आपके अनुसार महिलाओं को एक मंनोरंजन या लेनदेन के सामान जैसा देखने की मानसिकता के पीछे का कारण क्या है ? आपके अनुसार महिलाओं को एक सुरक्षित समाज देने के लिए क्या किया जा सकता है ? और किसी तरह के बदसलूकी के स्थिति में हमें उनका साथ किस तरह से देना चाहिए ?
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यौन उत्पीड़न हमारे समाज की एक बड़ी समस्या है और बहुत से लोग इसका शिकार भी हो जाते हैं . हम समझते है की केवल साबधानी बरतने से ही ऐसे परिस्थितिओं को हमेशा नहीं टाला जा सकता है बल्कि सामाजिक बदलाव से ही इस समस्या को जड़ से ख़तम किया जा सकता है। ऐसे में , आप को क्या लगता है की किस तरह का बदलाव हमारे समाज को एक सुरक्षित और बेहतर समाज बनने में मदद कर सकती है ? और क्या केवल कड़े कानून लागु करने से ही यौन उत्पीड़न के शिकार हुए लोगो को इन्साफ दिलवाया जा सकता है ? यौन उत्पीड़न के शिकार हुए लोगो के प्रति वर्तमान में दिखने वाले सामाजिक प्रतिक्रियों पे आप का क्या राय है ?
हमारे समझ में आज भी यौन शोषण के बारे में एक अनचाही चुप्पी साध ली जाती है और पीड़ित व्यक्ति को ही कहीं न कहीं हर बात के लिए जिम्मेदर बना देने की प्रथा चली आ रही है। पर ऐसा क्यों है? साथ ही इस तरह के सामाजिक दबावों के अतिरिक्त और क्या वजह होती है जिसके लिए आज भी कई सारे यौन शोषण के केस पुलिस रिपोर्ट में दर्ज नहीं होते हैं ? समाज में फैले यौन शोषण के मानसिकता के लिए कौन और कैसे जिम्मेदार है ? और समाज से इस मानसिकता को हटाने के लिए तुरंत किन - किन बातों पर अमल करना जरुरी है ?
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दिल्ली के इंदिरा नगर गली नंबर 9 से प्रेम नाथ ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कंपनी में काम करने के दौरान उनकी ऊँगली कट गयी थी। ऊँगली कटने के बाद उन्हें कंपनी के द्वारा कोई आर्थिक सहायता नहीं दिया गया। साथ ही उन्हें कंपनी से भी निकाल दिया गया है
दिल्ली के इंदिरा नगर से रोहित ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उनकी माँ कंपनी में जॉब करती थी। और काम के दौरान उनकी माँ की ऊँगली कट गयी थी। ऊँगली कटने के कारण उन्हें पेंशन तो मिल रही है लेकिन कंपनी उन्हें काम पे नहीं रख रही है
दिल्ली के इंदिरा नगर से दीपक ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उनकी माँ कंपनी में जॉब करती थी। और काम के दौरान उनकी माँ की ऊँगली कट गयी थी। ऊँगली कटने के कारण उन्हें पेंशन तो मिल रही है लेकिन कंपनी के द्वारा कोई आर्थिक सहायता नहीं दिया गया। साथ ही उन्हें कंपनी से भी निकाल दिया गया है
ख़ुशी ने श्रमिक वाणी के माध्यम से बताया कि उनके पापा का नाम जीतेन्द्र है और काम करते दौरान उनकी चार उँगलियाँ कट गयी है। इसके लिए उन्हें कोई सहायता नहीं मिली है और कंपनी से भी उन्हें निकाल दिया गया है