रोजगार और श्रम के मसले पर भी महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, और इसके पीछे का कारण भी वही हैं जो उन्हें अवसरों का समानता, स्वतंत्र निर्णय लेने में होने वाली परेशानियां है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, भारत में महिलाओं का 81.8 प्रतिशत रोजगार अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में केंद्रित है। ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 के ही अनुसार, औसतन भारतीय महिलाओं को पुरुषों की आय का 21% भुगतान किया जाता था। इस सबके पीछे का कारण यह है कि महिलाओं को उनके परिवार में ही हक और बराबरी के बारे न बताया जाता है और न सिखाया जाता है, जिसके चलते महिलाओं के पास विकल्प कम होते जाते हैं, और वह जो मिल रहा है रख लो वाली सोच की आदि हो जाती हैं, जोकि उनकी क्षमताओं के साथ अन्याय है। *----- दोस्तों महिलाओं के हक, अधिकार और समानता के मसले पर आपका क्या सोचते हैं ? *----- क्या आपको भी लगता है कि महिलाओं को पिता की संपत्ती में अधिकार के साथ उनके साथ समानता का व्यवहार किये जाने की आवश्यकता है? या फिर आप कुछ इससे अलग भी सोचते हैं,

बिहार राज्य के गिद्धौर मोबाइल वाणी के संवाददाता आशुतोष पाण्डेय ने शिक्षक मनीष कुमार जी से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि महिलाओं को सम्मान देने से एक अच्छा परिवार और एक अच्छा परिवार से एक अच्छा समाज और एक अच्छा समाज से एक अच्छा देश का निर्माण हो सकता है। सरकार द्वारा कई कानून लाए गए है फिर भी महिलाओं के साथ अत्यचार होता है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। कानून के सामने पुरुष और महिला दोनों बराबर है। लड़कियां आज जुडो , कराटे सिख रही है। अगर महिला के साथ गलत होता है तो घर में लोगों को बताना चाहिए। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार ध्यान दे रही है। महिलाओं को जमीन पर अधिकार मिलना चाहिए। महिला को शिक्षित होना चाहिए जिससे उनको रोजगार मिलेगा और सरकार भी कई योजनाएं लाये है। अगर महिला शिक्षित होगी तो अच्छा समाज का निर्माण होगा।

बिहार राज्य के जिला जमुई से नागमणि कुमार की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से मिनाक्षी सिंह से हुई। मिनाक्षी सिंह यह बताना चाहते है कि महिला के खिलाफ हिंसा को हटाने के लिए सबसे पहले हमे दहेज़ प्रथा को ख़तम करना होगा। अगर दहेज़ प्रथा को ख़त्म किया जाता है और महिला शिक्षित है तो उसके लिए हिंसा ख़त्म हो जायेगा। महिला और पुरुष को लड़की के सम्बन्ध में यह नहीं सोचना चाहिए की वह सिर्फ घर में रहेगी। आज महिला सभी कार्य कर रही है। अगर महिला के साथ हिंसा होती है तो मीडिया तक बात को पहुंचाना चाहिए ताकि बात सरकार तक पहुंचे और हिंसा को रोका जाये।

बिहार राज्य के जमुई जिला के बरहट प्रखंड से संवाददाता आशुतोष पाण्डेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से शिक्षक अमित कुमार से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए सेबल पहले शिक्षा की आवश्यकता है। जब तक लोग शिक्षित नहीं होंगे हले के समय में महिलाएं बहुत पिछड़ी हुई थीं, लेकिन धीरे धीरे सरकार की तरफ से कई योजनाएं आयी है जिससे महिलाओं की स्थिति में काफी सुधर आया है। शिक्षा की कमी के कारण आज भी हिंसात्मक घटनाएं घटती रहती है। हमारे समाज में शिक्षा की उचित व्यवस्था नहीं है, इस पर समाज को ध्यान देने की आवश्यकता है। साथ ही महिला और पुरुष को समान अधिकार मिले इसके लिए समाज को जागरूक करने की आवश्यकता है

बिहार राज्य के गिद्धौर मोबाइल वाणी के संवाददाता आशुतोष पाण्डेय ने ग्रामीण चिकित्सक बचनदेव प्रसाद यादव जी से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि महिलाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक कर और समझदारी को विकसित कर महिलाओं के प्रति उत्पीड़न को समाप्त किया जा सकता है।

बिहार राज्य के गिद्धौर मोबाइल वाणी के संवाददाता आशुतोष पाण्डेय ने शिक्षक शेखर कुमार यादव जी से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसात्मक क्रिया और असमानता को खत्म कर महिलाओं को आगे बढ़ाया जा सकता है। महिलाओं को शिक्षित करना चाहिए। महिला को शिक्षित करने हेतु सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। समाज को शिक्षित होना जरूरी है जब शिक्षित होगा तो विकाश होगा। स्कूल में लड़का और लड़की में कोई भेद - भाव नहीं है। मीडिया को जागरूकता के लिए प्रचार - प्रसार करना चाहिए। दहेज़ प्रथा को शिक्षित होकर ख़तम किया जा सकता है।

बिहार राज्य के गिद्धौर मोबाइल वाणी के संवाददाता आशुतोष पाण्डेय ने वार्ड सदस्य वरुण कुमार यादव जी से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि महिलाओं को उसका अधिकार दिलाने में मदद और भेदभाव को खत्म कर महिलाओं को सुदृढ़ और मजबूत बनाकर आगे बढ़ाया जा सकता है। महिला को उनका अधिकार के बारे में बताना चाहिए। महिला और पुरुष को समान अधिकार मिलना चाहिए। यह देखा जाता है कि लड़को को पढ़ाया जाता है लेकिन लड़कियों को नहीं पढ़ाया जाता है। महिलाओं को शिक्षित होना बहुत जरूरी है। समाज में जागरूकता बढ़ी है। लड़कियां आज सभी क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। मीडिया का अहम् योगदान है समाज के मुद्दों को सरकार के सामने रखने के लिए। दहेज़ प्रथा को खतम करना चाहिए यह बहुत गलत है।

बिहार राज्य के जिला जमुई से नागमणि कुमार की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से इंद्रदेव मालाकार से हुई। इंद्रदेव मालाकार यह बताना चाहते है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा और भेद - भाव को ख़तम करने के लिए , ऐसे कई प्रयास हैं जो जागरूकता बढ़ाने और भेदभाव को खत्म करने के लिए सामाजिक नीति प्रथाओं में बदलाव लाने के लिए किए जा सकते हैं, जैसे कि महिलाओं को जागरूक करके दहेज की रोकथाम। शिक्षा को जोड़कर और भेदभाव की नीति को हटाकर महिलाओं को समाज से उचित सम्मान मिलना चाहिए। लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने में पुरुषों की भूमिका जरूरी हो जाती है। महिलाओं के लिए समाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने में मीडिया और नागरिक समाज की भूमिका सबसे आगे हो सकती है। इसलिए अत्याचारों के शिकार होते हैं, अत्याचार होते हैं, उत्पीड़न होते हैं, ऐसे समय में समाज द्वारा, नागरिकों द्वारा और स्वयं मीडिया द्वारा, लोगों के बीच में खबर बन पाता है तथा उसको देख और समझकर न्याय की उम्मीद की जा सकती है।

बिहार राज्य के जमुई जिला के बरहट प्रखंड के नुमार पंचायत के वार्ड संख्या 9 से संवाददाता आशुतोष पाण्डेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से सामाजिक कार्यकर्ता नुनेश्वर यादव से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि लोगों को जागरुक कर महिलाओं के खिलाफ हिंसा और भेदभाव को खत्म किया जा सकता है। महिलाओं के लिए सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने के लिए मीडिया और समाज दोनों की बहुत बड़ी भूमिका है

बिहार राज्य के गिद्धौर जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता आशुतोष पाण्डेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से शिक्षक सुनील कुमार यादव जी से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी की शिक्षा के प्रति महिलाओं को जागरुक कर महिलाओं के खिलाफ हिंसा और भेदभाव को खत्म किया जा सकता है। महिलाओं के लिए सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए