बुढ़मू प्रखंड के मुरुपीरी गांव में निर्मित बजरंग बली मंदिर का द्वितीय वार्षिकोत्सव के साथ ही बजरंग बली मंदिर का दो दिवसीय यज्ञ पूजा संपन्न हुआ। इससे पूर्व 11 अप्रैल शुक्रवार को भव्य कलश यात्रा निकाली गयी, जो कि मुरुपीरी गांव के बजरंग बली मंदिर परिसर से आरंभ होकर मुरुपीरी गांव के शिव मंदिर से होते हुए जामुन धाम जाकर जलाशय से 501 कन्याओं और महिलाओं ने जल उठाकर गांव का भ्रमण करते हुए वापस लौट कर बजरंग बली मंदिर परिसर में कलश यात्रा संपन्न हुआ।
नमस्कार, आदाब दोस्तों ! स्वागत है आपका मोबाइल वाणी और माय कहानी की खास पेशकश कार्यक्रम भावनाओं का भवर में। साथियों, आज हम बात करेंगे लड़को के रोने पर - जी हाँ सही सुना, लड़को के रोने पर ही आज बात करेंगे ताकि हम समझ पाए बछ्पन के सुने हुए यह जुमले बच्चे के मन पर क्या असर दाल जाता है और आगे चलते उनके मन पर क्या असर पड़ता है। क्यूंकि मानसिक विकार किसी की गलती नहीं इसलिए इससे जूझने से बेहतर है इससे जुड़ी पहलुओं को समझना और समाधान ढूंढना। तो चलिए, सुनते है आज की कड़ी। .....साथियों, अभी आपने सुना की चाहे इंसान कितना भी सख्त दिखने की कोशिश क्यों न करे, ज़िन्दगी के पूछ पलों में उन्हें भी रोने का मन करता है और ऐसे समय में रो लेना कितना ज़रूरी है। पर क्या हमारा समाज इतनी आसानी से लड़कों को रोने की आज़ादी दे दे सकता है ? क्या केबल रोने या न रोने से ही साबित होता है की वो इंसान कितने मज़बूत किरदार का मालिक है ? और क्या इसी एक वाक्य से हम बचपन में ही लिंग भेद का बीज बच्चो के अंदर ने दाल दे रहे है जो पड़े होते होते न जाने कितने और लोगो को अपनी चपेट में ले चूका होता है ! आप के हिसाब से अगर लड़के भी दिलका बोझ हल्का करने के लिए रोयें और दूसरों से नरम बर्ताव करे तो समाज में क्या क्या बदल सकता है ? इस सभी पहलुओं पर अपनी राय प्रतिक्रिया और सुझाव जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर। और हां साथियों अगर आपके मन में आज के विषय से जुड़ा कोई सवाल हो तो वो भी जरूर रिकॉर्ड करें। हम आपके सवाल का जवाब तलाश कर आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश करेंगे। साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें https://www.youtube.com/@mykahaani
बुढ़मू : सरहुल के अवसर पर बुढ़मू प्रखंड के भगवान बिरसा मुंडा स्टेडियम में प्रखंड स्तरीय सरहुल मिलन समारोह का आयोजन किया गया। मिलन समारोह में बुढ़मू प्रखंड क्षेत्र के सभी 14 पंचायतों के सभी गांवों के पाहन अपने - अपने खोड़ा मंडली के साथ शामिल हुए। जुलूस में आये लोगों ने अपने खोड़ा मंडली के साथ स्टेडियम परिसर में नृत्य गान प्रस्तुत किया और मांदर के साथ खूब थिरके। सरहुल मिलन समारोह कार्यक्रम में आए पहनों को एवं अतिथियों को कमेटी की ओर से गमछा ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। और रंग अबीर गुलाल लगाकर सरहुल पर्व की शुभकामनाएं दी गई। सरहुल मिलन समारोह कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में कांके विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुरेश कुमार बैठा, विशिष्ट अतिथि प्रखंड प्रमुख सतनारायण मुंडा, बुढ़मू अंचलाधिकारी सच्चिदानंद वर्मा, बीडीओ धीरज कुमार, बुढ़मू थाना प्रभारी रितेश कुमार महतो, जिला परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष पार्वती देवी, विधायक प्रतिनिधि शमीम बड़ेहार, बुढ़मू के जिला परिषद सदस्य रामजीत गंझू, पूर्व प्रमुख सुमन पाहन, प्राचीन मुंडा धर्म संस्था के अध्यक्ष धर्म गुरु महेंद्र मुंडा, प्राचीन मुंडा धर्म संस्था के सचिव प्रोफेसर डॉ चंद्रदेव मुंडा, आदिवासी समाज के नेता नारायण उरांव सहित कई अतिथि शामिल हुए। कार्यक्रम से पूर्व अतिथियों ने स्टेडियम परिसर में विरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया साथ ही कार्यक्रम के दौरान उपस्थित अतिथियों ने पिछले साल सरहुल के दिन हुए सड़क हादसे के मृतक लोगों को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित किया।सरहुल पर्व की एक दूसरे लोगों को बधाई एवं शभकामनाएं दी। सरहुल मिलन समारोह कार्यक्रम को सफल बनाने में कमेटी के अध्यक्ष सोनू मुंडा, पूर्व प्रमुख रामेश्वर पहान, कमेटी के राजू उरांव, झिबरा मुंडा, हरिश्चंद्र पहान, राजकिशोर मुंडा सहित अन्य लोगों का सराहनीय योगदान रहा। सरहुल मिलन समारोह की सुरक्षा व्यवस्था की कमान खलारी डीएसपी रामनारायण चौधरी के नेतृत्व में बुढ़मू थाना प्रभारी रितेश कुमार महतो एवं पुलिस बल जवान संभाले हुए थे।
बुढ़मू : बुढ़मू प्रखंड के मुरुपीरी बजार टांड़ में सरहुल मिलन समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें मुरूपीरी, मनधनिया टांड़, मुंडा टोली, पहान टोली, खैड़ार, बांस बेड़ा, डोंगा सरय के लोग सरहुल मिलन समारोह में शामिल हुए। इस दौरान पहानों को गमछा एवं बैच देकर सम्मानित किया गया। पहनों एवं अतिथियों को समाज सेवी अरुण प्रजापति, कंपाल प्रजापति, उमेश प्रजापति, राम वसिष्ट प्रजापति, चिंतामन प्रजापति, सनोज यादव, राजीव शिखर, कृष्णा शिखर, कैलाश शिखर, रिझू प्रजापति सहित अन्य लोगों ने सम्मानित किया। सरहुल मिलन समारोह में ग्रामीणों का सराहनीय योगदान रहा।
बुढ़मू : सोमवार को बुढ़मू प्रखंड क्षेत्र में ईद पर्व हर्षोल्लास पूर्वक धुमधाम के साथ मनाया गया. इस दौरान बुढ़मू , चकमे, मतवे, इंचापीरी, उमेडंडा, बाड़े, मनातू , मोहनपुर, ईदगाह और उरुगुटू, बरौदी, सहित आसपास के गांव में स्थित मस्जिद में ईद की नमाज अदा की गई. और एक दूसरे लोगों से गले लगाकर ईद की बधाई दी गई. इस दौरान गरीबों के बीच ईदी बांटी गई. ईदगाह के पास सभी लोग एक दूसरे से मिलकर साथ में बैठकर सेवईयों का सेवन किया. इस दौरान इंचापीरी के खल्लू खान, मतवे के हयुल अंसारी, कांग्रेस नेता जाकिर हुसैन, कुदुस अंसारी, उमेडंडा के सजाद अंसारी, सरफराज अहमद, नेसार अंसारी, मौलाना साबिर हुसैन, मुश्ताक अंसारी, झामुमो नेता शमीम बड़ेहार सहित अन्य ने देश में अमन-चैन की दुआ की और सभी को ईद की बधाई दी।
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ श्री जीबदास साहू लतर वाली फसल से अच्छी उपज कैसे ली जाए, इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं। पूरी जानकारी विस्तार से सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.
नमस्कार, आदाब दोस्तों ! स्वागत है आपका मोबाइल वाणी और माय कहानी की खास पेशकश कार्यक्रम भावनाओं का भवर में। साथियों, हर माता-पिता को अपने बच्चों से पढ़ लिखकर कुछ अच्छा करने की उम्मीद होती है तभी तो किसी ने अपनी कलम से यह लाइन खूब लिखी है की पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा, बेटा हमारा ऐसा काम करेगा, मगर ये तो कोई न जाने के मेरी मंजिल है कहाँ ...........और सही मायने में ज़िन्दगी मंजिल तो हर किसी का अलग अलग होता है पर आज के समय में माता पिता ज़िन्दगी के दौड़ में हर बच्चे का मंजिल एक ही बनाना चाहते है। आज की जेनेरशन के भी माता -पिता अपने बच्चों के ऊपर एग्जाम में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए दबाव तो डालते ही हैं पर गौर करने वाली बात तो यह है कि इन सब के बीच बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में हम भूल जाते है। तो चलिए आज की कड़ी में जानते है कि साथियों बच्चें देश के भविष्य होते हैं और बच्चों के भविष्य से ही देश की भविष्य की कल्पना की जाती है ऐसे में उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। क्यूंकि मानसिक विकार किसी की गलती नहीं इसलिए इससे जूझने से बेहतर है इससे जुड़ी पहलुओं को समझना और समाधान ढूंढना। तो चलिए, सुनते है आज की कड़ी।.....साथियों, अभी आपने सुना कि कैसे बच्चों पर शैक्षणिक दबाव का असर उनके मानसिक स्वास्थ्य का प्रभावित करता है और इससे कैसे निपटा जा सकता है। अब अगली कड़ी में सुनेंगे की आखिर कभी कभी पुरुषों के लिए भी रोना क्यों जरुरी हो जाता है। लेकिन तब तक आपलोग हमें बताएं कि केवल परीक्षा में लाये हुए अच्छे नंबर ही एक अच्छा और सच्चा इंसान बनने का माप दंड कैसे हो सकता है? अक्सर देखा जाता है कि माता पिता अपने बच्चों के तुलना दूसरे बच्चों से करते है. क्या यह तुलना सही मायने में बच्चे को बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करती है या उनके मन में नकारात्मक सोच का बीज बो देती है ? आपको क्या लगता है? इस पर आप अपनी राय, प्रतिक्रिया जरूर रिकॉर्ड करें। और हां साथियों अगर आज के विषय से जुड़ा आपके मन में किसी तरह का सवाल है तो अपने सवाल रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन नंबर 3 दबाकर। हम आपके सवालों का जवाब ढूंढ कर लाने की पूरी कोशिश करेंगे। साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें https://www.youtube.com/@mykahaani
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ श्री जीबदास साहू आम की अच्छी उपज के बारे में जानकारी दे रहे हैं। पूरी जानकारी विस्तार से सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.
नमस्कार, आदाब दोस्तों ! स्वागत है आपका मोबाइल वाणी और माय कहानी की खास पेशकश कार्यक्रम भावनाओं का भवर में। साथियों हम सभी 21 वीं सदी में जी रहे हैं और आज के इस चकाचौंध भरी दुनिया में सादगी के बजाय दिखावा, तुलनात्मकता और भेदभाव ज्यादा देखने को मिलती है। और यह भेदभाव लगभग सभी क्षेत्र में देखने को मिलती है , चाहे रूप रंग हो या रहन सहन, अब न चाहते हुए भी एक दूसरे से तुलना करने ही लगते है। पर दोस्तों यह भी सच है कि आज के समय में लोगों के ऐसे तुलनात्मक सोच और बातों को एक तरफ रख कर आगे बढ़ने की जरुरत है. वो कहते है न , कुछ तो लोग कहेंगे , लोगों का काम है कहना ! तो चलिए आज की कड़ी में जानते है कि हम सभी के लिए कितना जरुरी है खुद को और अपने आसपास के लोगो को उनके बास्तविक रूप में ही स्वीकार करना . और अगर ऐसा न हुआ तो हमारे मानसिक स्वस्थ्य पर उसका क्या प्रभाव पड़ सकता है। आखिरकार मानसिक विकार किसी की गलती नहीं इसलिए इससे जूझने से बेहतर है इससे जुड़ी पहलुओं को समझना और समाधान ढूंढना। तो चलिए, सुनते है आज की कड़ी।.....साथियों, अभी आपने सुना कि हम जिस रूप में हैं हमें खुद को और अपने आस पास के लोगों को अपने वास्तविक रूप में ही स्वीकार करना चाहिए। आप हमें बताएं कि आखिर ऐसा क्यों होता है कि आज के समय में अक्सर लोग दूसरों को निचा दिखाने की कोशिश करते हैं बिना इसकी परवाह किये की उनके मानसिक स्वास्थ्य पर इस बात का क्या असर पड़ेगा ? आपके अनुसार इस तरह के भेदभाव को हमारे सोच और समाज से कैसे मिटाया जा सकता है ? दोस्तों इस से जुड़ी आपके मन में अगर कोई सवाल है तो जरूर रिकॉर्ड करे. अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर। हम आपके सवाल का जवाब तलाशने की पूरी कोशिश करेंगे। साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें https://www.youtube.com/@mykahaani
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ श्री जीबदास साहू आम के फल नहीं आने का कारण और उसके उपचार के बारे में जानकारी दे रहे हैं। पूरी जानकारी विस्तार से सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.