दिल्ली एनसीआर के कापासेड़ा से नन्द किशोर,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि मौसम में आये बदलाव के कारण सब्ज़ियों के दामों में वृद्धि होने से लोगों की सिर दर्द शुरू हो गयी है। आये दिन आलू टमाटर ,प्याज के दामों में वृद्धि हो रही है।
दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा गांव से नन्द किशोर ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि नवरात्री में कन्याओं का पूजा हो रहा है। कन्याओं को देवी का रूप मान कर अष्टमी और नवमी को पूजा किया जाता है। यह परंपरा वर्षो से चला आ रहा है। पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए कन्याओं को उपहार भी दिया जा रहा है। ऑडियो पर क्लिक कर सुनें पूरी ख़बर...
दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा गांव से नन्द किशोर की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से गारमेंट एंड एलाइड वर्कर यूनियन के कोषाध्यक्ष अक्षय कुमार से हुई।अक्षय ने ग्रेचुइटी के विषय में बताया कि साढ़े चार साल कंपनी में कार्य करने के बाद श्रमिक की ग्रेचुइटी बन जाती है।पर कम्पनियाँ उन्हें पांच साल का जिक्र करती है। श्रमिक को अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए
दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा गांव से नन्द किशोर की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से अक्षय कुमार से हुई। अक्षय ने बोनस के विषय में बातचीत के दौरान बताया कि श्रमिकों को जागरूक होना चाहिए कि उन्हें बोनस पाने का अधिकार है। कई ऐसी भी कम्पनियां है जो अपने श्रमिकों को बोनस नहीं देती है। एक ऐसी भी कंपनी है जो अपने श्रमिकों को कहती है कि वो बोनस तो उन्हें देगी परन्तु उनके सैलरी से वो पैसे काट लेगी। श्रमिकों में जागरूकता के अभाव के कारण कंपनी वाले उनका फ़ायदा उठाते है।
दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा से नन्द किशोर की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से मनोज कुमार से हुई। मनोज कुमार ने बताया कि श्रमिकों को कोई भी समस्या होने पर कंपनी से कोई सहयोग नहीं मिलता है। अगर समस्या का हल नहीं होता तो दूसरी कंपनी ज्वाइन कर लेते है। यूनियन का भी सहयोग नहीं लेते है। मनोज को श्रम कानून के बारे में कुछ जानकारी नहीं है। ऑडियो पर क्लिक कर सुनें पूरी बातचीत...
दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा से नन्द किशोर की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से मोहन से हुई। मोहन ने बताया कि वो कंपनी में पीस रेट में कार्य करते है। श्रमिकों को पीस रेट में कार्य करने में ही फ़ायदे है। पीस रेट में कार्य करने पर श्रमिकों का पीएफ और ईएसआई का पैसा नहीं कटता है
दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा बॉर्डर से हमारे एक श्रोता ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लॉक डाउन के वक़्त वो एक महीनें के लिए अपने गांव चले गए थे। जब वापस आये तो कंपनी प्रबंधन उन्हें यह कह कर वापस काम पर नहीं रख रही कि कंपनी में श्रमिक भर चुके है। वो कंपनी में पांच सालों से कार्यरत है और अब कंपनी वाले उन्हें रिजाइन देने को कह रहे है। कंपनी से ग्रेचुइटी की बात करने पर उन्होंने कहाँ कि अगर ग्रेचुइटी बना होगा तब ही दिया जाएगा
मजदूर बने आत्म निर्भर
दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा से अंगद मौर्या ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उनका चार कंपनी में पीएफ का पैसा कटा है। अब उन्हें इसे निकलवाने में समस्या आ रही है। चार महीनें से वो परेशान है। बैंक में केवाईसी भी करवा लिया है ,चार महीनें से पीएफ ऑफिस के चक्कर भी काट चुके है परन्तु पीएफ का पैसा नहीं निकल पा रहा है
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पीएफ निकालने से पहले आपको कुछ चीजों पर ध्यान देना होगा। जैसे- आपका केवाईसी, आपके बुनियादी विवरण, कंपनी का सत्यापन और पुरानी कंपनी से नयी कंपनी में ट्रांसफर। यदि आपके सारे विवरण सही हैं, तो ट्रांसफर प्रक्रिया नई कंपनी ज्वाइन करते ही स्वचालित रूप से हो जाएगी। ट्रांसफर प्रक्रिया पुरानी और नयी दोनों कंपनियां कर सकती हैं या आप खुद भी ऑनलाइन कर सकते हैं। अगर यह प्रक्रिया अस्वीकृत हो रही है, तो हो सकता है कि आपके विवरण या केवाईसी सही तरीके से अपडेट नहीं है। हम सुझाव देते हैं कि आप पहले अपनी दोनों कंपनियों से बात करें और अगर समस्या का समाधान नहीं होता है तो पीएफ ऑफिस में लिखित शिकायत दर्ज करें।
Sept. 29, 2020, 6:10 p.m. | Tags: govt entitlements int-PAJ workplace entitlements
दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा से बृजमोहन सिंह ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि कंपनी में काम करने के दौरान उनका दाहिने हाथ का चार ऊँगली कट गया था। 10 से 12 साल केस लड़ने पर भी उन्हें कोई इंसाफ नहीं मिला। उनका नौ महीने का ओवरटाइम का पैसा और एक महीने का वेतन बकाया है। उन्हें दुर्घटना मुआवज़ा भी नहीं मिला। इस पर उन्हें साझा मंच से सहयोग चाहिए। उनका हाथ का नेशनल जीटीएफएस का तीन लाख का दुर्घटना बीमा है। उनके पास भी पत्र भेजने पर कोई सुनवाई नहीं हुई। वहाँ से पैसे भी नहीं मिले
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कभी कभी कम्पन्यां मज़दूरों को काम से रोक देती है और बाद में उन्हें काम से निकाल देती है, यह दोनों एक ही चीज होती है। कोई भी कंपनी अपने मज़दूरों को बिना नोटिस और ठोस कारण के काम से नहीं निकाल सकती, अगर आपके साथ ऐसा हुआ है तो आप लेबर ऑफिस जा सकते हैं। अगर आपकी कम्पनी में 10 से अधिक लोग काम कर रहे हैं तो सोशियल सिक्योरिटी कोड के अंतर्गत आपकी कंपनी को अपने मज़दूरों को एक वर्ष के बाद जब वे किसी भी कारण काम छोड़ते हैं तो उन्हें ग्रेजविटी देना अनिवार्य है। ग्रेजविटी की गणना आपके अंतिम वेतन को काम किये हुए वर्षों और 15 दिनों की संख्या से गुणा करके की जाती है, जिसे 26 से विभाजित किया जाता है। अगर आपके ये हक़ आपको सही तरीके से नहीं मिल रहे तो, हम आपको यह सुझाव भी देते हैं कि पहले आप अपने नियोक्ता से यूनियनों के द्वारा बात करें, और अगर कोई समाधान नहीं मिलता है तभी यूनियन के साथ लेबर ऑफिस जाएं। पहले आपको एक सरल और संक्षेप लिखित शिकायत लेबर ऑफिस में देनी होगी, उसके साथ वह सभी दस्तावेज़ लगाएँ जो यह साबित करें कि आप उस कंपनी में काम कर रहे थे। कंपनी के साथ हुई बातचीत का कुछ लिखित दस्तावेज़ है तो वह भी इस शिकायत के साथ अटैच करें जो बोहत जरूरी होता है। लेबर कमिश्नर दोनों पाकशों को सुनने के बाद आपके और आपके कंपनी के बीच समझौता करने की कोशिश करते हैं, नियम के मुताबिक अगर 45 दिन में समझोता/सेटलमेंट नहीं हुआ तो वो खुद ही संबंधित लेबर कोर्ट में आपके केस को रेफर कर देंगे।
Oct. 16, 2020, 6:24 p.m. | Tags: govt entitlements int-PAJ industrial work workplace entitlements