पूर्वी चम्पारण 4 नंबर वार्ड में नल जल योजना पर काम नहीं हुआ है

एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?

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सुगौली, पू.च: प्रखंड परिसर स्थित प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय शोभा की वस्तु बनकर रह गया है। पशु पालक अपने पशुओं का इलाज कराने पहुंचते हैं पर बैरंग वापस लौटते हैं,उनका कहना है कि अधिकतर समय मवेशी अस्पताल बन्द ही मिलता है। शनिवार को भी कुरुमटोला के मालबाबू यादव और वार्ड नं 6 सिसवनिया टोला कि रवैया खातून अस्पताल आई थी । पर अस्पताल बंद रहने के कारण उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। मालबाबू यादव का कहना था कि वह अपने बीमार भैंस को इलाज कराने ले आया तो डाटा ऑपरेटर ने₹700 रुपए मांगे थे। पर उसके पास पांच सौ रुपए ही था जो डाटा ऑपरेटर को भैंस के इलाज के लिए दिया। और इलाज के दूसरे दिन भैंस भी मर गई। वहीं अपनी बकरी के बच्चे का इलाज कराने आई रवैया खातून ने बताया कि अस्पताल में जल्दी कोई नहीं मिलता है कभी मिलने पर इलाज करते हैं और दवा लिखकर बाजार से खरीदने के लिए कहते हैं। हल्काकि मवेशी अस्पताल बंद रहने के कारण डॉ का पक्ष नहीं लिया जा सका। जब लोगों को अपने मवेशियों के लिए बाजार से ही दवा ख़रीदनी पड़ती है तो प्रतिवर्ष लाखों की जो दवाइयां अस्पताल में आती है उसका क्या होता है। अस्पताल के आस-पास गंदगी का अंबार है। चारों तरफ घांस-फूस भरे हुए हैं। लोगों के मवेशियों का ठीक से इलाज नहीं हो पाता है और उन्हें दवा बाजार से ही खरीदनी पड़ती है तो आखिर इस प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय के होने का क्या मतलब है।

तमाम गैर सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं सरकारें हर छोटी मोटी भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र देने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित कर रही हैं, जिससे की बताया जा सके कि युवाओं को रोजगार उनकी पार्टी की सरकार होने की वजह से मिल रहा है।

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सदर अस्पताल का एक्सरे मशीन चार दिन से खराब चल रहा है। नतीजतन मरीजों को मिलने वाली मुफ्त एक्सरे सुविधा नहीं मिल रहा है।जबकि टीबी अस्पताल आईसीयू में एक्सरे की सुविधा है मगर यह सुविधा मरीजों को नहीं मिलने के कारण निजी एक्सरे क्लिनिक में मरीजों को मोटी रकम देकर यह जांच करवाना होता है। सदर अस्पताल में मुफ्त में मिलती है एक्सरे की सुविधा : बताया जाता है कि सदर अस्पताल में मरीज को मुफ्त में एक्सरे की सुविधा मिलती है। इसका संचालन एन जी ओ को दिया गया है। मगर अचानक एक्सरे मशीन के मेजर पार्ट में गड़बड़ी होने के कारण मशीन काम नहीं कर रहा है। संचालक के द्वारा एक्सरे प्लांट आपूर्तिकर्ता को सूचना देकर तुरंत मेकेनिक भेजने की मांग की गयी है। मगर अभी तक कंपनी ने मेकेनिक को नहीं भेजा है।

मोतिहारी शहर नगर परिषद से नगर निगम बन गया। शहरी क्षेत्र के विस्तार के साथ ही आबादी भी तेजी बढ़ी है। जिसके कारण मार्केट का स्वरूप भी बदला है। बड़ी बड़ी दुकानें खुल गयी हैं। सर्राफा बाजार में कई आभूषण की नई छोटी बड़ी दुकानें खुल गयी। मीना बाजार, हेनरी बाजार,बलुआ, छतौनी बाजार में दुकानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यहां पूरे दिन ग्राहकों की भीड़ रहती है। लेकिन बाजारों में आवश्यक सुविधाओं की भारी कमी है। बाजारों में प्रतिदिन सैकड़ों ग्रामीण व शहरी क्षेत्र की महिलाएं शहर में खरीदारी के लिये आती हैं। लेकिन जब उन्हें शौचालय जाने की आवश्यकता होती है तो उनके सामने सबसे बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है। शहर में नगर निगम की ओर से नौ पब्लिक शौचालय तो है लेकिन उनकी देखरेख की व्यवस्था नहीं होने से महिलाएं वहां जाना नहीं चाहतीं। अधिक देर तक शौचालय नहीं जाने से उनके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ने का खतरा रहता है।

पूर्वी चम्पारण व सीतामढ़ी जिले को सड़क मार्ग से जोड़ने वाले लालबकेया नदी पर बन रहे पुल का निर्माण पिछले बारह वर्षों से चल रहा है। दोनों जिले के लाइफ लाइन कहे जानेवाले लालबकेया नदी के फुलवरिया घाट पर पुल निर्माण का कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। इस नदी पर पुल का निर्माण करीब बारह साल से हो रहा है, लेकिन पुल का निर्माण कार्य अबतक पूरा नहीं हो पाया है। हालांकि कार्य निर्माणधीन है। वर्ष 2004 में आयी बाढ़ में उक्त घाट पर बना लोहे का पुल टूट गया था। तब से लोगों को करीब छह माह बरसात के दिनों में नदी पार करने में परेशानी झेलनी पड़ती है। क्योंकि बरसात के दिनों मे नदी का जलस्तर बढ़ने से अक्सर नदी में बना डायवर्सन क्षतिग्रस्त हो जाता है। करीब छह माह तक डायवर्सन के सहारे नदी को पार करना पड़ता है, या फिर नाव के सहारे। इस घाट पर वर्ष 2007 में नाव दुर्घटना भी ही चुकी है, जिसमें करीब एक दर्जन लोगों की जान जा चुकी है।वर्ष 2012 से पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ। लेकिन बीच बीच में आ रही अड़चनों के कारण निर्माण कार्य में विलंब होता चला गया। हालांकि अब पुल का निर्माण कार्य पूरा होने के कगार पर है।पुल के सम्पर्क पथ पर भी मिट्टी भराई का कार्य जारी है।पुल का निर्माण भारत नेपाल सीमा सड़क परियोजना के तहत हो रहा है।143 करोड़ की लागत से पुल सहित 24 किमी सड़क का निर्माण होगा।

ढाका नगर परिषद क्षेत्र में अधिकांश नाली जर्जर व क्षतिग्रस्त हो चुका है। इस जर्जर व क्षतिग्रस्त नाली से पानी का निकासी नहीं हो पा रहा है। पानी निकासी नहीं होने से नाली का पानी ओभरफ्लो होकर सड़क पर बहता रहता है। कई ऐसे पुराने नाली है जो मिट्टी में जमींदोज हो चुके है। इससे यह पता हीं नहीं चलता है कि यहां पर नाली भी नहीं है। कई ऐसे भी नाली भी है जिनका अतिक्रमण कर उसे मिट्टी में मिला दिया गया है। सबसे बुरा हाल तो ढाका मोतिहारी पथ में सड़क किनारे बने नाली का है, जिससे पानी का निकासी बंद है। जगह जगह नाली क्षतिग्रस्त है। उसमें कचरे भरे रहने के कारण पानी का निकासी नहीं हो पाता है। नाली निर्माण पर ढाका में करोड़ों खर्च हो चुके है लेकिन इससे नगरवासियों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। वार्ड न. 9 व 12 में नाली का पानी हमेशा सड़क पर बहता रहता है, जिससे लोगों के खाली पड़े जमीन में जलजमाव होने से काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।