेरणा मिलती रहेगी।इस अवसर पर मंच के सदस्य विवेक कुमार,शैलेश भारद्वाज, राहुल सिंह,पंकज कुमार,गोलू कुमार, राकेश कुमार,हर्ष कुमार सिंह ग्रामीण विटीश कुमार,सूरज कुमार,नीतीश कुमार,सागर कुमार,रितेश कुमार, सूरज रावत,विजय कुमार सहित कई ग्रामीण उपस्थित थे।विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।