दिल्ली एनसीआर से हमारे संवाददाता की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से एक श्रमिक से हुई। श्रमिक कहते है कि कंपनी में सिंगल रेट पर ओवरटाइम का पैसा देते है। कंपनी में 250 से 300 लोग काम करते है ,सभी को ओवरटाइम का सिंगल रेट पर पैसे मिलते है। सरकार श्रमिकों के फ़ायदे के लिए क़ानून लाई लेकिन कंपनी श्रमिकों का लाभ नहीं कर रही है। अगर डबल रेट पर ओवरटाइम का पैसा मिले तो श्रमिकों को बहुत ख़ुशी होती । अभी महँगाई के दौर में कम वेतन पर घर चलाना मुश्किल है।

दिल्ली एनसीआर से हमारे संवाददाता ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कंपनियों में काम करने वाले एक श्रमिक भाई से श्रम क़ानून के बारे में बातचीत कर रहे हैं। श्रमिक ने बताया कि कंपनी में उन्हें तीन घंटा ओवर टाइम देना पड़ता है लेकिन इसका पैसा सिंगल रेट पर ही पैसा मिलता है ।कंपनी वाले कानून का पालन नहीं करते। अगर श्रमिक आवाज़ उठाते है तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। सरकार द्वारा लागु किये गए कानूनों से श्रमिकों को कोई मदद नहीं मिल रही है। मजदूरों को मज़बूरी में कंपनियों में काम करना पड़ता है। इसमें पूरा फ़ायदा कंपनी वालों को ही मिल रहा है

दिल्ली एनसीआर से हमारे संवाददाता ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कंपनियों में काम करने वाले श्रमिक से श्रम क़ानून के बारे में बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कंपनी में रोजाना ओवर टाइम लगता है लेकिन सिंगल रेट पर ही पैसा मिलता है। सरकार द्वारा लागु किये गए कानूनों से श्रमिकों को कोई मदद नहीं मिल रही है। कंपनी अगर डबल रेट से ओवरटाइम का पैसा देती तो श्रमिकों को भी डबल लाभ मिलता। लेकिन इससे केवल कंपनियों को ही मुनाफ़ा हो रहा है। अगर श्रमिक इस पर आवाज़ भी उठाते है तो कंपनी को फ़र्क़ नहीं पड़ता। कंपनी श्रमिकों की बिलकुल नहीं सोचती। सरकार चाहे जितनी भी कानून बना दें श्रमिकों को फ़ायदा नहीं है। मज़दूरों को ठगा जा रहा है ,सरकार ही कंपनी वालों पर ज़्यादा ध्यान देती है

दिल्ली से हमारे संवाददाता और इनके साथ कम्पनी में काम करने वाले श्रमिक है। साझा मंच के माध्यम से कहते हैं कि जब कम्पनी में काम अधिक रहता है तो मजदूरों को दो से तीन घंटे तक अधिक काम पड़ता है। लेकिन इसका पैसा उन्हें नहीं मिलता है। जब मजदुर मालिक से बात करते हैं तो वे केवल कम्पनी का यही नियम है कह कर बात को टाल देते हैं और मजदूरों के मेहनत उसके हक़ और मार देते हैं

दिल्ली से हमारे संवाददाता और इनके साथ एक श्रमिक हैं, साझा मंच के माध्यम से कहते हैं कि वे जिस कम्पनी में काम करते हैं वहां मजदूरों से ओवर टाइम तक काम करवाया जाता है। लेकिन उसका पैसा सिंगल मिलता है। जबकि सरकार द्वारा यह नियम बनाया गया है कि जो भी मजदुर साथी ओवर टाइम तक काम करते हैं तो उनका पैसा डबल दिया जाएगा। लेकिन यह बाते केवल कागजो में ही सिमट कर रह जाती है। कंपनियों में इसका पालन नहीं होता है और मजदूरों से केवल काम निकाला जाता है

दिल्ली से हमारे संवाददाता और इनके साथ एक श्रमिक हैं, वे साझा मंच के माध्यम से कहते हैं कि कम्पनी सरकार के द्वारा बनाए गए कानून का पालन नहीं करती है। साथ ही कम्पनी द्वारा प्रतिदिन दो घंटे मजदूरों से ओवर टाइम करवाया जाता है और कभी नाईट भी करवाई जाती है । उन्हें ओवरटाइम का सिंगल मिल रहा है और नाईट डबल।सरकार के बनाए क़ानून का मज़दूर ही पालन करते है। अगर मज़दूरों का वेतन बढ़ता तो उन्हें परिवार चलाने में कोई समस्या नहीं होती। क़ानून श्रमिक के लिए लाभदायक नहीं है।

दिल्ली से हमारे संवाददाता और इनके साथ एक श्रमिक हैं ,वे साझा मंच के माध्यम से कहते हैं कि कम्पनी द्वारा मजदूरों से ओवर टाइम तक काम करवाया जाता है। लेकिन वेतन केवल आठ घंटे का ही मिलता है। वहीँ सरकार द्वारा बनाई गई किसी भी योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिलता है

दिल्ली से हमारे संवाददाता और इनके साथ श्रमिक हैं, साझा मंच के माध्यम से कहते हैं कि वे एक कम्पनी में टेलर के रूप में काम करते हैं। यदि कभी कम्पनी में अधिक काम रहता है तो श्रमिकों से ओवर टाइम तक काम करवाया जाता है साथ ही नाईट में भी काम लगता है। इसका पैसा उन्हें सिंगल ही मिलता है। महँगाई बढ़ रही है ,क़ानून के तहत श्रमिकों को डबल ओवरटाइम का पैसा मिलना चाहिए। यदि मजदुर इस मुद्दे पर कम्पनी मालिक से बात करते हैं तो उन्हें कोई सटीक जवाब नहीं मिलता है

दिल्ली से हमारे संवाददाता और इनके साथ सिक्यूरटी गार्ड हैं वे साझा मंच के माध्यम से कहते हैं कि सरकार द्वारा यह निर्देश लागु की गई थी कि सभी कंपनियों में रविवार के दिन श्रमिकों को अवकाश दिया जाएगा लेकिन कम्पनी मालिक श्रमिकों को रविवार के दिन भी कार्य पर बुलाती है यदि मजदुर जाने के इंकार करते हैं तो उनके वेतन से पैसा काट लिया जाता है। मजबूरन श्रमिकों को अवकाश के दिन भी काम पर जाना पड़ता है

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