तमिलनाडु राज्य के तिरुपुर ज़िला से मीना कुमारी ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि लॉक डाउन में लोगों के समक्ष बहुत परेशानी आ रही है। किसी के पास नौकरी नहीं है तो किसी के पैसे ख़त्म हो गए है। कंपनी में काम नहीं है।साथ ही सब्जियों के दाम भी बढ़ गए है। श्रमिक परेशान है यह सोच कर कि कहीं लॉक डाउन को बढ़ा न दिया जाए। पिछले साल तो सरकार तरफ से राशन की सहायता मिल गयी थी परन्तु इस साल क्या होगा कुछ पता नहीं। इसलिए बहुत से प्रवासी श्रमिक अपने गाँव पलायन कर रहे है

हरियाणा राज्य के झज्जर ज़िला के बहादुरगढ़ से रुपाली ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है कि लॉक डाउन के कारण दिहाड़ी श्रमिकों को काम मिलना बंद हो गया है। जिसके कारण अब दिहाड़ी पर काम करने वाले प्रवासी श्रमिक अपने घरों की ओर लौट रहे है। श्रमिकों का कहना है कि पिछले लॉक डाउन में बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ा था ,इसलिए वो ज़ल्द से ज़ल्द अपने घर लौट रहे है ऑडियो पर क्लिक कर सुनें पूरी ख़बर..

दिल्ली एनसीआर के मानेसर के खो गाँव से शंकर पाल की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से एक श्रमिक से हुई। श्रमिक बताते है कि वो सेक्टर आठ में काम कर रहे थे। लॉक डाउन से पहले उन्हें 15,000 रूपए वेतन मिल रहा था अब उन्हें 12,000 रूपए ही मिल रहे है

दिल्ली के बहादुरगढ़ हरियाणा से शत्रोहन लाल कश्यप ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पिछले एक साल से कोरोना के कारण हुए नुक्सान में सबसे ज्यादा परेशानी निम्न वर्ग जिसमे मजदुर आते हैं ,उन्हें हुई है।

दिल्ली के श्री राम कॉलोनी से मोहम्मद शाहनवाज ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से एक मजदूर से भाई अकील अहमद साहब से बातचत की। उन्होंने बताया कि पिछले लॉक डाउन के बाद 200 से 300 कमा लेते थे लेकिन इस बार के लॉक डाउन में उन्हें कमाई का कोई साधन ही नहीं है। खर्चा चलाना बहुत मुश्किल हो गया है। साथ ही उन्होंने बताया सरकार की ओर से भी कोई मदद नहीं मिल रही है। पिछली लॉकडाउन में बहुत सी एनजीओ भी काफी मदद कर रही थी। मगर इस बार कोई एनजीओ भी अभी तक कोई मदद के लिए नहीं आई है

हरियाणा राज्य के झज्जर ज़िला के बहादुरगढ़ से मनोहर लाल कश्यप ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि बहादुरगढ़ के कई कंपनियों ने यह निर्णय लिया है कि 1 मई से 15 दिनों के लिए कंपनी को बंद कर दी गई है। इसके पीछे का वजह बढ़ता कोरोना संक्रमण बताया जा रहा है। इससे कई श्रमिक बेरोज़गारी की स्थिति में आ गए है और अपने अपने गृह राज्य लौट रहे है। परन्तु बात यह भी है कि कंपनियों में कच्चा माल ख़त्म हो चुका है। उत्पादन बंद होने के कारण कम्पनियाँ बंद की जा रही है।

झारखण्ड राज्य गढ़वा जिला से दीनानाथ चौधरी ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि क्षेत्र में लॉक डाउन लगने से उन्हें काफी परेशानी हो रही है। काम -काज नहीं होने से आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है।

दिल्ली एनसीआर के मानेसर से दीपक ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि गुड़गाँव से कई प्रवासी मज़दूर वापस अपने घर जा चुके है और अभी भी लगातार अपने घरों की तरफ जा रहे है। इस वक़्त काफ़ी कंपनियों को श्रमिक न मिलने के कारण बंद कर दिया गया है। वही जो श्रमिक आठ घंटे की ड्यूटी के लिए 350 रूपए मिलता है अगर किसी दिहाड़ी को लेकर आते है कंपनी में तो उन्हें 500 रूपए की ओटी देनी पड़ती है। अभी के समय में दिहाड़ी मज़दूर भी मिलना बंद हो गया है। कंपनियों ने भी अपने श्रमिकों को लगातार छुट्टी दे दी है।

साझा मंच संवाददाता हस्मत अली की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से यू ट्यूब चैनल जन सेवा समाचार के चीफ करेस्पोंडेंट नौशाद अली सिद्दीकी से हुई। नौशाद अली सिद्दीकी कहते है कि अभी के समय में लोग अस्पताल जाने से परहेज़ कर रहे है। अस्पतालों में लगातार हो रही मौतों से जनता में ख़ौफ़ है। इसलिए लोग अस्पताल जाने के बजाय देसी इलाज़ करवा रहे है। पहले से ही देश बेरोज़गारी से परेशान है। धीरे धीरे स्थिति समान्य हो रही थी लेकिन महामारी के दूसरी बार पैर पसारने से दोबारा स्थिति बिगड़ गई है। सरकार ने लॉक डाउन लगाया ,सही है पर गरीब इससे पीड़ित है।बीते साल दानवीरों के द्वारा स्थिति संभली थी पर इस बार यह व्यवस्था भी नहीं है।ऑडियो पर क्लिक कर सुनें साक्षात्कार..

हरियाणा से संतोष कुमार कश्यप और इनके साथ श्रमिक सिकंदर कुमार हैं वे साझा मंच के माध्यम से कहते हैं कि लगातार बढ़ते लॉकडाउन के कारण श्रमिकों को काफी परेशानी होने लगी है। वहीँ दूसरी ओर प्रवासी मजदूरों को सरकार द्वारा कोई सहायता भी नहीं मिलती है