साईकिल यात्रा एक विचार मंच द्घारा रविवार को गिद्धौर प्रखंड के कुंधुर पंचायत के गेनाडीह गांव में भारत रत्न और भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाँ. राजेंद्र प्रसाद की 139 वीं जयंती को यादगार बनाने के लिए साईकिल यात्रियों ने निजी जमीन एवं काली मंदिर के समीप पौधारौपन कर श्रद्धांजलि अर्पित गया। इसके पूर्व साइकिल यात्रा एक विचार,जमुई के सदस्यों द्वारा अपने नियमित यात्रा के 413 वीं क्रम में श्री कृष्णा स्टेडियम से साईकिल यात्रा निकाली गई जो सतगामा,खैरमा,कटौना,रतनपुर होते हुए 14 किलोमीटर दूर प्रखंड के गेनाडीह ग्राम पहुंची।साईकिल यात्रा विचार मंच के सदस्य शैलेश भारद्वाज ने कहा कि डाँ. राजेंद्र प्रसाद ना केवल भारत के राष्ट्रपति बने बल्कि उनका जीवन हमेशा सादगी,सेवा,समर्पण, त्याग और स्वतंत्रता आंदोलनों में अपना सर्वस्व जीवन समाहित करने वाले भी थे। उनके जीवन से आज प्रत्येक युवाओं को सिख लेनी चाहिए। ताकि कितनी भी बड़े पदधारक या धनवान हो जाए पर समाज में रह कर समाज को बेहतर बनाने के लिए प्रयास हमेशा करते रहना चाहिए।इस मौके पर उपस्थित वार्ड 06 के वार्ड सदस्य सूरज कुमार प्रताप ने कहा कि महापुरुषों की जयंती या पुण्य तिथि को लंबे समय तक यादगार बनाने के लिए पौधारोपण कर श्रद्धांजलि देना अच्छा मुहिम हो सकता है। इससे पर्यावरण को बेहतर तो बनाया जा सकता हैं और भविष्य ऐसे ही लोगो में महापुरुषो की जयंती मानने का प्रेरणा मिलती रहेगी।इस अवसर पर मंच के सदस्य विवेक कुमार,शैलेश भारद्वाज, राहुल सिंह,पंकज कुमार,गोलू कुमार, राकेश कुमार,हर्ष कुमार सिंह ग्रामीण विटीश कुमार,सूरज कुमार,नीतीश कुमार,सागर कुमार,रितेश कुमार, सूरज रावत,विजय कुमार सहित कई ग्रामीण उपस्थित थे।विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।

दीपावली के पावन अवसर पर ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहरी क्षेत्रों तक लोगों के द्वारा लाखों रुपए का पटाखा छोड़ा गया जिसका धुआं वायुमंडल में जाकर विलीन हो गया और वह धुआं मनुष्य के लिए जानलेवा साबित भी हो सकता है इसलिए सरकार द्वारा जो सही कदम उठाए जा रहा है उसका पालन हर मनुष्य को करना चाहिए सरकार या नहीं चाहती है कि किसी धर्म या संप्रदाय के त्योहारों को प्रतिबंधित किया जाए सरकार द्वारा जो कदम उठाया गया है वह मनुष्य की भलाई के लिए उठाया गया है

दीपावली में छोड़े गए पटाखे का असर धीरे-धीरे लोगों को महसूस हो रहा है फिर भी लोग पटाखा छोड़ने बंद नहीं कर रहे हैं प्रदूषण से ऐसे ही लोग परेशान है और दीपावली में छोड़े गए पटाखे उसे और बढ़ा रहा है अगर इसी तरह छठ पूजा तक पटक छुट्टा रहा तो लोगों को सांस लेने में काफी परेशानी होगा और लोग बीमारी के चपेट में पड़ जाएंगे

प्रदूषण को कम करने के लिए दीपावली में पटाखे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए पटाखे से जो दुआ निकलता है वह वायुमंडल में जाकर मिल जाता है और शोषण क्रिया के अंदर घोलकर वह शरीर में प्रवेश करता है

दीपावली दियों से या धमाकों से? अबकि दीवाली पर हमें यह सोचना ही होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे शहरों की हवा हमारे इस उत्साह को शायद और नहीं झेल पा रही है। हवा इतनी खराब है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। भारत की राजधानी दिल्ली इस मामले में कुछ ज्यादा बदनाम है। दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित जगहों में शामिल दिल्ली में प्रदूषण इतना अधिक है कि लोगों का रहना भी यहां दूभर हो रहा है।

वैसे तो दीपावली प्रकाश का पर्व है औऱ लोग मिठाईयों व दूसरे सामान के अलावा पटाखे भी खरीदे जाते हैं। इन पटाखों के धुएं से वातावरण का प्रदूषित होता है। हर साल विस्फोटक पदार्थ से वायु एवं ध्वनि प्रदूषण हो जाता है। पटाखों के विस्फोट से निकलने वाले केमीकल से जो वायु प्रदूषण होगा, उसका स्तर तय मानक से 20 गुना ज्यादा हो जाता है।विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।

ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोग भी इन दोनों प्रदूषण के शिकार होते जा रहे हैं क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में बेतहाशा वनों की कटाई हो रही है

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बिहार राज्य के जमुई जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता रंजन कुमार जानकारी दे रहे हैं कि प्रकृति से छेड़छाड़ करने के लिए मानव खुद जिम्मेदार है। आज नदियां सिमटती जा रही है। ज़्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

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