सीबीएसई क्षेत्रीय कार्यालय और आईसीएसई की मानें तो कुल 2005 स्कूलों में से 805 स्कूलों ने नौवीं और दसवीं मान्यता के लिए संबंधित बोर्ड के पास ऑनलाइन आवेदन किया था। इन स्कूलों ने संबंधित जिला शिक्षा कार्यालय से यू-डायस का कोड लिया था। ई-संबंधन में भी निबंधित थे। लेकिन बच्चों का नामांकन कागज पर था। बच्चे निजी स्कूल और सरकारी स्कूल दोनों ही जगहों पर नामांकित थे। सरकारी योजना का लाभ उठा रहे थे। जब इन स्कूलों से बच्चों की जानकारी मांगी गयी तो जानकारी नहीं दी क्योंकि अगर देते तो आधार नंबर से तुरंत पकड़ में आ जाते।
बंजरिया व मुफस्सिल पुलिस की संयुक्त छापेमारी में बंजरिया के मोखलिसपुर गांव से शेख कमालुद्दीन के घर से साठ किलो गांजा बरामद हुआ। बरामद गांजा की कीमत करीब दो लाख रुपये आंकी गयी है। पुलिस ने शेख कमलुद्दीन व गुड्डु आलम दो तस्करों को गिरफ्तार कर लिया है। एक तस्कर मुनीफ देवान पुलिस को चकमा दे फरार हो गया।
स्कूलों में छात्रों के बीच डायरी देना प्राइवेट स्कूलों में आम बात है। सभी प्राइवेट स्कूलों में बच्चों के होमवर्क के लिए एवं उनके अभिभावक अपने बच्चों का मूल्यांकन करने के लिए स्कूल द्वारा डायरी दी जाती है। इसी से प्रेरित होकर अब सरकारी स्कूल में भी अभिभावक अपने बच्चों का मूल्यांकन कर सकेंगे। जिले के कई स्कूलों में डायरी का वितरण हो गया है। अब प्राइवेट स्कूलों की तरह सरकारी बच्चों का मूल्यांकन होगा। डायरी में कई खासियत सरकारी स्कूल में दी जा रही डायरी में कई खासियत है। इस सरकारी डायरी में बच्चों के लिए दैनिक स्कूली कार्य अंकित किए जाते हैं। वहीं स्कूलों में होने वाली छुट्टी, सरकार द्वारा दी जाने वाली योजनाओं का लाभ,राष्ट्रीय गीत सहित अन्य चीजों को समाहित किया गया है। इसके अलावा बच्चों को हर दिन क्लास में होने वाली सभी क्रियाकलापों को उसमें अंकित करना होता है। जिससे कि अभिभावक अपने बच्चों को सही ध्यान दे सकेंगे। एचएम मनोज ठाकुर ने बताया कि बच्चों को डायरी देने का उद्देश्य यह है कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक भी अपने बच्चों का सही तरीके से मूल्यांकन कर सकेंगे। अभिभावक देख सकेंगे कि उनका बच्चा पढ़ रहा है कि नहीं वहां पढ़ाई नियमित तरीके से हो रही है या नहीं। शिक्षक के द्वारा दिए गए होमवर्क व स्कूल में क्या पढ़ाई हुई है। इसकी जानकारी भी मिल सकेगी।
राज्य में 2024 तक शहरी क्षेत्रों में रहने सभी गरीबों या आवासहीन को घर मुहैया कराने का लक्ष्य है। पीएम आवास (शहरी) योजना के अंतर्गत 284 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, जिससे इन गरीबों के लिए आवास बनने हैं। इस राशि में केंद्र और राज्य दोनों की हिस्सेदारी शामिल है। राज्य के सभी नगर निकायों में अब तक 3 लाख 28 हजार 130 बेघरों को चिह्नित किया गया है, जिन्हें इस योजना के तहत आवास निर्माण के लिए केंद्र सरकार की तरफ से 1.50 लाख रुपये और राज्य की तरफ से 50 हजार रुपये यानि 2 लाख रुपये मिलना निर्धारित है। वर्तमान में 3 लाख 2 हजार 340 घर का निर्माण शुरू कर दिया गया है। अब तक 1 लाख 10 हजार 456 घरों का निर्माण पूरा करके इन्हें संबंधित लाभुकों को दे दिया गया है। इन आवासों के निर्माण के लिए केंद्रांश के तौर पर केंद्र सरकार के स्तर से 5 हजार 201 करोड़ रुपये मिलने हैं, जिसमें 2 हजार 984 करोड़ रुपये जारी कर दी गई है। शेष राशि के मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान अलग-अलग किस्तों में मिलने की संभावना है। यह योजना 149 नगर निकायों में चल रही है। नगर विकास एवं आवास विभाग ने सभी नगर निकायों को अपने-अपने क्षेत्र में गरीबों का सर्वे करके इसकी सूची भेजने का निर्देश दे रखा है। जैसे-जैसे बेघरों की सूची आती है, इसकी समीक्षा करके पात्र लाभुकों का चयन, इस योजना के अंतर्गत आवास देने के लिए किया जाता है। दो लाख रुपये की यह राशि तीन किस्तों में घर निर्माण से संबंधित जारी दिशा-निर्देश को पूरा करने पर दी जाती है। इस योजना का लाभ लेने के लिए चयनित लाभुक के पास कच्चा मकान होने के साथ न्यूनतम 30 वर्ग मीटर अपनी जमीन होनी चाहिए। साथ ही वर्ष 2011 में हुए सर्वे में संबंधित लाभुकों का नाम होना चाहिए।
-सैंपल पेपर से विद्यार्थियों को दी गई जानकारी प्रश्न पत्र में हर प्रश्न आसानी से दिखे व खंडवार प्रश्नों का उत्तर देने में दिक्कत ना आए इसके लिए सीबीएसई के 10वीं व 12वीं के प्रश्न पत्र के हर खंड को रंगीन किया जाएगा। इसकी जानकारी बोर्ड द्वारा सैंपल पेपर के माध्यम से छात्र-छात्राओं को दी गई है। एक खंड से दूसरे खंड के बीच थोड़ा गैप भी रहेगा ताकि छात्रों को खंडवार प्रश्नों की संख्या दिखे। इसे वर्ष 2024 की बोर्ड परीक्षा से लागू किया जाएगा।
राज्य के सभी जिलों में साइबर अपराध से जुड़े मामले दर्ज करने के लिए विशेष थाने शुरू कर दिए गए हैं। सभी साइबर थानों के प्रभारी डीएसपी को बनाया गया है और मामलों का अनुसंधान इंस्पेक्टर रैंक के पदाधिकारी ही करेंगे। इनमें 24 घंटे काम करने वाला हेल्प डेस्क भी बनाया गया है, जो लोगों की मदद करेगा और साइबर से जुड़े मामलों में जागरूक भी करेगा। एडीजी ने कहा कि इनमें तैनात होने वाले डीएसपी से लेकर इंस्पेक्टर समेत अन्य सभी कर्मियों को छह महीने की साइबर से जुड़ी ट्रेनिंग दी गई है। एक हजार से अधिक पदाधिकारियों को अब तक प्रशिक्षण दे दिया गया है। आगामी छह महीने में सभी बचे हुए डीएसपी एवं इंस्पेक्टर को ट्रेनिंग दिला दी जाएगी। इन नवगठित 44 थानों के लिए 660 बल स्वीकृत किए गए हैं। नकेल कसने के लिए चलाया जाएगा विशेष अभियान एडीजी खान ने बताया कि बिहार में छह जिले साइबर अपराध के लिए हॉट-स्पॉट के तौर पर चिन्हित किए गए हैं। इसमें पटना, नालंदा, नवादा, जमुई, शेखपुरा और गया शामिल हैं। हालांकि अब सभी जिलों से इस तरह की शिकायतें आने लगी हैं। कुछ अन्य जिले भी हॉट-स्पॉट के तौर पर चिन्हित हुए हैं। इन सभी जिलों में साइबर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए और इनके गैंग को ध्वस्त करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। साइबर थाने इन गैंगों को चिन्हित कर इनके खिलाफ विशेषतौर पर कार्रवाई करेंगे। कई संगठित गिरोह इसमें सक्रिय हैं, उनके खिलाफ भी जांच कर कार्रवाई की जाएगी। एडीजी ने बताया कि साइबर अपराध के लिए कार्यरत हेल्पलाइन नंबर- 1930 पर रोजाना औसतन 1500 शिकायतें आती हैं। इन शिकायतों के आधार पर पिछले तीन महीने में 600 एफआईआर दर्ज की गई है और लोगों के 7 करोड़ रुपये को ठगी का शिकार होने से बचा लिया गया। साइबर अपराध में सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। समय पर शिकायत आने पर लोगों की राशि को बचाई जा सकती है। रोजाना साइबर ठगी से जुड़े नए-नए पैंतरे सामने आ रहे हैं। यह पुलिस के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है।
बालगंगा स्थित पेट्रोल पंप के सामने एक साइकिल सवार को अज्ञात वाहन ने ठोकर मार दिया। जिसे पुलिस इलाज के लिए अस्पताल ले गयी। जहां उसकी मौत हो गई। मृतक तुरकौलिया के मठवा गांव के शाहिद मियां(65) है।वह मोतिहारी से साइकिल से घर लौट रहा था।
मोतीझील से अवैध अतिक्रमण को हटाया जायेगा। मोतीझील को अतिक्रमण मुक्त करने की जल्द कवायद शुरू होगी। मोतीझील में अब एक भी दुकान या मकान अवैध नहीं रहेंगे। इसको लेकर जिला प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है। जिस पर प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने को ले कार्रवाई में तेजी लाने का निर्णय लिया है। मोतीझील की पैमाइश कर कराई जाएगी पिलरिंग मोतीझील की पैमाईश कराते हुए इसके चारो तरफ से पिलरिंग कराई जायेगी। इसको लेकर अंचल अधिकारी सदर मोतिहारी को निर्देश दिया गया है। पिलरिंग होने से भविष्य में कभी भी अतिक्रमण की समस्या नहीं होगी। हटाए जाएंगे दुकान व मकान मोतीझील से दुकान व मकान हटाए जाएंगे। इसमें 34 दुकान व 16 सरकारी भवन शामिल है। दुकानों को वेंडिंग जोन में जगह दी जाएगी। नगर आयुक्त को निर्देश दिया गया है। अतिक्रमण हटाने को लेकर हाईकोर्ट के द्वारा निर्देश दिया गया है। पूर्व में हटाया जा चुका है 108 अतिक्रमण मोतीझील में कुल 158 अतिक्रमण कारी चिन्हित किए गए थे। इसमें वर्ष 2020 में 108 अतिक्रमण हटाया जा चुका है। जो शेष 50 अतिक्रमण रह गया है। उसे भी जल्द हटाए जाने की कवायद शुरू की जा रही है।
राज्य के सदर व अनुमंडल अस्पतालों के लिए मशीनें व उपस्कर खरीदे जाएंगे। एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड जैसी मशीनों के अलावा जरूरत के अनुसार कुर्सी-टेबल की भी खरीद होगी। स्वास्थ्य विभाग ने इन सामग्रियों की खरीद शुरू कर दी है। खरीदारी से पहले मशीनों व उपस्कर की जरूरत का आकलन किया जा रहा है। बीते दिनों समीक्षा के दौरान पाया गया कि राज्य के कुछेक सदर व अनुमंडल अस्पतालों में मशीनों का अभाव है। इस कारण मरीजों के उपचार करने में परेशानी हो रही है। कुछ अस्पतालों में मशीनें पुरानी हो चुकी हैं। मशीनों को दुरूस्त करने की प्रक्रिया में कई दिनों का समय लग जा रहा है। इस दौरान जांच का काम बाधित रहता है और मरीजों को लौटना पड़ता है। इसी तरह अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों के बैठने के लिए पर्याप्त कुर्सी नहीं है। इसे देखते हुए तय किया गया है कि जिन अस्पतालों में आउटसोर्सिंग से जांच का काम चल रहा है, वह वैसे ही चलता रहेगा। इसके अलावा जो जांच मशीनें विभाग से संचालित हो रही हैं। उन मशीनों की कार्यक्षमता की जांच की जाएगी। अगर विशेषज्ञ उन मशीनों को बदलने की रिपोर्ट देंगे तो नए की खरीदारी होगी। अस्पताल के प्रभारी सिविल सर्जन के माध्यम से कुर्सी, टेबल या अन्य उपस्कर की खरीदारी की रिपोर्ट विभाग को भेजेंगे।
छठी-सातवीं के आठ लाख बच्चे जो दूसरी और तीसरी की किताबें न ठीक से पढ़ पाते हैं, न ही समझ पाते हैं। इन बच्चों को चिह्नित कर समर कैंप में विशेष तौर पर पढ़ाया जा रहा है। शिक्षा सेवक और जीविका के संसाधन सेवी के अलावा डायट, एनसीसी कैडेट्स, स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी इन कमजोर बच्चों की पढ़ाई को मजबूत करने में जुटे हैं। 30 जून तक इनकी पढ़ाई जारी रहेगी।मालूम हो कि बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने समर कैंप शुरू होने के पहले सूबे के सभी 29 हजार मध्य विद्यालयों के प्राचार्यों से इन कमजोर बच्चों को चिह्नित कर सूची तैयार करने को कहा था। इसमें ज्यादातर छठी और सातवीं कक्षा के 30 से 40 फीसदी बच्चे शामिल हैं। ये बच्चे किस टोला और मोहल्ले में रहते हैं, इसकी सूची सभी स्वंयसेवक (वोलेंटियर) को दी गई है, जो अब बच्चों को पढ़ा रहे हैं ताकि वे अपनी कक्षा की किताबों को बेहतर ढंग से समझ सकें।
