दिल्ली से शंकरपाल साझा मंच के माध्यम से जानकारी दे रहें हैं की नॉएडा में काम के लिए मज़दूरों को काफी परेशानी हो रही है और किराया का कमरा भी बहुत ही

दिल्ली एनसीआर के नॉएडा से शंकर पाल ,साझा मंच के माध्यम से कहते हैं कि वो नॉएडा में काम कर रहे हैं। वहाँ ईएसआई अस्पताल दूर होने कारण श्रमिकों को समस्या होती है। श्रमिक अपने 50 रूपए किराया दे कर अस्पताल पहुँचते है। ब्रांच ऑफिस और लोकल ऑफिस भी इंडस्ट्रियल एरिया में उपस्थित नहीं है। 50 प्रतिशत ऐसी कंपनी में जहाँ श्रमिक पीएफ और ईएसआई का पैसा नहीं कटवाते है और कंपनी भी इस पर सहमत है

दिल्ली से शंकर पाल साझा मंच के माध्यम से जानकारी दे रहें हैं की बारिश के कारण दिल्ली नॉएडा में जीवन अस्त व्यस्त हो गया है और वहीँ दूसरी तरफ लोगों को काम नहीं मिल रहा है जिस से समस्या हो रही हिअ.

नॉएडा से शंकर पाल ने साझा मंच के माध्यम बताया कि नॉएडा ठण्ड बहुत है।

दिल्ली के नॉएडा से शंकर पाल साझा मंच के माध्यम से संक्रांत की बधाई देते हुए कह रहें हैं की लोग संक्रांत की ख़ुशी में खिचड़ी बाँट रहें हैं.

झारखण्ड राज्य के पलामू में रहने वाले शंकर पाल साझा मंच के माध्यम से कह रहें हैं की ये अभी दिल्ली के नॉएडा में हैं हैं और इन्हें काम नहीं मिल रही है ये कह रहें हैं की काम की तलाश में काफी लोग हैं और उन्हें काम न मिलने की सूरत रात प्लेटफॉर्म में बिताना पड़ता है.

नमस्कार दोस्तों मैं नॉएडा सेक्टर 10 से बोल रहा हूँ। यहाँ पर हमलोग संजय ठेकेदार के पास काम कर रहें है। वो अपनी मनमर्जी करता है। वो हमें पैसा नहीं दे रहा है, हमलोग चार दिन से भूखे सो रहें है। कुछ मदद करिये। सांझा मंच से आग्रह है कि मदद करने की कृपा करें

दिल्ली एनसीआर के नॉएडा से कांता प्रसाद ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि उन्हें मज़दूरों की डायरी पसंद आई। यह बात सच है कि पूंजीपति वर्ग हमेशा से मज़दूरों को मज़बूर ही समझते आए है। मज़दूरों का कोई नहीं है ,न ही सरकारी तंत्र ,न श्रम विभाग न लेबर कोर्ट। इस कारण उनका कोई कार्य नहीं हो पाता है। ऑडियो पर क्लिक कर सुनें पूरे विचार...

दिल्ली एनसीआर के नोएडा से कांता प्रसाद ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि साझा मंच की कार्यकर्त्ता श्वेता मज़दूरों की बातें बहुत अच्छे से करती है। वो भी मज़दूर थे ,पांच साल तक उन्होंने एक कंपनी में काम किया था। ठेकेदार ने चार साल तक ईएसआई कार्ड नहीं दिए थे जोइनिंग होते ही उनका ईएसआई का पैसा कटने लगा था। एचआर सबसे ज़्यादा भ्रस्टाचारी रहते है ,उनसे बात करने पर भी उन्होंने इनका ईएसआई कार्ड नहीं बनाए। जब उन्होंने संघर्ष किया तब जा कर चार साल बाद उनका ईएसआई बना।

नॉएडा फेज 2 से हमारे श्रोता कहते है कि लॉक डाउन के कारण उन्हें बहुत परेशानी हो रही है। राशन या आर्थिक सहायता चाहिए