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तमिलनाडु राज्य के तिरुपुर ज़िला के अविनाशी से अरुण की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से अर्चना से हुई। अर्चना ने बताया कि वो यूपी की रहने वाली है और तिरुपुर में आये हुए उन्हें आठ वर्ष हो चुके है। उन्हें पति ठेकेदार का काम करते है। जिन्होंने ट्रस्ट वालों से बातचीत कर के अपने लोगों को राशन का सामान दिलवा रहे थे। वहीं लॉक डाउन के दौरान श्रमिक स्पेशल ट्रैन से अपने गांव वापस जाने के लिए श्रमिकों को सहायता भी की। ऑडियो पर क्लिक कर सुनें पूरी साक्षात्कार...
तमिलनाडु राज्य के तिरुपुर ज़िला के अविनाशी से अरुण की बातचीत साझा मंच मुन्ना से हुई। मुन्ना ने बताया कि उन्हें तमिलनाडु में कार्य करते हुए पांच साल हो गए। पांच सालों में उन्होंने तीन कंपनियाँ बदली है। वो शिफ्ट रेट पर ही कार्य कर रहे है। कंपनी शिफ्ट में वेतन सही से मिल जाता है वही कॉन्ट्रैक्टर के अंदर में पीस रेट पर काम करने से वेतन की समस्या होती है। उन्होंने एक श्रमिक के बारे में बताया कि कॉन्ट्रैक्टर उनका 6 हज़ार रूपए नहीं दिए अब श्रमिक उन्हें खोज नहीं पा रहे है। ठेकेदार की मध्यस्था में काम करने पर पीस रेट का पैसा लेने में रिस्क होता है। शिफ्ट काम में कंपनी से सुविधा भी मिलती है। ऑडियो पर क्लिक सुनें पूरी साक्षात्कार...
तमिलनाडु राज्य से सिमा साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है कि कंपनी में एक लड़का काम करता था उसने पुरे ६ महीने काम किये पर उस लड़के का तीन महीना का वेतन कंपनी ने उसे नहीं दिया है
हमारे मोबाइल वाणी रहे है कि ट्रैन में उनके साथ जबरन फाइन लिया गया इस वजह से उन्हें बहुत कष्ट के साथ सफर करना पड़ा
तिरुपुर से मीणा कुमारी साझा मंच के माध्यम से कहती हैं कि तमिलनाडु में चुनाव होने वाला है लेकिन कोई भी सरकार प्रवासी मजदूरों के बारे में नहीं सोचती है
तिरुपुर से मीणा कुमारी साझा मंच के माध्यम से कहती हैं कि लॉक डाउन के कारण सभी स्कूलो को बंद कर घर पर ही ऑनलाइन क्लास करवाया जाने लगा। लेकिन शिक्षकों की मनमानी अनुसार ही क्लास लिया जाता है। जिस कारण बच्चों को पढ़ाई की जगह मोबाइल का लत लग गया है
तमिलनाडु के तिरुपुर से मीणा कुमारी साझा मंच के माध्यम से कहती हैं कि कोरोना के शुरुआती दिनों में इससे बचने के लिए कंपनियों में कई तरह के उपाय किए जाते थे लेकिन अब मजदूरों द्वारा मास्क,सेनिटाइजर या सामाजिक दुरी का पालन नहीं किया जा रहा है
तिरुपुर से मीणा कुमारी कहती हैं कि लॉक डाउन के समय मकान मालिक रूम का किराया में कुछ कमी कर दी थी। लेकिन पुनः कंपनियों में काम शुरू होने के कारण मकान मालिकों ने फिर रूम का किराया बढ़ा दिए हैं
तमिलनाडु राज्य के तिरुपुर ज़िला से मीना कुमारी ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है कि एक महिला श्रमिक से उनकी बात होने पर मालूम चला कि वो श्रमिक अपने कार्यक्षेत्र मे शिफ्ट ड्यूटी में काम करती है इसके बावज़ूद उनका पैसा काटा जाता है। साथ ही ईएसआई का लाभ भी नहीं ले पाती है। बीमार होने पर इलाज़ करवाने के लिए उन्हें प्राइवेट अस्पताल ही जाना पड़ता है। इसलिए वो चाहती है कि कंपनी जिस दिन बंद रहती है उस दिन सभी श्रमिकों को ले जाकर अस्पताल में सभी श्रमिकों का नाम चढ़वा कर आ सके। तो ऐसे में सभी को लाभ भी मिलेगा। कंपनी को ही अपने श्रमिकों की सुविधा का ध्यान रखना चाहिए