मैक्लुस्कीगंज  14 दिसम्बर 2023 फ़ोटो 1 - कम्बल वितरण करते विधायक प्रतिनिधि सहित अन्य. मायापुर पंचायत में जरूररतमन्दों के बीच 30 कम्बल का वितरण. विधायक प्रतिनिधि श्याम सुंदर सिंह व भाजपा नेता अरविन्द सिंह ने उक्त पंचायत के केदल गांव में गरीब, असहाय व दिव्यांगों के बीच कम्बल का वितरण किया. बताया कि मैक्लुस्कीगंज में बढ़ती ठंड को देखते हुए प्रखण्ड प्रशासन के सौजन्य से कम्बल की व्यवस्था किया गया है. आगे भी कम्बल वितरण किया जाना है. मौके पर मण्डल महामंत्री अनिल गंझू, शशि प्रसाद साहू, अनिल तुरी अन्य मौजूद थे.

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बुद्धिजीवी मंच की सराहनीय प्रयाश

दोस्तों, सरकारी स्कूलों की बदहाली किससे छुपी है? इसी कारण देश की पूरी शिक्षा व्यवस्था, प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक, पूरी तरह से बाजारवाद में जकड़ गई है। उच्च व मध्यम वर्ग के बच्चे तो प्राइवेट स्कूलों में अपने भविष्य का निर्माण करते हैं। नेताओं और नौकरशाह की बात तो दूर अधिकांश विद्यालय में कार्यरत शिक्षक के बच्चे भी सुविधा संपन्न प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई करते हैं भला ऐसे में सरकारी विद्यालयों की दुर्दशा की चिंता किसे होगी? देश के छोटे से छोटे विकास खंड में सरकारी स्कूलों में करोड़ों खर्चे जाते हैं फिर भी उनका स्तर नहीं सुधरता। -------------तो दोस्तों, आप हमें बताइए कि आपके गांव या जिला के स्कूलों की स्थिति क्या है ? -------------वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? -------------और आपके गाँव के स्कूलों में स्कुल के भवन , बच्चों की पढ़ाई और शिक्षक और शिक्षिका की स्थिति क्या है ? दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर या मोबाइल वाणी एप्प में ऐड का बटन दबाकर।

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दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि भारत में हर साल 6.3 करोड़ लोगों को सिर्फ इसलिए गरीबी से जूझना पड़ता है क्योंकि उन्हें अपने स्वास्थ्य का खर्चा खुद उठाना पड़ता है। जिस देश में एक सांसद के स्वास्थ्य पर सरकार सालभर में 51 हजार रुपये से ज्यादा खर्च कर देती है, उसी देश के आम नागरिक के स्वास्थ्य पर सरकार 18 सौ रुपये के करीब ही खर्च कर पाती है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2021 के मुताबिक, अगर गांव में कोई व्यक्ति सरकारी अस्पताल में भर्ती होता है, तो उसका औसतन खर्च 4,290 रुपये होता है. वहीं, गांव में निजी अस्पताल में भर्ती होने पर उसे 22,992 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इसी तरह शहर में सरकारी अस्पताल में भर्ती होने पर 4,837 और निजी अस्पताल में 38,822 रुपये का खर्चा आता है. तो अब आप ये सोचिए जिस देश में 70 से 80 करोड़ एक वक़्त के राशन के लिए मोहताज़ हो , वो कैसे इलाज़ करवा पाएंगे। -------तब तक आप हमें बताइए दोस्तों कि आपके क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था के क्या हालात है ? -------आपके सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज़ की स्थिति क्या है ? --------इस बढ़ती महँगाई के कारण स्वास्थ्य पर होने वाला खर्चा आपका कितना बढ़ा है ? --------दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फोन से 3 नंबर का बटन दबाकर या फिर मोबाइल वाणी एप के जरिए एड का बटन दबाकर, क्योंकि याद रहे दोस्तों, बोलेंगे तो बदलेगा?

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रांची। रोबिन हुड आर्मी रांची के रॉबिंस ने पिठोरिया के कई गावों में जाकर मिशन स्वदेश अभियान के तहत गरीब और जरूरतमंद परिवारों के बीच राशन का वितरण किया। जिससे गांव वालों ने सभी इन कर्मवीरो को आशीर्वाद देते हुए कहा आप सब एक बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं। ज्ञात हो कि रोबिन हुड आर्मी रांची सहित भारत के सभी राज्यों में इस स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर मिशन स्वदेश अभियान के तहत गरीब और जरूरतमंद परिवारों को अधिक से अधिक भूखके इस जंग में सहयोग कर उनके जीवन के भरण पोषण में सहायता प्रदान कर रही है। *इधर मीडिया से बात करते हुए रांची जिले का प्रतिनिधित्व करते हुए रोबिन शिवानी ने बताया कि ये अभियान आगे भी चलता रहेगा भूख के इस जंग में रोबिन हुड आर्मी समाज के उन हर घर परिवारों के बीच पहुंचने का प्रयास कर रही है जिनका कोई सहारा नहीं है।* इस अभियान को सफल बनाने में मुख्य रूप से रोबिन नितिन, सहबाज,गौरव, सिद्धार्थ,श्याम, निशी,राजेश,आलोक, सौम्या जिज्ञासा,विशाल, आरव ,और अनुपम सहित कई रॉबिंस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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