भीषण गरमी से जीवन बेहाल

आर्थिक लड़ाई कैसे लडे चीन से

गुरुग्राम से नंद किशोर साझा मंच मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि कोई भी कामगार अपने गृहराज्य से बाहर काम की तलाश में तभी जाते हैं, जब उन्हें वहाँ काम नहीं मिलता। इस कोरोना-संक्रमण के बाद अधिकांश कामगार अब अपने गृहराज्य में ही रोज़गार तलाश रहे हैं और काम न मिलने की स्थिति में ही बाहर जाना चाहते हैं। अपने गृहराज्य से बाहर जाकर काम करने वाले प्रवासी कामगार सबसे अधिक उत्तर प्रदेश और बिहार से होते हैं। इस लॉक डाउन में काम बंद होने के बाद उनके वापस आने पर अधिकांश राज्य सरकारें उन्हें कुशल, अर्धकुशल और अकुशल श्रेणियों में बाँटकर उनका पंजीकरण कर उन्हें गृहराज्य में ही रोज़गार मुहैया कराने की कोशिश कर रही हैं और इसमें सबसे अधिक सहायक हुआ है मनरेगा। इसके साथ ही सरकार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों में भी इन्हें समायोजित करने का प्रयास भी कर रही है। इन तमाम प्रयासों के बावजूद ऐसा लग रहा है कि कामगारों को उनकी योग्यता के अनुसार पारिश्रमिक नहीं मिल पाएगा और इस स्थिति में वे अपनी मेहनत के पारिश्रमिक के लिए मोल-टोल के अवसर भी खो देंगे। लॉक डाउन के बाद वापस लौट रहे प्रवासी कामगारों की सुविधाओं का पहले से बेहतर ध्यान कम्पनियाँ रख रही हैं, जो एक शुभ संकेत है।

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स्वास्थ्य बचाओ कोरोणा को हराओ

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गुरुग्राम, दिल्ली से साझा मंच मोबाईल वाणी के सम्वाददाता नंद किशोर बता रहे हैं कि इस लॉक डाउन में बेरोज़गार हुए अधिकांश प्रवासी कामगारों के चार माह के सुनिश्चित रोज़गार हेतु पचास हज़ार करोड़ रुपए की लागत से गरीब कल्याण रोज़गार अभियान का वर्चुअल शुभारम्भ तेलिहार गाँव, ख़गड़िया, बिहार माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने ये कहते हुआ किया कि अबतक शहरों को संवारने वाले अब अपने गाँवों को संवारेंगे। इस योजना में कम से कम एक सौ पच्चीस दिनों का रोज़गार मिलेगा। इस योजना में बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और उड़ीसा के एक सौ सोलह ज़िले शामिल किए गए हैं, जिनमें सबसे अधिक बिहार के बत्तीस और उत्तर प्रदेश के इकत्तीस ज़िले शामिल हैं। इसके अंतर्गत आवास निर्माण, पौध-रोपण, जल-जीवन-मिशन, पंचायत भवन-निर्माण, सामुदायिक शौचालय-निर्माण, ग्रामीण सड़क, मंडी, गौशाला तथा आंगनबाड़ी-भवनों का निर्माण जैसे पच्चीस तरह के कार्य हैं। इससे प्रवासी कामगारों के ज़ख्मों पर काफ़ी हैड तक मरहम लगेगा।

आत्म निर्भर भारत बनेगा

इसारे पर नाच रहा नेपाल

ये नंद किशोर, साझा मंच मोबाईल वाणी के सम्वाददाता कापासेड़ा, नई दिल्ली से बता रहे हैं कि दिल्ली के निजी चिकित्सालयों में कोरोना-संक्रमण के दौरान इलाज करने में की जा रही मनमानी एक गम्भीर चिंता का विषय है। दिल्ली सरकार द्वारा कोरोना मरीज़ों के इलाज के लिए जारी किए गए ऐप में बिस्तर ख़ाली दिखाने के बावजूद निजी अस्पताल कोरोना-मरीज़ों के भर्ती करने में आनाकानी कर रहे हैं और कोरोना-मरीज़ों से इलाज के नाम पाए अत्यधिक रक़म वसूलने के मामले भी सामने आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर लगातार इन निजी अस्पतालों के ख़िलाफ़ शिकायतें दिख रहीं हैं। इस तरह के मामलों को देखते हुए मुख्यमंत्री जी अपनी चिंता भी ज़ाहिर कर चुके हैं। लॉक डाउन में अधिकांश लोगों की डावाँडोल आर्थिक स्थिति के मद्देनज़र निजी अस्पतालों और दिल्ली सरकार दोनों को सम्वेदनशीलता का परिचय देना चाहिए। सरकार को कोरोना मरीज़ों को बरती कर उनका इलाज करने और तय धनराशि से अधिक न लेने के लिए सख़्त निर्देश जारी करने चाहिएँ। ये मानवता की सेवा का समय है न कि पैसे बनाने का। दिल्ली के निजी अस्पतालों की यह स्थिति गम्भीर चिंता का विषय है।